CG Train Accident News: साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल होने के बावजूद लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन चलाने की दी थी अनुमति, जांच में आ रहे तथ्य सामने...
CG Train Accident News: बिलासपुर में हुए ट्रेन हादसे की जांच में लगातार तथ्य सामने आ रहे है। मालगाड़ी ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन चलवाने से पहले साइकोलॉजिकल टेस्ट लिया जाता है। जिसमें पास होने पर ही पैसेंजर ट्रेन चलाने की जवाबदारी दी जाती है। पर साइकोलॉजिकल टेस्ट में फैल होने के बावजूद लोको पायलट से पैसेंजर ट्रेन चलवाया जा रहा था। जिसकी वजह से दुर्घटना हुई। सीआरएस जांच में इसका खुलासा हुआ है।
CG Train Accident News: बिलासपुर। ट्रेन हादसे के बाद सीआरएस जांच चल रही है। जांच में पता चला है कि लोको पायलट का रेलवे के साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो चुका था। इसके बाद भी रेलवे ने उसे पैसेंजर ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी। जबकि इस टेस्ट में असफल होने वाले लोको पायलट से पैसेंजर ट्रेन चलवाने का नियम नहीं है। रेलवे ने इस परीक्षा को गंभीरता से नहीं लिया।
सीआरएस (कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी) ने 6 नवंबर को दस से ज्यादा अधिकारी व कर्मयारियों का बयान दर्ज किया। इस दौरान उनके कामकाज के संबंध में पूछताछ की गई। इसमें एरिया बोर्ड के एससीआर से लेकर एआरटी, एआरएमवी इंचार्ज और कंट्रोलर डिपार्टमेंट के अधिकारी-कर्मचारियों से वन-टू-वन घंटों बातचीत की गई। लोको पायलट विद्यासागर पहले मालगाड़ी चलाते थे। करीब एक महीने पहले ही उन्हें प्रमोशन देकर पैसेंजर ट्रेन परिचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रेलवे के नियमों के अनुसार किसी भी चालक को जब मालगाड़ी से पैसेंजर ट्रेन में पदोन्नत किया जाता है, तो उससे पहले उसका साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है, जिसे पास करना अनिवार्य है। यह परीक्षा चालक की मानसिक संतुलन, त्वरित निर्णय क्षमता और आपात स्थिति में प्रतिक्रिया का आकलन करती है। वहीं, रेलवे अधिकारियों को विद्यासागर के साइकोलॉजिकल टेस्ट पास नहीं करने की जानकारी थी, फिर भी उन्हें सहायक चालक के साथ ट्रेन परिचालन की अनुमति दी गई।
मदद के समय कहां थे एआरटी और एआरएमवी इंचार्ज
डीआरएम कार्यालय में जांच के बाद कमिश्नर ऑफ रेल सेफ्टी बीके मिश्रा ने पहले दिन सभी जरूरी विभागों के इंचार्ज और सहयोगी कर्मचारियों से पूछताछ की। जांच में सबसे पहले एरिया बोर्ड के एससीआर पूजा गिरी को बुलाया गया। उनसे घटना के दौरान उनकी उपस्थिति, पैनल और सिस्टम में आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा। ड्राइवरों से उनके कम्युनिकेशन सिस्टम सहित अन्य जानकारी ली। पहले दिन एरिया बोर्ड के एससीआर से लेकर एआरटी, एआरएमवी इंचार्ज समेत कंट्रोलर पूछताछ के लिए बुलाए गए। इस दौरान सीआरएस ने सभी इंचार्ज से डेढ़ घंटे तक अलग-अलग पूछताछ की।
शुक्रवार को भी हुआ बयान दर्ज
जांच टीम ने एआरटी, एआरएमवी के इंचार्ज अंशु कुमार और रवि किरण से भी अलग-अलग पूछताछ की। अंशु कुमार से एआरटी के रवाना होने और मौके पर पहुंचने का समय पूछा। उनके पूछा कि रवाना होते समय एआरटी में कितने अधिकारी उस पर सवार हुए। वेन में सभी जरूरी संसाधन थे या नहीं? इसके बाद एआरएमवी के इंचार्ज रवि किरण से घटना की सूचना मिलने के बाद रवाना होने और पहुंचने का समय जाना। मेडिकल वेन में जरूरी संसाधन की जानकारी ली। सीआरएस ने लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट से भी अलग-अलग पूछताछ की।
डीआरएम कार्यालय में हुई पूछताछ
सीआरएस जांच के लिए सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बुलाया गया था। सभी सुबह से डीआरएम कार्यालय की लॉबी मेें बैठे थे। उन्हें दोपहर में सिर्फ लंच के लिए 1 घंटे छोड़ा गया। इसके बाद फिर से भी लॉबी में आकर अपनी-अपनी कुर्सियों में बैठ गए और रात 10 बजे तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। लेकिन पहले दिन करीब 10 लोगों से ही पूछताछ हो सकी।