CG Train Accident:ट्रेन हादसे में हुई थी एक दर्जन मौतें और 20 हुए थे घायल, प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में रेलवे प्रबंधन की गंभीर लापरवाही आई सामने

CG Train Accident: बिलासपुर स्टेशन के पास 4 नवंबर को मेमू ट्रेन के हादसे की कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी बीके मिश्रा जांच कर रहे थे। उनकी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। जिसके अनुसार ट्रेन के परिचालन में गंभीर लापरवाही बरती गई थी। साइको प्रशिक्षण में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद लोको पायलट को यह कहते हुए में मेमू चलाने दे दिया गया था कि वह असिस्टेंट लोको पायलट के साथ ट्रेन चला सकता है। ग्रेडिंग मूल्यांकन में भी लोको पायलट की संतोष जनक जानकारी नहीं मिली है। इसके अलावा मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है।

Update: 2025-12-09 13:02 GMT

CG Train Accident: बिलासपुर। 4 नवंबर को बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास हुई मालगाड़ी और मेमू लोकल की भिड़ंत की भीषण रेल दुर्घटना की कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) द्वारा की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसमें रेलवे सिस्टम और अफसरों की बड़ी चूक को प्रमुख कारण बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जिस लोको पायलट को सिंगल मैन वर्किंग मेमू ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई थी, वह मनोवैज्ञानिक (सायको) परीक्षण में अनुत्तीर्ण था। इसके बावजूद उसे यात्रियों से भरी ट्रेन के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी गई, जो सीधे तौर पर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है।

CRS की अंतिम रिपोर्ट अभी आना बाकी है, लेकिन फिलहाल रेल प्रशासन को इस प्रारंभिक रिपोर्ट पर अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा। गौरतलब है कि इस हादसे में लोको पायलट सहित 12 यात्रियों की मौत हुई थी, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए थे।

हादसे के अगले दिन मौके पर पहुंचे थे CRS अधिकारी

4 नवंबर की शाम लालखदान के समीप गेवरारोड–बिलासपुर के बीच चल रही मेमू ट्रेन खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस घटना की जांच की जिम्मेदारी कोलकाता के मुख्य संरक्षा आयुक्त बी.के. मिश्रा को सौंपी गई थी। मिश्रा अपनी टीम के साथ हादसे के अगले दिन ही बिलासपुर पहुंचे और स्थल निरीक्षण के साथ मेमू ट्रेन में बैठकर ट्रायल रन भी किया।

91 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान दर्ज

जांच प्रक्रिया के दौरान CRS अधिकारियों ने 91 से ज्यादा रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ की। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी तलब किए गए। दस्तावेजों की समीक्षा, घटनास्थल निरीक्षण और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि दुर्घटना का मूल कारण ट्रेन संचालन में की गई त्रुटि है।

22 नवंबर 2024 को CLC द्वारा किए गए ग्रेडिंग मूल्यांकन में लोको पायलट की सुरक्षा पुस्तिकाओं और संशोधित स्लिप्स की जानकारी भी संतोषजनक नहीं मिली। यह मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं माना जाता।

रेल प्रशासन ने नियमों को दरकिनार कर दी थी ट्रेन चलाने की अनुमति

जांच में यह तथ्य सामने आया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने रेलवे बोर्ड के 15 अक्टूबर 2024 के उस आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें साफ कहा गया है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षण पास किए बिना किसी भी लोको पायलट को मेमू चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके विपरीत जोन ने अपने स्तर पर अलग नियम लागू कर दिया।

जांच के दौरान जोन के अधिकारियों ने यह कहते हुए बचाव किया कि यदि लोको पायलट साइको टेस्ट में फेल हो तो उसके साथ सहायक लोको पायलट तैनात कर ट्रेन चलाई जा सकती है। हालांकि CRS ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया और इसे नियमविरुद्ध बताया।

प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आई प्रमुख गड़बड़ियां

  • सक्षमता प्रमाणपत्र में अनियमितताएं पाई गईं
  • ACTM (AC Traction Manual) में निर्धारित प्रारूप का पालन नहीं
  • प्रमाणपत्र में यह उल्लेख नहीं कि किस सेक्शन में कार्य की अनुमति दी गई है
  • किस प्रकार के इंजन के लिए प्रमाणपत्र जारी किया गया है, इसका विवरण अनुपस्थित
  • ACTM-31216 और ACTM-31217 के अनुसार न तो रजिस्टर संधारित और न ही सर्विस रिकॉर्ड में प्रविष्टि की गई

रेल प्रशासन ने कहा अभी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार

अधिकारियों का कहना है कि CRS की ओर से दी गई यह केवल प्रारंभिक रिपोर्ट है, जिस पर रेलवे प्रशासन अपना जवाब देगा। इसके बाद सभी साक्ष्यों के विस्तृत परीक्षण के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी, जिसमें हादसे की वास्तविक वजह और जिम्मेदारियां निर्धारित की जाएंगी।

मामले में बिलासपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह ने बताया कि “यह प्रारंभिक रिपोर्ट है। रेलवे को इस पर अपना जवाब देना है। अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही जिम्मेदारी तय की जाएगी। अभी इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।”

सीनियर डीसीएम ने यह भी बताया कि “हादसे की हाई-लेवल जांच की गई है। कलकत्ता से कमिश्नर खुद आए थे। जब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आती, इसे गोपनीय रखा जाता है। उसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।”

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