सर्दियों में सिंघाड़ा एक स्वादिष्ट और पोषक फल है, जिसे आमतौर पर लोग कच्चा खाकर या उबालकर खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे खाने का एक नया और स्वादिष्ट तरीका भी है? जी हां, यह तरीका बताया है बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री ने, जिन्हें काशीपुर में सिंघाड़े की कचरी का स्वाद लेने का मौका मिला। काशीपुर में सिंघाड़े की खेती काफी प्रचलित है और वहां के लोग सिंघाड़े को खास तरीके से तैयार करते हैं, जिससे इसके सारे पोषण तत्व मिलते हैं। आइए जानते हैं भाग्यश्री का सिंघाड़ा खाने का यह नया तरीका और इसके स्वास्थ्य लाभ।
सिंघाड़े की कचरी बनाने का तरीका
भाग्यश्री ने सिंघाड़े की कचरी बनाने का तरीका काशीपुर से सीखा। इस रेसिपी में सिंघाड़े के साथ प्याज, टमाटर, अदरक, और लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। इन सबको घी में अच्छे से भूनकर मिश्रण तैयार किया जाता है, और फिर इसके साथ कुछ खास मसाले डालकर इसे रोस्ट किया जाता है। भाग्यश्री का कहना है कि इसे लोहे की कढ़ाई में पकाने से इसके पोषण तत्व ज्यादा से ज्यादा बचते हैं। यह रेसिपी सिंघाड़े को मैश करके बनाई जाती है, जिससे उसका स्वाद और पोषण दोनों ही बेहतर होते हैं।
सिंघाड़ा के स्वास्थ्य लाभ
सिंघाड़ा एक पानी से भरा हुआ फल है, जो डायबिटीज, कैंसर और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों में बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसमें फाइबर, पोटैशियम, मैंगनीज, कॉपर और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों की मदद से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता भी मजबूत होती है।
सिंघाड़े में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हुए भी इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है। इसका मतलब है कि सिंघाड़े के कार्ब्स धीरे-धीरे टूटते हैं, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर तेजी से नहीं बढ़ता। इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसके अलावा, सिंघाड़े में फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कैंसर, डायबिटीज और हार्ट डिजीज में लाभकारी
सिंघाड़े के अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं, जो कि कई गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के कारण बन सकते हैं। एक शोध के मुताबिक, ये एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में होने वाले सूजन और स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं, जिससे इन बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।