Delhi Air Pollution: ऐसे लोग छोड़ दें दिल्ली... डॉ. रणदीप गुलेरिया की चेतावनी, हवा में सांस लेना 10 सिगरेट के बराबर
Delhi Air Pollution: AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली की हवा में सांस लेना ऐसा है जैसे रोज़ 8-10 सिगरेट पीना। उन्होंने कमजोर फेफड़ों वाले लोगों को दिल्ली छोड़ने की सलाह दी। जानिए प्रदूषण के असली खतरे और बचाव के उपाय।
Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर ज़हरीली हो चुकी है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। सोमवार को दिल्ली का औसत AQI 366 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह 400 से ऊपर पहुंच गया। इस खतरनाक स्तर को देखकर AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी दी है कि यह हवा कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
दिल्ली की हवा में सांस लेना मतलब रोज़ 10 सिगरेट पीना
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली की हवा में सांस लेना ऐसा है जैसे कोई व्यक्ति रोजाना 8 से 10 सिगरेट पी रहा हो। यानी प्रदूषण का असर शरीर पर उतना ही नुकसान करता है जितना लगातार सिगरेट पीने से होता है। पिछले 10 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि साल के करीब 70% दिन दिल्ली की हवा ‘खतरनाक’ श्रेणी में रहते हैं।
साइलेंट किलर है वायु प्रदूषण
AIIMS के पूर्व डायरेक्टर ने वायु प्रदूषण को साइलेंट महामारी बताया। उन्होंने कहा कि साल 2024 में दुनिया भर में लगभग 81 लाख लोगों की मौत सिर्फ प्रदूषण के कारण हुई जो कोविड-19 से भी ज्यादा है। उनके अनुसार यह खतरा हमारे फेफड़ों, दिल, दिमाग और ब्लड वेसल्स को धीरे-धीरे कमजोर करता है।
कमज़ोर फेफड़ों वाले लोग दिल्ली छोड़ दें
डॉ. गुलेरिया ने सलाह दी कि जिन लोगों को अस्थमा, सांस की तकलीफ या फेफड़ों की कमजोरी है, उन्हें फिलहाल दिल्ली छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा अगर आपके फेफड़े कमजोर हैं तो कृपया दिल्ली से दूर चले जाएं।
आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा हालात में AQI 300 से 400 के बीच है, जो "बहुत खराब" से "गंभीर" श्रेणी में आता है। इस स्तर पर हवा सांस, दिल और दिमाग पर बुरा असर डालती है।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक का बढ़ता खतरा
डॉ. गुलेरिया के मुताबिक हवा में मौजूद PM2.5 और छोटे प्रदूषक कण सिर्फ फेफड़ों में नहीं रुकते वे खून में घुल जाते हैं और शरीर में सूजन पैदा करते हैं। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक खराब हवा में रहना पार्किंसन और कैंसर जैसी बीमारियों का भी कारण बन सकता है।
बच्चे और बुज़ुर्ग सबसे अधिक प्रभावित
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि बच्चे तेज़ी से सांस लेते हैं इसलिए उनके शरीर में प्रदूषक कण ज़्यादा प्रवेश करते हैं। जब वे सुबह या शाम के समय बाहर खेलते हैं, तब स्मॉग ज़्यादा होता है और खतरा और बढ़ जाता है। इससे फेफड़ों की ग्रोथ रुक सकती है और जीवनभर की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कैसे करें बचाव
बाहर निकलते समय N95 मास्क का प्रयोग करें।
एयर प्यूरीफायर या पौधों से घर के अंदर की हवा शुद्ध रखें।
सुबह-शाम आउटडोर एक्सरसाइज़ से बचें।
AQI ऐप्स पर हवा की स्थिति देखकर ही बाहर निकलें।
बच्चों और बुजुर्गों को ज़हरीली हवा से दूर रखें।
दिल्ली की हवा अब सिर्फ एक एनवायर्नमेंटल कंसर्नस नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लये आपातकाल बन चुकी है। डॉ. गुलेरिया की चेतावनी साफ है अगर हम अभी नहीं चेते तो यह ज़हर आने वाली पीढ़ियों की सांसें छीन लेगा।