Benefits of drumstick: 300 से अधिक बीमारियों में राम बाण है सहजन, पत्तियों के पाउडर में दूध से 17 गुना अधिक होता है कैल्शियम, जाने इसके खास फायदे...
Benefits Of Drumstick : सहजन, मुनगा, मोरेंगा या ड्रमस्टिक, आप जिस भी नाम से वाकिफ हों, शायद ये नहीं जानते होंगे कि इस फली को 300 से ज्यादा बीमारियों में राहत देने के लिए उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद में इसे अमृत समान कहा गया है। छत्तीसगढ़ में सहजन बहुतायत में होता है और आदिवासियों से लेकर शहरी लोग भी इसके स्वाद के मुरीद
हैं। इसकी सब्जी के अलावा, पत्तियों की चाय,चूर्ण, फली का अचार और चटनी जैसी बहुत सी चीजें यहां बनाई जाती हैं। इसके फूल और पेड़ की छाल भी उपयोगी हैं। आपको बताएं कि सहजन की सूखी हुई 100 ग्राम की पत्तियों के पाउडर में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम होता है। इसी बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह कितना पौष्टिक है। इसका पेड़ आसानी से उग जाता है और बहुत जल्दी बढ़ता भी है। सहजन के पोषक तत्व और खास फायदे जान लीजिए जिससे आप भी जल्द इसे अपनी डाइट में शामिल करने के लिए प्रेरित हों।
सहजन है पोषक तत्वों का खजाना
सहजन में कैल्शियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी1, विटामिन-बी2, विटामिन-बी6, विटामिन-सी, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम , फाइबर, प्रोटीन, सोडियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और जिंक जैसे गुणों से भरपूर होता है। इसमें एंटीफंगल, एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो इसे स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत लाभदायक बनाते हैं।
अब जानते हैं इसके फायदे
मज़बूत होंगी हड्डियां
कैल्शियम से भरपूर सहजन हड्डियों के लिए किसी औषधि से कम नहीं। कैल्शियम के साथ इसमें मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे तत्व भी होते हैं जो हड्डियों के निर्माण, मरम्मत और मजबूती के लिए जरूरी हैं। इसके सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया या जोड़ों के दर्द जैसी शिकायतों से भी छुटकारा मिलता है।
लीवर रहेगा स्वस्थ
सहजन में पाए जाने वाले फ्लेवेनाॅल हेपेटो प्रोटेक्शन देते हैं यानी लिवर को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाकर सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, सहजन को डाइट में शामिल कर आप लिवर की केयर कर सकते हैं।
पाचन बेहतर होगा
सहजन में फाइबर की काफी मात्रा पाई जाती है। इसलिए इसके सेवन से पेट और आंत की सफाई बहुत अच्छी तरह होती है। आंत के साफ रहने से कई तकलीफ़ें पास नहीं फटकतीं। एसिडिटी और कब्ज जैसी लंबे समय से चली आ रही समस्याएं भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
किडनी का काम करता है आसान
सहजन की पत्तियों की चाय या फलियों का सूप नियमित रूप से पीने से रक्त शुद्ध होता है। इसलिए किडनी को रक्त को शुद्ध करने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है। नालियां सुचारू रूप से काम करती हैं और स्वस्थ रहती हैं। स्वस्थ किडनी किसी वरदान से कम नहीं है।
दिल को रखे स्वस्थ
फाइबर से भरपूर सहजन बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसकी पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं,जो इन्फ्लेमेशन को रोकता है। कोलेस्ट्रॉल और इन्फ्लेमेशन हृदय के दुश्मन हैं। इसलिए सहजन के सेवन से हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
नहीं होते दाने- फुंसियां, स्किन करती है ग्लो
सहजन का सेवन करने से खून साफ होता है। शरीर के विषाक्त पदार्थों को यह बाहर निकाल देता है। रक्त अगर शुद्ध हो तो स्किन की बहुत सारी समस्याओं से निजात मिल जाती है। दाने, मुंहासे, फुंसियां आदि नहीं होतीं। साथ ही स्किन नेचुरली ग्लो करती है।इसके एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटीफंगल गुण रैशेज़ और त्वचा संबंधी संक्रमण या बीमारियों से बचाव करते हैं।
इम्यूनिटी डेवलप होती है
सहजन विटामिन्स का खजाना है। इसके नियमित सेवन से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और आप जल्दी बीमारियों की गिरफ्त में नहीं आते। इसमें विटामिन-ए, सी और आयरन भी होता है, जो अच्छी इम्यूनिटी के लिए ज़रूरी है।
मस्तिष्क के लिए है दवा समान
सहजन एंटीऑक्सिडेंट से समृद्ध होता है। इसलिए यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके पत्ते न्यूरोट्रांसमीटर के कामकाज में सुधार करते हैं। अल्जाइमर रोग जिसे भूलने की बीमारी के तौर पर जाना जाता है या डिमेंशिया जैसी बीमारियां जो दिमाग की नसों को क्षति पहुंचाती हैं, उन्हें ठीक करने में सहजन मदद करता है।
आँखें रहती हैं स्वस्थ
सहजन में विटामिन ए मौजूद होता है, इसलिए इसका सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं।
डायबिटीज़ में मददगार
कोलेस्ट्रॉल, लिपिड और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के स्तर को सहजन की पत्तियां कम करती हैं जो ब्लड शुगर का लेवल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। इसकी पत्तियों में महत्वपूर्ण फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो ब्लड में शुगर के स्तर को कम करते हैं।
पेट और दांत के कीड़े मारता है सहजन
छत्तीसगढ़ में माना जाता है कि छोटे बच्चों के पेट में यदि कीड़े हों तो उन्हें सहजन के पत्तों का रस देना चाहिए। वहीं दांतों में कीड़े हों तो इसकी छाल का काढ़ा पीना चाहिए। आदिवासी मानते हैं कि इसकी ताजी पत्तियों को तोड़ कर उसके रस की कुछ बूंदें कान में डालने से कान दर्द में आराम मिलता है।
साथ ही सहजन एंटी कैंसर, एंटी ओबेसिटी, एंटी ट्यूमर जैसे अनेक गुणों से समृद्ध है। हालांकि गांवों में गर्भवती महिलाओं को फली की सब्जी खिलाई जाती है और इसके पत्तों का काढ़ा पिलाया जाता है लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि से इस दौरान सहजन का सेवन नहीं करना चाहिए।क्योंकि इससे उनकी परेशानियां बढ़ सकती है। साथ ही जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उनको सहजन का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। डाॅक्टर से परामर्श के बाद ही इसे खाने में शामिल करना चाहिए।