IAS सारांश मित्तर, सर्वेश भूरे, रजत बंसल, दीपक सोनी, संजीव झा ने कलेक्टरी में लगाई जंप तो सिकरेट्री में आलोक शुक्ला, सिद्धार्थ परदेशी, प्रसन्ना द्वय का कद बढ़ा

Update: 2020-05-26 12:20 GMT

NPG.NEWS
रायपुर, 26 मई 2020। राज्य सरकार ने कलेक्टरों की बहुप्रतीक्षित ट्रांसफर लिस्ट आज जारी कर दी। कलेक्टरों के साथ मंत्रालय में कुछ सचिवों को भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। प्रमुख सचिव डॉ0 आलोक शुक्ला को कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग का एडिशनल चार्ज दिया गया है। उनके पास स्कूल एजुकेशन, चेयरमैन माशिमं और व्यापम यथावत रहेगा।
दिल्ली में आवासीय आयुक्त की पोस्टिंग बड़ी नहीं मगर महत्वपूर्ण मानी जाती है। अधिकांश अफसर चाहते हैं कि आवासीय आयुक्त का प्रभार मिल जाए। इससे दिल्ली में छत्तीसगढ़ पुल का बंगला और गाड़ी मिल जाती है। डॉ0 मनिंदर कौर द्विवेदी इस पोस्ट पर थी। लेकिन, सरकार ने आज उन्हें हटाते हुए प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ को यह दायित्व सौंप दिया है। कह सकते हैं, पिंगुआ का भी प्रभाव बढ़ा है।
सिकरेट्री हेल्थ निहारिका बारिक से मेडिकल एजुकेशल लेकर सरकार ने उसे एसीएस रेणु पिल्ले को सौंप दिया है। जाहिर है, निहारिका के लिए यह झटका होगा। क्योंकि, राज्य बनने के बाद हमेशा स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन एक ही अफसर के पास रहता आया है। मध्यप्रदेश में बड़ा राज्य होने के कारण जरूर दोनों अलग-अलग होते थे। अब स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग में जाहिर है, रेणु सीनियर हैं तो उनका वहां अलग वजन होगा।
इसी तरह सरकार ने एसीएस अमिताभ जैन को पीडब्लूडी से मुक्त कर दिया है। लिहाजा, सिकरेट्री पीडब्लूडी सिद्धार्थ कोमल परदेशी अब फुलफ्लैश सिकरेट्री हो गए हैं पीडब्लूडी के। निश्चित तौर पर सिद्धार्थ का कद इससे बढ़ा है। क्योंकि, पीडब्लूडी में हमेशा प्रमुख सचिव रहा है।
वैसे, दोनों प्रसन्ना, प्रसन्ना आर और सीआर प्रसन्ना दोनों का वजन भी इस पोस्टिंग में बढ़ा है। प्रसन्ना आर को समाज कल्याण के साथ अब महिला बाल विकास मिला है तो सीआर प्रसन्ना को सीजीएमसी याने हेल्थ में खरीदी करने वाले कारपोरेशन का जिम्मा दिया गया है।
वैसे, सूबे के सबसे सीनियर कलेक्टर संजय अलंग को सरकार ने बिलासपुर में ही कमिश्नर बना दिया है। वे पहले ऐसे कलेक्टर होंगे, जो पदोन्नत होकर उसी कमिश्नरी मुख्यालय में पोस्टिंग पा गए। इससे अलंग के प्रभाव का पता चलता है। वरना, अभी तक ऐसा हुआ नहीं। अलंग को बिलासपुर के साथ-साथ सरगुजा का चार्ज भी दिया गया है।
कलेक्टरों में सरकार ने मुंगेली कलेक्टर डॉ0 सर्वेश भूरे ने उंची जंप लगाते हुए वीवीआईपी डिस्ट्रिक्ट दुर्ग के कलेक्टर बनने में कामयाब हो गए हैं। दुर्ग सीएम का ही नहीं बल्कि पांच मंत्रियों वाला जिला मुख्यालय है। भूरे 2011 बैच के आईएएस हैं। इतना जूनियर आईएएस कभी दुर्ग जैसे डिविजनल मुख्यालय का कलेक्टर नहीं बना। वैसे, धमतरी कलेक्टर रजत बंसल की भी जंप कम नहीं आंका जा सकता। वे 2012 बैच के कलेक्टर हैं, उन्हें भी जगदलपुर डिवीजनल मुख्यालय में कलेक्टरी करने का मौका मिला है। जगदलपुर में 2009 बैच के अय्याज तंबोली कलेक्टर थे।
बिलासपुर में डा0 सारांश मित्तर का नाम अप्रत्याशित नहीं है। उनका नाम पहले से चर्चा में आ गया था। 23 मई को एनपीजी न्यूज की खबर में भी सारांश के बिलासपुर का कलेक्टर बनने का जिक्र था। 2008 बैच के एकमात्र कलेक्टर शिखा राजपूत को जीपीएम जिले से सरकार ने हटा दिया है। उन्हीं के बैच के भीम सिंह रायगढ़ जैसे बड़े जिले के कलेक्टर बन गए हैं। भीम सिंह को ये चौथा जिला होगा।
2011 बैच के दीपक सोनी का नाम हालांकि रायगढ़ के लिए चल रहा था लेकिन, उन्हें दंतेवाड़ा भेजा गया है। दंतेवाड़ा की कलेक्टरी अहम मानी जाती है। वहां पांच सौ करोड़ से ज्यादा का डीएमएफ है। कई कलेक्टरों ने इस पैसे से काम करके वहां खूब नाम कमाए हैं। तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी को एजुकेशन हब ने कहां से कहां पहुंचा दिया। पीएम अवार्ड के साथ ही वर्ल्ड की कौन सी ऐसी पत्र-पत्रिका नहीं होंगी, जिसमें उनके बारे में नहीं छपा। वैसे, बलरामपुर कलेक्टर संजीव झा का अंबिकापुर जिले का कलेक्टर बनना प्रमोशन ही माना जाएगा। बलरामपुर डिवीजनल मुख्यालय होने के कारण अंडर फाइव डिस्ट्रिक्ट में शामिल है।
प्रमोटी कलेक्टरों में सरकार ने चार को हटाया है। बिलासपुर के संजय अलंग प्रमोट हुए हैं। वहीं, जनकराम पाठक, केडी कुंजाम और नीलकंठ टेकाम, तीनों जांजगीर, बीजापुर और कोंडागांव से वापिस बुलाए गए हैं। इन चार की जगह पर पांच फ्रेश अफसरों को कलेक्टर बनाकर भेजा गया है।
इनमें महादेव कांवरे, एसएन राठौर, रमेश शर्मा, सीएल देहरे और जन्मजय मोहबे शामिल हैं। इन्हें जिले भी अच्छे मिले हैं। कांवरे का नाम बलौदा बाजार के लिए चल रहा था। मगर जशपुर भी छोटा जिला नहीं है। इसी तरह रमेश शर्मा कवर्धा कलेक्टर बनने में कामयाब रहे हैं। इसी तरह टीपी वर्मा दंतेवाड़ा से राजनांदगांव जैसे बड़े जिले में गए हैं। वर्मा का यह तीसरा जिला होगा। सुनील जैन महासमुंद में थे। उन्हें बलौदा बाजार भेजा गया है। गरियाबंद कलेक्टर श्याम धावड़े भी गरियाबंद से बलरामपुर जाने में सफल रहे हैं। सफल इसलिए क्योंकि गरियाबंद में कुछ भी नहीं था। बलरामपुर में डीएमएफ है।

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