भोपाल में बढ़े डॉग बाइट के मामले: हर दिन 72 लोगों को काट रहे कुत्ते, रेबीज का बढ़ रहा खतरा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह एडवाइजरी जारी की है। दूसरी ओर, भोपाल में साल 2025 के शुरुआती 6 माह में 13 हजार से अधिक लोगों को 9 तरह के जानवरों ने काटा है। यह उन लोगों की संख्या है जो एनिमल बाइट के बाद इलाज के लिए जेपी अस्पताल या हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे।
Dog bite cases increased in Bhopal: Dogs are biting 72 people every day, the risk of rabies is increasing
भोपाल। क्या आपको पता है कि, भोपाल में हर दिन औसतन 72 से ज़्यादा लोग जानवरों के काटने का शिकार हो रहे हैं? इनमें से ज़्यादातर मामले कुत्तों के काटने के हैं। ये चौंकाने वाले आँकड़े इस साल के पहले छह महीनों (जनवरी से जून 2025) के हैं, जो जेपी और हमीदिया अस्पताल ने जारी किए हैं। इन अस्पतालों में 13,000 से ज़्यादा लोग इलाज के लिए पहुँचे। लेकिन असली संख्या इससे भी कहीं ज़्यादा हो सकती है, क्योंकि कई लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं या इलाज ही नहीं करवाते।
रेबीज का बढ़ता खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसे वैक्सीन लगाकर 100% रोका जा सकता है। लेकिन कई लोग जानवरों के काटने को हल्के में लेते हैं और वैक्सीन नहीं लगवाते, और यही लापरवाही मौत की वजह बन सकती है। डॉक्टर राकेश श्रीवास्तव, जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन, ने बताया कि अस्पताल में एंटी-रेबीज वैक्सीन की कोई कमी नहीं है।
कुत्तों के काटने से अब तक इतने लोग प्रभावित
इन आँकड़ों से पता चलता है कि रेबीज का सबसे बड़ा खतरा कुत्तों से है। इस साल जून तक, जेपी और हमीदिया अस्पतालों में कुत्तों के काटने से 19,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 10,848 पुरुष और 8,497 महिलाएँ थीं। यह साफ दिखाता है कि इस समस्या को तुरंत हल करना कितना ज़रूरी है।
अन्य जानवर भी हैं खतरनाक
सिर्फ कुत्ते ही नहीं, बल्कि दूसरे जानवर भी खतरा बने हुए हैं। बंदरों ने 213 और चूहों ने 249 लोगों को काटा। इसके अलावा चमगादड़, गिलहरी और खरगोश के काटने के भी मामले सामने आए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि भले ही इनकी संख्या कम हो, लेकिन इनसे भी रेबीज का खतरा उतना ही गंभीर होता है।
भारत में रेबीज का कहर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में रेबीज से होने वाली मौतों में से 36% अकेले भारत में होती हैं। हमारे देश में हर साल 18,000 से 20,000 लोग रेबीज से अपनी जान गँवाते हैं। इनमें से 30 से 60% पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं, क्योंकि अक्सर उनके काटने की घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
रेबीज के लक्षण
अगर किसी को कोई जानवर काट ले, तो यह जानना ज़रूरी है कि रेबीज का वायरस शरीर में 1 से 3 महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, घबराहट, पानी पीने में दिक्कत, सिरदर्द, बुरे सपने और बहुत ज़्यादा लार आना शामिल हैं।
वैक्सीन की खपत बढ़ी
राजधानी में एंटी-रेबीज वैक्सीन की बढ़ती खपत इस बात का सबूत है कि लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। 2020-21 में जहाँ 5,523 वैक्सीन की शीशियाँ इस्तेमाल हुईं, वहीं 2022-23 में यह आँकड़ा 10,446 तक पहुँच गया। अगर आपके भी घर, गली, मोहल्ले के किसी व्यक्ति को किसी जानवर ने काट लिया है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और वैक्सीन लगवाएँ। आपकी एक छोटी सी सावधानी आपकी जान बचा सकती है।