Kya 35 saal ke bad bhi maa ban sakte hai: 35 की उम्र के बाद भी बन सकती हैं मां, लेकिन इन समस्याओं से हो सकता है सामना!
Kya 35 saal ke bad bhi maa ban sakte hai: वर्तमान समय में महिलाएं अपनी व्यक्तिगत इच्छा, बेहतर करियर और शिक्षा के लिए काफी मेहनत और प्रयास कर रही है। अपनी इन इच्छाओं के प्रति लगन होने की वजह से आज की कई महिलाएं अधिक उम्र में यानी 30 से 35 वर्ष के बाद मां बनने का फैसला कर रही हैं। जानिेए कौन-कौन सी समस्या हो सकती है..
Kya 35 saal ke bad bhi maa ban sakte hai: वर्तमान समय में महिलाएं अपनी व्यक्तिगत इच्छा, बेहतर करियर और शिक्षा के लिए काफी मेहनत और प्रयास कर रही है। अपनी इन इच्छाओं के प्रति लगन होने की वजह से आज की कई महिलाएं अधिक उम्र में यानी 30 से 35 वर्ष के बाद मां बनने का फैसला कर रही हैं। चिकित्सकीय भाषा में अधिक उम्र में गर्भधारण को एडवांस्ड मैटरनल एज (Advanced Maternal Age) या उच्च मातृ आयु कहा जाता है। वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र ने काफी वृद्धि की है,जिसके वजह से अधिक उम्र में भी मां बना जा सकता है लेकिन 35 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने पर कई प्रकार की शारीरिक चुनौतियां सामने आती हैं, जिसके बारे में महिलाओं को विस्तृत जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। आइए समझते है कि ऐसी कौन कौन सी समस्याएं है जिन्हें झेलना पड़ सकता है!
32 साल के बाद प्रजनन क्षमता में कमी
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की बच्चे पैदा करने की शक्ति उम्र के साथ साथ कम होती जाती है। एक पुरुष 60 साल की उम्र में भी पिता बन सकता है लेकिन महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ साथ अंडाशय में अंडों की संख्या तेजी से घटती है और साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। महिलाओं में 32 साल के बाद फर्टिलिटी व प्रजनन क्षमता में कमी शुरू हो जाती है और 40 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते यह काफी कम हो जाती है। अंडों की गुणवत्ता में कमी से क्रोमोसोमल विकार उत्पन्न हो जाते है, जिससे गर्भावस्था में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अधिक उम्र में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है
गर्भपात होने की दर उम्र के साथ काफी तेजी से बढ़ती है। 30 से 34 वर्ष की महिलाओं में गर्भपात का जोखिम लगभग 12 प्रतिशत होता है, यही 40 से 45 वर्ष की महिलाओं में 33 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। एडवांस्ड मैटरनल एज में कंसीव करने पर अंडों की गुणवत्ता में आने की वजह से भ्रूण ढंग से विकसित नहीं हो पाता, जिससे गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
होने वाले बच्चे में क्रोमोसोमल विकार का खतरा
महिलाओं में उम्र बढ़ने के बाद कंसीव करने पर भ्रूण के गुणसूत्रों में विकार आ जाती है। इस विकार के वजह से बच्चे में डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम और एडवर्ड्स सिंड्रोम जैसे विकार उत्पन्न हो जाते है। इन विकारों के साथ पैदा होने वाले बच्चों में हृदय, किडनी की समस्या, शारीरिक विकृतियां और दिमाग कम जैसी समस्या हो सकती है, इसलिए 35 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं को प्रसव के पूर्व जेनेटिक स्क्रीनिंग परीक्षण करवाने की सलाह दी जाती है।
मृत प्रसव का जोखिम बढ़ जाता है
मृत प्रसव होना किसी भी मां के लिए सबसे दुखद घटनाओं में से एक होता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों से यह पता चला है कि 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में मृत प्रसव का खतरा काफी बढ़ जाता है। बढ़ती उम्र के कारण महिलाओं में शुगर, ब्लड प्रेशर बढ़ना, प्री-एक्लेम्प्सिया, सी–सेक्शन और प्लेसेंटा से जुड़ी जटिल समस्याओं के कारण ऐसा होता है।
35 साल में कंसीव करने पर रखे कुछ सावधानियां
- कंसीव करने से पहले एक बार गाइनोकॉलजिस्ट से परामर्श लें ताकि वे बता सकें कि आपका शरीर गर्भधारण के लिए कितना तैयार है।
- सुरक्षित गर्भावस्था और प्रसव के पूर्व होने वाली समस्याओं की जांच के लिए एसआईटी टेस्ट जरूर करवाएं।
- अपनी बॉडी को फिट रखे व रोजाना हल्की एक्सरसाइज करें, जिससे प्रेग्नेंसी और डिलीवरी में आसानी होगी।
- 35 के बाद वजन और शुगर बढ़ना शुरू हो जाता है,जिससे कंसीव करने में दिक्कत होती है। इसलिए वजन और शुगर लेवल नियमित रूप से चेक करते रहें।
- गर्भधारण के बाद समय-समय पर डॉक्टर से मिलना और आवश्यक टेस्ट करवाना जरूरी है।
- अपने डाइट में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और अन्य ज़रूरी पोषक तत्वों को शामिल करें। यह बच्चे और आपकी सेहत के लिए जरूरी है।