The Historical Origin of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नाम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि; जानिए 36 गढ़ों का इतिहास

The Historical Origin of Chhattisgarh: भारत के मध्य में बसा छत्तीसगढ़ केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। इस प्रदेश के नाम की जड़ें उसके प्राचीन इतिहास से जुड़ी हुई हैं। “छत्तीसगढ़” शब्द का अर्थ है—छत्तीस गढ़ अर्थात् छत्तीस किले। यह नामकरण केवल भौगोलिक विशेषता नहीं बल्कि एक संगठित शासन और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

Update: 2025-09-09 10:33 GMT

The Historical Origin of Chhattisgarh: भारत के मध्य में बसा छत्तीसगढ़ केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। इस प्रदेश के नाम की जड़ें उसके प्राचीन इतिहास से जुड़ी हुई हैं। “छत्तीसगढ़” शब्द का अर्थ है—छत्तीस गढ़ अर्थात् छत्तीस किले। यह नामकरण केवल भौगोलिक विशेषता नहीं बल्कि एक संगठित शासन और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

कलचुरी राजवंश और गढ़ों का विभाजन

छत्तीसगढ़ के इतिहास में कलचुरी राजवंश का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। ग्यारहवीं से अठारहवीं शताब्दी तक इस वंश ने क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरी वंश के शासक सिंघन देव ने शासन को दो मुख्य शाखाओं में बाँटा—रतनपुर शाखा और रायपुर शाखा।

इन दोनों शाखाओं के अधीन कुल 36 गढ़ थे। रतनपुर शाखा के अधीन 18 गढ़ और रायपुर शाखा के अधीन 18 गढ़ आते थे। इसकी जानकारी ब्रम्हदेव के खल्लारी शिलालेख से मिलती है। यही “छत्तीस गढ़” समय के साथ इस भू-भाग की पहचान बन गए और प्रदेश का नाम “छत्तीसगढ़” पड़ा।

रतनपुर और रायपुर के गढ़

गढ़ केवल किलों की संरचनाएँ नहीं थे, बल्कि ये सैन्य, प्रशासनिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र हुआ करते थे। रतनपुर उत्तरी क्षेत्र का प्रमुख केंद्र था जबकि रायपुर दक्षिणी क्षेत्र का। दोनों शाखाओं के बीच शिवनाथ नदी बहती है। दोनों शाखाओं के गढ़ों ने न केवल शासन व्यवस्था को सुदृढ़ किया बल्कि कला, संस्कृति और धर्म का भी संरक्षण किया।

रतनपुर के 18 गढ़ :

  • रतनपुर
  • उपरोड़ा
  • मारो
  • विजयपुर
  • खरौद
  • कोटगढ़
  • नवागढ़
  • सोढ़ी,
  • ओखर,
  • पडरभट्ठा,
  • सेमरिया,
  • मदनपुर,
  • कोसगई,
  • करकट्टी,
  • लाफा,
  • केंदा,
  • मातिन गढ़,
  • पेण्ड्रा,

रायपुर शाखा के 18 गढ़:

  • रायपुर,
  • पाटन,
  • सिगमा,
  • सिंगारपुर,
  • लवन,
  • अमीर,
  • दुर्ग,
  • सारधा,
  • सिरसा,
  • मोहदी,
  • खल्लारी,
  • सिरपुर,
  • फिंगेश्वर,
  • सुवरमाल,
  • राजिम,
  • सिंगारगढ़,
  • टेंगनागड़,
  • अकलवाड़ा,

नामकरण से जुड़ी अन्य मान्यताएँ

यद्यपि “36 गढ़ों” की परंपरा सबसे प्रामाणिक मानी जाती है, किंतु अन्य मान्यताएँ भी प्रचलित हैं। कुछ विद्वान इसे देवी मंदिरों के 36 स्तंभों से जोड़ते हैं, जबकि कुछ का मत है कि गोंड शासकों के समय में यहाँ 36 प्रमुख किले थे। किंतु उपलब्ध ऐतिहासिक स्रोत कलचुरी शासन द्वारा किए गए गढ़ विभाजन को ही सबसे मजबूत आधार मानते हैं।

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