Jharkhand News : रांची में सीयूजे के दीक्षांत समारोह में बोलीं राष्ट्रपति, 'सदियों से पिछड़ी बेटियां अब हर क्षेत्र में कर रहीं शानदार प्रदर्शन'

Jharkhand News : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को रांची में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए देश के युवाओं से समाज और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया।

Update: 2024-02-28 10:33 GMT

Jharkhand News :   28 फरवरी । भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को रांची में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए देश के युवाओं से समाज और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि छात्र-युवा यह प्रतिज्ञा लें कि वे जिस भी क्षेत्र में कार्य करेंगे, समृद्ध एवं विकसित भारत का संकल्प हमेशा याद रखेंगे। राष्ट्रपति ने समारोह में सीयूजे के तीन बेस्ट ग्रेजुएट को चांसलर मेडल प्रदान किया। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि विश्वविद्यालय में स्वर्ण पद प्राप्त करने वालों में लगभग 50 फीसदी लड़कियां हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में बेटियां और महिलाएं विकास और शिक्षा में सदियों से पीछे रह गई थीं। अब वह आगे आ रही हैं और हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।राष्ट्रपति ने अपने दीक्षांत भाषण में जनजातीय परंपराओं को सहेजने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि प्रकृति के साथ रहकर जीवन जीने के उनके ज्ञान से अगर हम सीख पाएं तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौती का आसानी से सामना कर सकते हैं।उन्होंने डिग्री पाने वाले युवाओं से कहा कि उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके कार्य से पिछड़े एवं वंचित वर्ग के लोग लाभान्वित हों।

राष्ट्रपति ने कहा कि वह जब भी झारखंड आती हैं तो उन्हें महसूस होता है कि वह अपने घर आई हैं। उन्होंने यहां के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि यह मेरे जीवन का सुखद अनुभव है।दीक्षांत समारोह में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी सहित कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।इस दौरान विश्वविद्यालय के यूजी-पीजी के 64 टॉपरों को गोल्ड मेडल से नवाजा गया। समारोह में 20 इंटीग्रेटेड पांच वर्षीय यूजी-पीजी कोर्सों के पास आउट 1,539 छात्रों को डिग्री और 35 रिसर्च स्कॉलरों को डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी (पीएचडी) की उपाधि प्रदान की गई।

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