Chhattisgarh High Court: 17 साल की नाबालिग को 21 सप्ताह का गर्भ, कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात कराने की अनुमति

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। इसके पहले हाई कोर्ट ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर पीड़िता का स्वास्थ्य परीक्षण करने व अर्बाशन की स्थिति में उसके स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ेगा।

Update: 2024-12-12 11:12 GMT

Chhattisgarh High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने बलौदाबाजार की 17 वर्षीय नाबालिग पीड़िता के 21 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। बता दें कि याचिकाकर्ता पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से पहले कोर्ट ने स्वास्थ्य के संबंध में विशेषज्ञ चिकित्स्कों से रिपोर्ट मांगी थी। हाई कोर्ट ने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और डॉ. भीमराव अंबेडकर शासकीय चिकित्सालय रायपुर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में नाबालिग का गर्भपात करने का निर्देश जारी किया है।

पीड़िता सिकलसेल व एनीमिया से है पीड़ित

कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि भ्रूण को रोके रखने से पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने अपने आदेश में लिखा है कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता एनीमिया और सिकलसेल जैसी जटिल व गंभीर बीमारियों से ग्रसित है, जिससे गर्भपात के दौरान भी उसे जोखिम हो सकता है। अगर इस जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है और पीड़िता के जान को जोखिम ना हो तो विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी देखरेख में गर्भपात कराएं।

अर्बाशन के बाद प्रीजर्व रखना होगा ब्लड सैंपल

कोर्ट ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की रिपोर्ट के आधार पर नाबालिग पीड़िता और उसके माता पिता की सहमति के बाद गर्भपात की अनुमति दी है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि गर्भपात के बाद भ्रूण के टिश्यू और रक्त के नमूने प्रीजर्व कर रखे जाएं, ताकि भविष्य में डीएनए टेस्ट का काम आ सके।

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