Supreme Court: संपत्ति अधिकार और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला

Supreme Court News: संपत्ति में हिस्सा या अधिकार को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने साफ कहा है, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 HSA अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों पर लागू नहीं होता है।

Update: 2025-10-29 09:57 GMT

supreme court of india (NPG file photo)

Supreme Court News: दिल्ली। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय करोल व जस्टिस प्रशांत मिश्रा की डिवीजन बेंच ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बेटियों को संपत्ति का उत्तराधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार मिलेगा, ना कि आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा निर्देश हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2 (2) के विपरीत है।

अधिनियम की धारा 2 (2) के अनुसार, अधिनियम में निहित कोई भी व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (25) के अर्थ में किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगी, जब तक कि केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्देश जारी ना करे। यह अपील हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के 2015 के फैसले से उत्पन्न हुई थी, जिसमें एक दूसरी अपील पर निर्णय देते हुए यह टिप्पणी की गई थी कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बेटियों का अधिकार प्रथागत कानूनों के बजाय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम द्वारा शासित होना चाहिए ताकि सामाजिक अन्याय और शोषण को रोका जा सके।

सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने तिरिथ कुमार एवं अन्य बनाम दादूराम एवं अन्य (2024) में अपने पहले के फैसले पर भरोसा जताते हुए दोहराया कि अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के दायरे से स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया है। बेंच ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 2 के प्रावधानों के मद्देनजर, हाई कोर्ट द्वारा उपरोक्त कोई भी निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

तिरिथ कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संसद से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को अनुसूचित जनजातियों तक विस्तारित करने का आग्रह किया। कमला नेती बनाम एलएओ (2023) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया कि केंद्र सरकार इस मामले पर विचार करे और यदि आवश्यक हो तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के उन प्रावधानों में संशोधन करे, जिनके द्वारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होता।

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