प्रमोशन में कमाल: रिक्त से अधिक पदों पर कर दिया प्रमोशन...जांच में दोषी पाए जाने पर DPI ने कार्रवाई करने कहा तो DEO साहब ने पत्र दबा दिया
NPG न्यूज
रायपुर/बिलासपुर। पदोन्नति मामले में केवल जेडी के हाथ रंगे हैं ऐसा नहीं है डीईओ भी इससे अछूते नहीं हैं। बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश कौशिक तो इन सब से चार कदम आगे निकल गए। 1 साल पहले सहायक ग्रेड 2 के पदों पर की गई पदोन्नति में हुई धांधली का मामला सामने आने के बाद राज्य कार्यालय ने जेडी से इसकी जांच कराई। जेडी ने अपनी रिपोर्ट में जिस कर्मचारी को दोषी पाया उसके विरुद्ध डीपीआई ने मार्च 2023 में पत्र लिखकर 15 दिनों के भीतर कार्यवाही करके अवगत कराने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी उस पत्र पर ही ऐसा कुंडली मारकर बैठ गए हैं कि आज 5 माह गुजर जाने के बाद भी मामले में दोषी पाए गए कर्मचारी पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
प्रमोशन में खेला का यह मामला सहायक ग्रेड 3 से सहायक ग्रेड 2 के पद पर पदोन्नति का है जिसे वैधानिक रूप से गलत माना गया है। यही नहीं जितने रिक्त पद थे उस से अधिक पदों पर पदोन्नति कर दी गई। इसके बाद जिन संस्थाओं में पद रिक्त नहीं थे उन संस्थाओं में भी पदोन्नत कर्मचारियों को उनकी इच्छा के अनुसार नियुक्ति दे दी गई। उनके वेतन की व्यवस्था ऐसे कार्यालयों से बनाई गई जहां पद रिक्त हैं। यानी कर्मचारी सेवा उस संस्था में दे रहे हैं जहां पद रिक्त ही नहीं है और सैलरी उस संस्था से ले रहे हैं जहां पर पद रिक्त है। और उन्हें काम करना था। यही नहीं पदोन्नति में आरक्षण का लाभ भी नहीं देना था लेकिन पदोन्नति करते समय विकलांगता के आधार पर एक लिपिक हितेश वैष्णव को लाभ दिया गया है जिसे जांच रिपोर्ट में गलत माना गया है। इन सारी गलतियों का खुलासा होने के बाद लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर 22 मार्च को यह निर्देशित किया था की जिला शिक्षा अधिकारी इस मामले में दोषी लिपिक सुनील यादव पर कार्रवाई करके 15 दिनों के भीतर पालन प्रतिवेदन उच्च कार्यालय को प्रस्तुत करेंगे और पत्र में सीधे तौर पर यह अंकित है कि सुनील यादव द्वारा किया गया कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विपरीत है अत: उन पर अत्यावश्यक अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाए। उसके बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी ने दोषी लिपिक पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की और मामले को ही दबा दिया।
सूत्रों का कहना है, जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यकाल में यह गड़बड़ी हुई, ऐसे में वह नहीं चाहते थे कि यह मामला सामने आए। इसलिए पत्र पर ही कुंडली मारकर बैठ गए। और ताज्जुब की बात है कि उच्च कार्यालय ने भी इस मामले का संज्ञान लेना उचित नहीं समझा। ऐसे यह पहला मामला नहीं है। पदोन्नति के मामले में ही जिला शिक्षा अधिकारी डी के कौशिक ने एक शिक्षक रंजन कुमार वर्मा को आदेश जारी होने के 6 माह बाद उनके पदोन्नत संस्था में कार्यभार ग्रहण करवा दिया है, जिसका कोई प्रावधान ही नहीं था। और पदोन्नति आदेश स्वत: निरस्त हो चुका था। इसी प्रकार प्रशासनिक ट्रांसफर हुए एक शिक्षक दुष्यंत कुमार चौबे को रिलीव करने की बजाए उनकी संस्था में प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया और जब मीडिया ने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार कौशिक से जानकारी लेनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि इन्हें कोर्ट से रिलीव मिला है और अभ्यावेदन समिति द्वारा की गई कार्यवाही के विषय में उन्हें जानकारी नहीं है। जबकि, कोर्ट ने कर्मचारी को सिर्फ और सिर्फ 31 मार्च तक की मोहलत दी थी। क्योंकि कर्मचारी ने कोर्ट में अपने भतीजे के क्लास 12th में होने का भी तर्क दिया था जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया था। ऑर्डर में ही 31 मार्च 2023 तक की मोहलत दी थी साथ ही अभ्यावेदन समिति ने भी कर्मचारी की याचिका अस्वीकृत कर दी है इसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी ने कर्मचारी को रिलीव भी नही किया।