Bilaspur Highcourt News: नदियों के संरक्षण के लिए बनेगी कमेटी: प्रदेश की 19 नदियों के उद्गम स्थलों के संरक्षण के लिए हाई कोर्ट ने कमेटी बनाने दिया आदेश
Bilaspur Highcourt News:– अरपा सहित प्रदेश के 19 नदियों के उद्गमस्थलों के संरक्षण के लिए कमेटी बनाने का हाईकोर्ट ने शासन को आदेश दिया है। याचिकार्ताओं ने सुनवाई के दौरान बताया कि शासन के रिकॉर्ड में अधिकांश नदियों के उद्गम स्थलों को नाले के रूप में दिखाया गया है जो कि आपत्तिजनक है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि उद्गम स्थलों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर चिन्हांकित किया जाए। सुनवाई के दौरान अरपा नदी में अवैध उत्खनन के चलते हुए गड्ढों से हो रहे हादसों का जिक्र आने पर अदालत ने इस पर भी गंभीर चिंता जताई है।
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अरपा नदी के उद्गम स्थल के संरक्षण और अवैध खनन से जुड़े मामलों में गंभीर रुख अपनाते हुए प्रदेश की 19 नदियों के उद्गम स्थलों के संरक्षण के लिए कमेटी गठित करने का आदेश राज्य शासन को दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि उद्गम स्थलों को राजस्व रिकार्ड में दर्ज कर चिन्हांकित किया जाए। शासन को इस संबंध में शपथपत्र दाखिल कर विस्तृत जानकारी देनी होगी। मामले की अगली सुनवाई सितंबर में निर्धारित की गई है।
कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई:
अरपा नदी के संरक्षण को लेकर एडवोकेट अरविंद शुक्ला और रामनिवास तिवारी द्वारा अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें अरपा नदी के उद्गम स्थल के संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम और अवैध खनन पर कठोर कदम उठाने की मांग की गई है। इसके अलावा अरपा अर्पण महा अभियान समिति ने भी याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि शासन के प्रतिबंध के बावजूद अरपा नदी में कई स्थानों पर खुलेआम अवैध खनन किया जा रहा है। यही नहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया गया कि बारिश के दिनों में खनन से बने गहरे गड्ढे में तीन बालिकाओं की मौत भी हो चुकी है। इस पर भी हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए संयुक्त रूप से सभी मामलों की सुनवाई शुरू कर दी है।
पूर्व की भागवत कमेटी का हुआ जिक्र:
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभुदत्त गुरु की युगल पीठ में मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पूर्व में अरपा नदी के संरक्षण के लिए भागवत कमेटी का गठन किया गया था, जो उद्गम स्थल को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय थी। इसके समर्थन में छह साल पुराने समाचार पत्रों की कटिंग कोर्ट में प्रस्तुत की गईं। शासन ने स्वीकार किया कि अरपा नदी के लिए कमेटी का गठन किया गया है, लेकिन अन्य नदियों के लिए ऐसी कोई समिति नहीं बनाई गई है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी नदियों के उद्गम स्थलों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और उनके संरक्षण हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं।
उद्गम स्थलों को नाले के रूप में दर्शाने पर नाराजगी:
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि शासन के रिकार्ड में अधिकांश नदियों के उद्गम स्थलों को नाले के रूप में दिखाया गया है, जो कि असंगत और आपत्तिजनक है। कोर्ट ने इस पर भी कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह स्थिति तत्काल सुधारी जानी चाहिए। सुनवाई में यह भी बताया गया कि जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) जिले के कलेक्टर द्वारा अरपा नदी के उद्गम स्थल की पहचान के लिए लायडर सर्वे का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, जिसकी लागत करीब 2 करोड़ 60 लाख रुपये थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि ऐसे कार्यों के लिए अत्यधिक खर्च की बजाय स्थानीय और व्यावहारिक समाधान खोजे जाने चाहिए।