GPS Spoofing Explained: क्या दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ साइबर हमला? जानिए क्या है जीपीएस स्पूफिंग? भारत मेंअब तक कितनी घटनाएं हुईं?

GPS Spoofing Explained: दिल्ली एयरपोर्ट पर उड़ानों में देरी के बाद GPS Spoofing की चर्चा तेज़ है। जानिए क्या है जीपीएस स्पूफिंग, भारत मेंअब तक कितनी घटनाएं हुईं और DGCA की जांच क्या कहती है।

Update: 2025-11-08 12:22 GMT

GPS Spoofing Explained: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर उड़ानों में देरी और नेविगेशन सिस्टम में गड़बड़ी के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या देश के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट पर GPS Spoofing यानी साइबर हमला हुआ है? बीते दो दिनों में 800 से ज़्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं। जांच के बाद यह साफ़ होगा कि असली वजह तकनीकी खराबी थी या सैटेलाइट सिग्नल में छेड़छाड़।

क्या है जीपीएस स्पूफिंग?
GPS Spoofing एक साइबर हमला है जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं ताकि किसी विमान या डिवाइस को गलत लोकेशन दिखाई दे। मतलब अगर असली पोजीशन दिल्ली में है तो सिस्टम उसे जयपुर दिखा सकता है। विमानों के मामले में यह बेहद खतरनाक होता है क्योंकि इससे नेविगेशन सिस्टम गुमराह हो सकता है और फ्लाइट रूट प्रभावित होता है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर क्या हुआ?
बीते हफ्ते IGI एयरपोर्ट पर उड़ान सेवाएं बाधित हुईं। एटीसी ने इसे ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम की तकनीकी खराबी बताया हैं लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि GPS सिग्नल में गड़बड़ी भी एक बड़ी वजह हो सकती है।
मंगलवार को विमानों की नेविगेशन एक्यूरेसी मापने वाला पैरामीटर कैटेगरी वैल्यू सामान्य स्तर 8 से गिरकर 0 पर पहुंच गया जो एक्सट्रेमेली अनयूजुअल है। कई पायलटों ने भी सिग्नल मिसमैच और रूट डिविएशन की शिकायत दर्ज कराई है।
फिलहाल दिल्ली एयरपोर्ट के मुख्य रनवे का इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) अपग्रेड के लिए बंद है। इस कारण विमानों को सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन पर डिपेंड रहना पड़ रहा है यानी GPS सिग्नल ही प्राइमरी गाइड है।  ऐसे में अगर स्पूफिंग होती है तो विमान गलत सिग्नल पकड़ सकता है। इसे ही फिलहाल जांच का मुख्य आधार माना जा रहा है।
जांच में क्या सामने आया?
DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने इन घटनाओं पर जांच शुरू की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक गड़बड़ी दिल्ली से 60 नॉटिकल मील (करीब 110 किमी) के दायरे में ज़्यादा नोट की गई। DGCA टेक्निकल एक्सपर्ट्स और एयरलाइंस के डेटा के जरिए यह पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि यह गड़बड़ी सिग्नल की थी या सिस्टम की।
भारत में GPS स्पूफिंग की स्थिति
सरकार ने संसद में बताया था कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 जीपीएस स्पूफिंग घटनाएं भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र (अमृतसर और जम्मू) में रेकार्ड की गईं। ये घटनाएं ज़्यादातर पाकिस्तान की सीमा के पास होती हैं जहां दोनों देशों के रक्षा नेटवर्क सिग्नल जैमिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब इन का दायरा दिल्ली तक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
दुनिया में GPS स्पूफिंग के बड़े उदाहरण
कजाकिस्तान (दिसंबर 2024): अज़रबैजान एयरलाइंस का विमान गिरा, 38 लोगों की मौत हुई। माना गया कि रूसी रक्षा प्रणाली के GPS स्पूफिंग सिग्नल ने रूट बदल दिया था।
म्यांमार (मार्च 2025): भारतीय वायुसेना के राहत विमान को चीन समर्थित सिस्टम से स्पूफिंग का सामना करना पड़ा।
ये घटनाएं दिखाती हैं कि GPS Spoofing सिर्फ़ तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि आधुनिक साइबर युद्ध का हिस्सा बन चुकी है।
क्या सीमा से आ रही हैं तकनीकी दिक्कतें?
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान सीमा पर तैनात GPS जैमर्स और डिफेंस बेस्ड सिग्नल्स इंटरफेरेंस कई बार उत्तर भारत के भीतर उड़ान भरने वाले विमानों को भी प्रभावित करते हैं। इससे सिग्नल Unstable हो जाता है और विमान का नेविगेशन अस्थायी रूप से गड़बड़ा सकता है।
सरकार और DGCA की अगली कार्यवाही
DGCA ने एयरलाइंस से सभी फ्लाइट डेटा और नेविगेशन रिपोर्ट मांगी हैं। एविएशन मंत्रालय ने सैटेलाइट निगरानी एजेंसियों से भी संपर्क किया है ताकि यह तय किया जा सके कि यह वास्तविक स्पूफिंग थी या केवल GPS degradation।
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