DISSOCIATION : बेमतलब खिझना, हमेशा दुखी रहना...क्या आपके साथ भी होता है ऐसा ?... कहीं आप भी DISSOCIATION का शिकार तो नहीं

डिसोसिएशन की स्थिति में व्यक्ति के लिए लोगों से कनेक्ट होना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सभी के बीच होने के बावजूद अकेला महसूस होने लगता है। लोगों से घुलने-मिलने या इमोशंस बांटने में भी परेशानी होने लगती है।

Update: 2024-05-02 10:08 GMT

हमारी मेंटल हेल्थ भी फिजिकल हेल्थ जितनी ही जरूरी है। लेकिन मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में ये समस्याएं धीरे-धीरे हमारे लाइफस्टाइल को प्रभावित करने लगती हैं। हम बेवजह परेशान रहने लगते हैं और अपनी लाइफ को खुलकर नहीं जी पाते हैं।

ऐसी ही एक मानसिक स्थिति है डिसोसिएशन । इस मानसिक स्थिति में व्यक्ति खुद को दूसरों से अलग-थलग महसूस करने लगता है। इस स्थिति के लक्षणों को शुरुआत में समझना ही जरूरी है। क्योंकि सही समय पर इलाज न मिलने से यह स्थिति बढ़ भी सकती है। 

डिसोसिएशन की स्थिति में व्यक्ति के लिए लोगों से कनेक्ट होना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सभी के बीच होने के बावजूद अकेला महसूस होने लगता है। लोगों से घुलने-मिलने या इमोशंस बांटने में भी परेशानी होने लगती है।




याददाश्त कमजोर होते जाना

इस स्थिति में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है। उसे इंसान और चीजें याद रहना बंद हो जाती हैं। ऐसे में व्यक्ति को पुरानी बातें भी याद नहीं रहती हैं। वो धीरे-धीरे रोजमर्रा की चीजें भी भूलने लगता है।


खुद से अलग महसूस करना

डिसोसिएशन की स्थिति में व्यक्ति खुद से अलग-थलग महसूस करने लगता है। ऐसे में उसे महसूस होता है कि वो अपनी अलसी पर्सनालिटी में नहीं है। व्यक्ति को अपनी असल दूनिया सपने की तरह और सपना असल जिंदगी लगने लगता है। इस स्थिति में व्यक्ति के इमोशंस उसके कंट्रोल में नहीं होते हैं।

अपने इमोशंस खो देना

इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति अपने इमोशंस खोने लगता है। उसके लिए किसी भी भावना को महसूस कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति न ही खुशी और न दुख में फर्क कर पाता है। उसमें इमोशंस पूरी तरह से खत्म होने लगते हैं।

ख्वाबों में खोए रहना

इस मानसिक स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति ख्वाबों में खोए रहता है। उसके मन में कोई न कोई ख्याल चलता है जो उसकी असल जिंदगी से अलग होता है। ऐसे में व्यक्ति के लिए रियल लाइफ को एंजॉय करना काफी मुश्किल हो जाता है।

स्ट्रेस कंट्रोल करने में परेशानी होना

इस स्थिति में काम का प्रेशर थोड़ा भी बढ़ने से व्यक्ति इरिटेट होने लगता है। उसके लिए अपने स्ट्रेस और एंग्जायटी को कंट्रोल कर पाना भी मुश्किल हो जाता है।

डिसोसिएशन की स्थिति से कैसे बाहर आएं

  • पहले अपने इमोशंस को समझें और जानें कि आपके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।
  • अगर आपके लिए इमोशंस कंट्रोल करना मुश्किल है, तो अपना ध्यान किसी और चीज पर लगाएं या किसी से बात करें।
  • इसके बावजूद अगर आपको असर नजर नहीं आता है, तो एक्सपर्ट से संपर्क करें।
  • इन लक्षणों पर समय पर ध्यान न देने पर आपकी परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आता है, तो आपको एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। 
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