New GST 2025: कपड़े-जूते सस्ते, लग्जरी गाड़ियां महंगी! जानें क्या हुआ सस्ता-क्या महंगा
GST Council Meeting 2025: भारत में नया GST स्लैब लागू। अब 5%, 18% और 40% टैक्स दरें होंगी। कपड़े, जूते, दवाएं और इलेक्ट्रॉनिक्स सस्ते, जबकि लग्जरी गाड़ियां, तंबाकू और कोयला होंगे महंगे।
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New GST 2025: नई दिल्ली: भारत की टैक्स व्यवस्था में एक ऐतिहासिक सुधार हो चुका है। 3 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की, जिसमें 12% और 28% जीएसटी स्लैब को खत्म कर तीन नए स्लैब लागू करने पर सहमति बनी। अब टैक्स ढांचा 5%, 18% और 40% में बंटेगा।
बैठक के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि यह नया ढांचा 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। इस बदलाव का सीधा असर आम आदमी से लेकर बड़े उद्योगपतियों तक सब पर पड़ेगा।
क्या सस्ता हुआ?
नए जीएसटी ढांचे के तहत कई चीजें आम जनता के लिए सस्ती हो जाएंगी। सबसे बड़ा फायदा कपड़े और जूतों पर मिलेगा। अब 2,500 रुपये तक के कपड़े और जूतों पर टैक्स 12% से घटकर 5% हो गया है। इसी तरह घी, मक्खन, स्नैक्स, अचार, रेडी-टू-ईट फूड्स जैसी खाद्य वस्तुएं भी अब सस्ती हो जाएंगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को भी राहत मिली है। टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और 1,200 सीसी तक की छोटी गाड़ियों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% कर दिया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं में भी बड़ी राहत दी गई है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी 18% से घटकर 5% कर दिया गया है। जीवन रक्षक दवाएं भी अब कम दाम पर मिलेंगी।
कुल मिलाकर करीब 175 वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स घटाया गया है, जिनमें ट्रैक्टर और साइकिल भी शामिल हैं।
क्या महंगा हुआ?
नए ढांचे का सबसे बड़ा असर सिन और लग्जरी गुड्स पर पड़ा है। तंबाकू, पान मसाला और शराब जैसी चीजों पर जीएसटी 40% कर दिया गया है। वहीं 50 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली SUVs और लग्जरी गाड़ियों पर भी 40% जीएसटी लगेगा।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) पर भी झटका लगा है। 20-40 लाख रुपये की EVs पर टैक्स 5% से बढ़कर 18% हो गया है। 40 लाख से अधिक कीमत वाली EVs पर 40% टैक्स लगेगा। इससे टाटा मोटर्स, महिंद्रा और टेस्ला जैसी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
कोयला और ऊर्जा क्षेत्र पर भी असर दिखेगा। कोयले पर जीएसटी 5% से बढ़कर 18% हो गया है। इससे बिजली उत्पादन महंगा हो सकता है और बिजली बिलों पर असर पड़ सकता है।
पेट्रोल-डीजल और बिजली का हाल
पेट्रोल और डीजल पर फिलहाल जीएसटी लागू नहीं है, लेकिन ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ने से इनके दाम प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, छोटी गाड़ियों पर टैक्स घटने से ऑटो सेक्टर को राहत जरूर मिलेगी।
बिजली उत्पादन महंगा होने की आशंका है क्योंकि कोयले पर टैक्स बढ़ा है। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी का कहना है कि फिलहाल आपूर्ति सामान्य रहेगी, लेकिन भविष्य में खर्च बढ़ सकता है।
MSME और निर्यातकों को बड़ी राहत
नए ढांचे में छोटे उद्योगों और निर्यातकों का भी ध्यान रखा गया है।MSME और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन से घटाकर 3 दिन कर दिया गया है।निर्यातकों को जीएसटी रिफंड अब ऑटोमैटिक मिलेगा।रिटर्न फाइलिंग का नया और आसान सिस्टम भी लाया जाएगा।
विपक्षी राज्यों की नाराज़गी
बैठक में कई विपक्षी राज्यों ने नाराजगी भी जताई। पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल ने कहा कि 40% स्लैब से होने वाला राजस्व राज्यों को मिलना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि बिना मुआवजे के यह सुधार राज्यों की माली हालत बिगाड़ देगा।
2017 में जीएसटी लागू होने के समय केंद्र ने पांच साल तक राजस्व घाटे की भरपाई का वादा किया था, जो 2022 में खत्म हो गया। अब कई राज्य चाहते हैं कि नई व्यवस्था में उन्हें और वित्तीय मदद मिले।
उपभोक्ता को राहत
नए स्लैब से आम उपभोक्ताओं को राहत जरूर मिलेगी। SBI रिसर्च का अनुमान है कि औसत जीएसटी दर 11.6% से घटकर 9.5% हो जाएगी। इससे महंगाई में 20-25 बेसिस पॉइंट तक की कमी आ सकती है।
सरकार ने कंपनियों को साफ चेतावनी दी है कि टैक्स घटाने का सीधा असर कीमतों पर दिखना चाहिए, न कि मुनाफाखोरी के रूप में। इससे FMCG, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल कंपनियों को फायदा होगा, लेकिन जनता को भी इसका लाभ मिलना जरूरी है।
56वीं जीएसटी परिषद की बैठक ने भारत के टैक्स ढांचे में बड़ा सुधार किया है। कपड़े, जूते और दवाएं सस्ती होंगी, लेकिन लग्जरी गाड़ियां, तंबाकू और बिजली महंगी हो सकती हैं। यह फैसला जनता के लिए राहत और राज्यों के लिए चुनौती दोनों लेकर आया है।