पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा भी हो चुके हैं नस्लवाद का शिकार…

Update: 2020-06-10 14:14 GMT

नईदिल्ली 10 जून 2020। पूर्व भारतीय बल्लेबाज 2007 में मेरिलबोन क्रिकेट क्लब के लिए खेले थे। उन्होंने कहा कि उन्हें ‘पाकी’ बुलाया जाता था जो एक नस्लवादी शब्द हैं जिसे अंग्रेजी बोलने वाले देश दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के लिए इस्तेमाल करते हैं।
चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल से कहा, ‘हम (क्रिकेटर) कभी ना कभी, नस्लवाद का शिकार हुए हैं। मुझे याद है जब मैं इंग्लैंड में लीग क्रिकेट खेलता था तो एक प्रतिद्वंद्वी टीम में दो दक्षिण अफ्रीकी थे और दोनों अभद्र टिप्पणियां करते थे।’
उन्होंने कहा, ‘और यहां तक कि जब मैं बल्लेबाजी के दौरान दूसरे छोर पर होता था तो वे मेरे पीछे पड़े रहते थे। वे मुझे लगातार ‘पाकी’ बुलाते थे। कईयों को लगता है कि पाकिस्तान का छोटा स्वरूप पाकी है लेकिन यह सच नहीं है।

अगर आपका रंग ‘ब्राउन’ है। अगर आप एशियाई उपमहाद्वीप में कहीं से भी हो तो इस शब्द को नस्लीय टिप्पणी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।’ चोपड़ा ने कहा कि उनकी टीम ने उनका पूरा साथ दिया लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों ने नस्लवादी टिप्पणी करना नहीं छोड़ा।

इस 42 साल के खिलाड़ी ने भारत के लिए 10 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस समस्या की जड़े काफी गहरी हैं। चोपड़ा ने कहा, ‘अगर आपकी त्वचा का रंग सफेद है तो भी ऐसा होता है। जब वे दुनिया के इस हिस्से में आते हैं तो उनसे भी इसी तरह का व्यवहार किया जाता है।’

 

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