Session App Explained: क्या है Session App? दिल्ली ब्लास्ट केस में जिसका इस्तेमाल आरोपी कर रहे थे, जानें कैसे काम करता है ये एन्क्रिप्टेड चैट ऐप
Session App: दिल्ली ब्लास्ट में NIA जांच के दौरान सामने आया Session App का नाम। बिना नंबर या ईमेल के चलता है ये चैट ऐप, जो डेटा सेव नहीं करता। जानिए क्यों बना जांच एजेंसियों के लिए चुनौती।
नई दिल्ली। 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके ने राजधानी को हिला दिया था। इस ब्लास्ट में 10 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इस मामले में कई नए खुलासे सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसियों को अब पता चला है कि इस हमले में शामिल संदिग्ध डॉ. उमर नबी ने Session App नामक एक खास चैटिंग एप्लिकेशन के जरिए अपने साथियों से संपर्क किया था। यह ऐप अपनी एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग और अनट्रेसेबल कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए जाना जाता है।
क्या है Session App?
Session एक प्राइवेट मैसेजिंग ऐप है जो गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है। इसे ऑस्ट्रेलिया की कंपनी Loki Foundation ने डेवलप किया है। इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता। इसका मतलब है कि यूजर्स के मैसेज किसी एक जगह सेव नहीं होते, जिससे डेटा ट्रैक या लीक होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। यह ऐप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है और यूज़र की पहचान छिपाने के लिए Oxen नेटवर्क पर चलता है जो एक विकेंद्रीकृत (decentralized) इंफ्रास्ट्रक्चर है।
बिना मोबाइल नंबर या ईमेल के अकाउंट बनाना
Session ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें यूज़र्स को न तो मोबाइल नंबर देना होता है और न ही ईमेल आईडी। ऐप हर यूज़र को एक यूनिक Session ID देता है, जिससे वे चैटिंग कर सकते हैं। यानी, किसी की पहचान का कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं रहता। यह वजह है कि साइबर एक्सपर्ट्स इस ऐप को सिक्योर लेकिन मिसयूज़-प्रोन भी मानते हैं।
कैसे सामने आया इसका इस्तेमाल
NIA और दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि कार में सवार आरोपी डॉ. उमर नबी ने धमाके से पहले और बाद में अपने सहयोगियों से Session App के जरिए बातचीत की थी। यह कम्युनिकेशन एन्क्रिप्टेड चैनल पर हुआ, जिससे इसका डेटा रीकवर करना बेहद मुश्किल है। जांच एजेंसियां फिलहाल इस ऐप से निकले संभावित डिजिटल ट्रेल को ट्रेस करने में जुटी हैं।
कौन कर रहा है जांच?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी है। एजेंसी ने 10 अफसरों की एक स्पेशल टीम बनाई है, जिसकी कमान ADG विजय सखारे के पास है। टीम तकनीकी साक्ष्यों और डिजिटल उपकरणों से जुड़े सभी सुरागों को एक-एक कर खंगाल रही है।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
Session जैसे ऐप सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं क्योंकि इनमें किसी भी यूज़र की लोकेशन मोबाइल नंबर या चैट लॉग नहीं मिलता। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे ऐप्स अभिव्यक्ति की आज़ादी और डिजिटल प्राइवेसी के लिए अच्छे तो हैं लेकिन अगर इनका इस्तेमाल आतंक या आपराधिक गतिविधियों में हो तो ये जांच को कठिन बना देते हैं।