CG Train Accident: बड़ा रेल हादसा: CRS की 30 पेज की रिपोर्ट में सामने आई 16 खामियां: रेलवे सिस्टम की कई तकनीकी खामियों का खुलासा

CG Train Accident: गेवरा-बिलासपुर मेमू रेल हादसे में CRS रेल संरक्षा आयुक्त की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। जांच रिपोर्ट में 16 बड़ी और गंभीर खामियों का खुलासा किया गया है। रेल हादसे के बाद राहत व बचाव कार्य में सात मिनट की देरी हुई। यह देरी गंभीर रूप से घायल यात्रियों के लिए भारी पड़ गई। समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता तो, कई और जानें बचाई जा सकती थी। सीआरएस ने रेलवे सिस्टम की कई तकनीकी खामियां भी गिनाई है, जिसके चलते दुर्घटना घटी। मृत लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट पर हादसे की जिम्मेदारी थोप दी गई है। इनकी लापरवाही और चूक को रेल हादसे का सबसे बड़ा कारण माना गया है।

Update: 2025-12-11 07:37 GMT

CG Train Accident CRS Report: बिलासपुर। गेवरा-बिलासपुर मेमू रेल हादसे में CRS रेल संरक्षा आयुक्त की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। जांच रिपोर्ट में 16 बड़ी और गंभीर खामियों का खुलासा किया गया है। रेल हादसे के बाद राहत व बचाव कार्य में सात मिनट की देरी हुई। यह देरी गंभीर रूप से घायल यात्रियों के लिए भारी पड़ गई। समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता तो, कई और जानें बचाई जा सकती थी। सीआरएस ने रेलवे सिस्टम की कई तकनीकी खामियां भी गिनाई है, जिसके चलते दुर्घटना घटी। मृत लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट पर हादसे की जिम्मेदारी थोप दी गई है। इनकी लापरवाही और चूक को रेल हादसे का सबसे बड़ा कारण माना गया है।

CRS की रिपोर्ट में लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट पर दुर्घटना की जिम्मेदारी थोप दी गई है। रिपोर्ट में लोको पायलट पर गंभीर लापरवाही बरतने की बात है। एप्टीट्यूड टेस्ट में फेल होने के बाद उसे पैंसेजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी अफसरों ने दे दी। लोको पायलट रेल अफसरों से पूछ-पूछ कर ट्रेन चला रहा था।

रिपोर्ट पर नजर डालें तो उन रेल अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, जिसने एप्टीट्यूड टेस्ट में फेल होने के बाद मृत लोको पायलट को पैंसेजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दे दी। एक सवाल यह भी उठ रहा है कि उन अफसरों ने इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया जिनसे पूछकर लोको पायलट ट्रेन चला रहा था। सिस्टम की खामियों की ओर इशारा करने और कार्रवाई करने में बड़ा फर्क है। जिम्मेदार रेलवे अफसरों को क्यों अभयदान दिया जा रहा है, यह भी एक बड़ा सवाल उठ रहा है।

CRS की 30 पेज की रिपोर्ट में ट्रेन संचालन में गंभीर चूक, सिग्नल नियमों की अनदेखी, लोको पायलट की गलत निर्णय क्षमता और रेलवे सिस्टम की कई तकनीकी खामियों को रेल हादसे की वजह बताई गई है।

CRS की जांच रिपोर्ट में इस तरह के सुझाव भी

. चलती ट्रेन में वीडियो सर्विलांस सिस्टम को आरडीएसओ के मानकों के हिसाब से जल्द से जल्द लागू किया जाए।

. मेमू ट्रेनों में एडवांस ऑक्जिलियरी वार्निंग सिस्टम लगाया जाए, जो सिग्नल तोड़ने पर खुद ही इमरजेंसी ब्रेक लगा दे।

. लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की योग्यता प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया एसीटीएम मापदंड के अनुरुप हो।

. दुर्घटना में मृतक क्रू मेंबर्स के पीएम में ब्लड अल्कोहल की जांच को शामिल किया जाए।

. मेमू ट्रेनों में डेटा को तुरंत भेजने यानी रियल टाइम डेटा ट्रांसमिशन की सुविधा हो।

. मेमू चलाने के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट पास लोको पायलटों की कमी को दूर किया जाए।

. एएलपी की ड्यूटी में इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए स्पष्ट निर्देश जनस्ल रूल्स में शामिल किया जाए।

. सभी निगरानी उपकरणों की घड़ी को जीपीएस टाइम से अपने आप मिलाने यानी ऑटो-सिंक्रोनाइज की व्यवस्था की जाए।

दुर्घटना के बाद राहत व बचाव में 7 मिनट का हुआ विलंब

हादसे के बाद राहत बचाव कार्य में हुई देरी को गंभीर चूक माना है। रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना की सूचना दोपहर 3:55 बजे मिली और 3:56 बजे रिलीफ मेडिकल ट्रेन भेजने का ऑर्डर जारी किया गया। स्टाफ को अलर्ट करने वाला इमरजेंसी हूटर 7 मिनट विलंब से 4:04 से 4:09 बजे के बीच बजा। मालगाड़ी और पैंसंजर ट्रेन के टक्कर में कोच के मुड़ जाने से यात्रियों को बाहर निकालने में दिक्कतें आई। इससे राहत व बचाव कार्य की गति धीमी हो गई।

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