Bilaspur High Court: CG छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बच्चों को परोसा जा रहा है घटिया खाना: हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर किया जवाब तबल
Bilaspur High Court: केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना का जिम्मेदार भट्ठा बैठाने पर तुले हुए हैं। सेंट्रल किचन से 120 स्कूलों के बच्चों के लिए घटिया भोजन परोसा जा रहा है। बच्चों के बजाय इसे मवेशी खा रहे हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने राज्य शासन, कलेक्टर बिलासपुर,डीईओ बिलासपुर व बीईओ बिल्हा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना का जिम्मेदार भट्ठा बैठाने पर तुले हुए हैं। सेंट्रल किचन से 120 स्कूलों के बच्चों के लिए घटिया भोजन परोसा जा रहा है। बच्चों के बजाय इसे मवेशी खा रहे हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने राज्य शासन,कलेक्टर बिलासपुर, डीईओ बिलासपुर व बीईओ बिल्हा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मीडिया में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। राज्य शासन,कलेक्टर बिलासपुर,डीईओ बिलासपुर व बीईओ बिल्हा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
मध्यान्ह भोजन में दिए जाने वाले चावल, दाल व सब्जी की क्वालिटी बहुत खराब होती है। गुणवत्ताविहीन भोजन के चलते अधिकांश बच्चों ने सेंट्रल किचन से मिलने वाले मध्यान्ह भोजन को खाना बंद कर दिया है। बच्चों ने जब खाने से मना किया तब रसोइए और स्कूल स्टाफ इसे जानवरों को खिलाते हैं। यह रोजमर्रा का नियम बन गया है। यही कारण है कि मध्यान्ह भोजन के वक्त स्कूल परिसर के आसपास मवेशियों का झुंड इकट्टा रहता है।
शहरी इलाके के करीब 120 शासकीय और मान्यता प्राप्त प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को मध्यान्ह भोजन आपूर्ति करने की जिम्मेदारी सेंट्रल किचन को सौंपी गई है। इसका ठेका नगर निगम द्वारा किया गया है। एमडीएम की राशि का भुगतान बीईओ, बिल्हा द्वारा किया जाता है। एमडीएम आपूर्ति के एवज में सेंट्रल किचन को हर महीने लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद भी स्कूली बच्चों को घटिया भोजन परोसा जा रहा है। जिम्मेदारों द्वारा मानिटरिंग नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा स्कूली बच्चे भुगत रहे हैं।
खुले मैदान में फेंक रहे भोजन
सेंट्रल किचन से प्रतिदिन स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्यावार भोजन की आपूर्ति की जाती है। गुणवत्ता ठीक ना होने के कारण बच्चे खा नहीं रहे हैं। पूरा भोजन स्कूल परिसर के बाहर खाली जगह पर फेंकना पड़ रहा है।