बड़ी खबर: AIIMS ने खोजा कैंसर का रामबाण इलाज; बच्चों के कैंसर में 75% रिकवरी, इलाज की बढ़ी उम्मीदें..

देश में कैंसर की समस्या अब एक आम बात होती जा रही है। बच्चें, बूढ़े और यहाँ तक की नौजवानों में भी ये बीमारी देखें को मिल रही है। आये दिन इसे लेकर बढ़ते मामले सामने आते रहते है।

Update: 2025-09-24 11:57 GMT

NPG FILE PHOTO

नई दिल्ली। देश में कैंसर का खतरा बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों, सभी में तेजी से बढ़ रहा है। 2022 के आँकड़ों के मुताबिक, भारत में 14.6 लाख से ज्यादा लोग कैंसर से जूझ रहे हैं। यह बीमारी अब किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। लेकिन इस निराशाजनक माहौल के बीच दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक बड़ी उम्मीद जगाई है।

AIIMS में बाल कैंसर के इलाज की सफलता दर पिछले एक दशक में 40% से बढ़कर 75% हो गई है, जो अपने आप में एक शानदार उपलब्धि है। इसका मतलब है कि, अब हर चार में से तीन बच्चे कैंसर को मात देकर एक स्वस्थ ज़िंदगी जी पा रहे हैं।

ठीक हो चुके बच्चों का डेटा

डॉक्टरों का मानना है कि, कैंसर से ठीक होने के बाद भी कई बच्चों में बीमारी के वापस आने का खतरा बना रहता है। साथ ही, इलाज में इस्तेमाल हुई दवाओं का असर 10 से 20 साल बाद भी उनकी सेहत पर दिख सकता है, जैसे हड्डियों का कमजोर होना, बार-बार इंफेक्शन होना और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ना।

इसी को देखते हुए, AIIMS ने एक नई और अहम पहल की है। यहाँ कैंसर से ठीक हो चुके बच्चों का एक डेटा बैंक या रजिस्ट्री तैयार की जा रही है। 2016 से शुरू हुई इस पहल में अब तक देश भर के 30 केंद्रों से 6000 बच्चों का डेटा रजिस्टर किया जा चुका है। अकेले AIIMS से ही 2000 बच्चे इसमें शामिल हैं। यह डेटा बैंक डॉक्टरों को बच्चों की सेहत पर लंबे समय तक नज़र रखने में मदद करेगा और भविष्य में कैंसर के इलाज को और भी ज्यादा कारगर बनाने के लिए अहम रिसर्च और नीतियाँ बनाने में इस्तेमाल होगा।

बदला इलाज का तरीका

डॉक्टरों का कहना है कि, अगर समय पर कैंसर का पता चल जाए तो 70% तक बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। AIIMS में हर साल लगभग 450-500 नए बाल कैंसर के मामले आते हैं। AIIMS के डेटा के मुताबिक़, एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया जैसे ब्लड कैंसर, जिसमें पहले सिर्फ 30% बच्चों का इलाज सफल हो पाता था, अब उसमें 80% तक सफलता मिल रही है। इसके आलावा बच्चों में होने वाले आँख के कैंसर में तो रिकवरी रेट 90% तक पहुँच गया है, जो एक बड़ी सफलता है।

बच्चों में बढ़ता कैंसर का खतरा

भारत में हर साल लगभग 76,000 बच्चों में कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले ल्यूकेमिया (खून का कैंसर) और लिम्फोमा के होते हैं, जो मिलकर एक-तिहाई से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, रेटिनोब्लास्टोमा (आँखों का कैंसर) भी एक चौथाई मामलों में देखा जाता है। बच्चों में ब्रेन ट्यूमर और हड्डी के ट्यूमर भी आम हैं। AIIMS में इलाज के लिए आने वाले ज्यादातर बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हैं, जिससे यह पता चलता है कि, देश के बाकी हिस्सों में अभी भी बच्चों के कैंसर के इलाज की सुविधा बहुत कम है।

जागरूकता बनी ढाल

डॉक्टरों ने बताया कि, अच्छी बात यह है कि, अब माता-पिता बच्चों की सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं। समय रहते डॉक्टर से सलाह लेने पर इलाज में देरी नहीं होती और जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। 

Tags:    

Similar News