Bilaspur Highcourt News: शासन करवाएगा प्रवेश परीक्षाएं, हाईकोर्ट में शासन के अंडरटेकिंग के बाद कोर्ट ने किया केस डिस्पोज...
Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। प्रदेश में संचालित व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाएं अब तक आयोजित नहीं हो पाई है। जिसको लेकर प्रदेश के निजी व्यवसायिक कालेजों ने प्राइवेट प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट बनाकर याचिका दाखिल की थी। दाखिल याचिका पर आज हुई अंतिम सुनवाई के बाद शासन की अंडरटेकिंग लेकर अदालत ने केस डिस्पोज कर दिया है।
प्रदेश के इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक, नर्सिंग,बीएड, डीएड, वेटनरी, एग्रीकल्चर जैसे व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु व्यापम के द्वारा प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 19 सितंबर 2022 को प्रदेश में आरक्षण का प्रतिशत 58 परसेंट करने के फैसले को असंवैधानिक बता दिया गया था। साथ ही 50% आरक्षण के आधार पर आगे की भर्तियां व प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करवाने के निर्देश दिए थे। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण का प्रतिशत 76 परसेंट करने का बिल पास कर राज्यपाल के पास भेजा था जो अभी भी राज्यपाल के पास लंबित है। जिसके चलते व्यापम ने अभी तक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु दी जाने वाले भर्ती परीक्षाओं की तिथि घोषित नहीं की है। जिसके चलते निजी शैक्षणिक संस्थानों में प्राइवेट, प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट बना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, और प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाने के लिए आदेश देने की मांग की थी।
मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को जस्टिस पी सेम कोसी की सिंगल बेंच में हुई थी। जिसमें अदालत ने शासन को शपथ पत्र पेश कर यह बताने के लिए कहा था कि व्यापम प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाएगा या नहीं। मामले की सुनवाई आज अदालत में हुई। हालांकि आज सुनवाई से पहले ही बीके मनीष ने इस पर आपत्ति जताई थी। उनकी आपत्ति के अनुसार जस्टिस पी सेम कोसी पूर्व में आरक्षण मामले की अधिवक्ता रहने के दौरान पैरवी कर चुके हैं। जिसके चलते उनकी जगह डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए।
पर आज मामले की सुनवाई जस्टिस पी सेम कोसी की सिंगल बेंच में ही हुई। जिसमें अदालत ने शासन से परीक्षाएं आयोजित करवाने को लेकर अंडरटेकिंग लिया। हालांकि परीक्षा आयोजित करने को लेकर कोई समय सीमा तय करने की जानकारी नहीं मिली है। शासन के द्वारा परीक्षा आयोजित करवाने के अंडरटेकिंग के आधार पर अदालत ने केस डिस्पोज कर दिया। वही प्राइवेट प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट के अधिवक्ता ने भी इस फैसले पर कोई आपत्ति नही जताई।
वही मामले में बीके मनीष का कहना है कि अदालत के आदेश से कोई स्प्ष्टता नही आई है। 1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसमें प्रवेश परीक्षाओं का कोई उल्लेख नही है। हाईकोर्ट के आदेश में आरक्षण का कोई उल्लेख नही है। जिससे अनिश्चितता की स्थिति बनेगी। न ही कोई परीक्षा योजना ही शासन ने पेश की है। न्यायमूर्ति जस्टिस पी सेम कोसी ने आरक्षण मामले में पूर्व में अधिवक्ता रहते पैरवी की थी। जिसके चलते उन्हें सुनवाई से अलग हो जाना था। इस आधार पर फिर से मामले में अपील की जा सकती है।