Jharkhand IAS Suspend: शराब घोटाला मामले में दो वरिष्ठ अधिकारियों पर गिरी गाज, IAS विनय कुमार चौबे और IAS गजेंद्र सिंह सस्पेंड
Jharkhand IAS Suspend: दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर कार्रवाई की है. आईएएस विनय कुमार चौबे(IAS Vinay Kumar Choubey) और आईएएस गजेंद्र सिंह(IAS Gajendra Singh) को निलंबित कर दिया है.

Jharkhand IAS Suspend
Jharkhand IAS Suspend: झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले(Liquor Scam Case) में झारखंड सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर कार्रवाई की है. आईएएस विनय कुमार चौबे(IAS Vinay Kumar Choubey) और आईएएस गजेंद्र सिंह(IAS Gajendra Singh) को निलंबित कर दिया है.
शराब घोटाले मामले में कार्रवाई
दरअसल, राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 20 व 21 मई को पूछताछ के बाद आईएएस समेत चार अधिकारियों को शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था. इन अधिकारियों में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव सह झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक आईएएस विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद आईएएस गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार शामिल हैं.
चार अधिकारी निलंबित
जांच में पता चला कि इन अधिकारियों की मिलीभगत से शराब की बिक्री, आपूर्ति और ठेकों में भारी अनियमितता हुई, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा. राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. इसके बाद उन्हें एसीबी की रांची स्थित विशेष अदालत में पेश किया गया जहां से वे न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे. गिरफ्तारी के वक्त आईएएस विनय कुमार चौबे पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव थे. वहीँ, अब गिरफ्तारी के बाद चारों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
आईएएस विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह ससपेंड
निलंबित किये गए आईएएस विनय कुमार चौबे वर्तमान ने झारखंड के आबकारी विभाग में सचिव पद पर कार्यरत थे. जबकि गजेंद्र सिंह आबकारी विभाग के पूर्व महाप्रबंधक (झारखंड राज्य मद्य निषेध निगम लिमिटेड) रह चुके हैं. इन पर अपने पद का दुरुपयोग कर, नियमों का उल्लंघन और सरकारी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर शराब ठेकों और सप्लायर्स को लाभ पहुंचाने का आरोप है. जिसके चलते झारखंड सरकार ने निलंबित कर दिया है. राज्य सरकार ने कहा है जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, दोनों अधिकारियों को निलंबित रखा जाएगा. निलंबन की अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा.