Bilaspur High Court: दुष्कर्म, 20 साल की सजा और मेडिकल रिपोर्ट में शर्मसार करने वाला खुलासा
Bilaspur High Court: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में एक व्यक्ति को स्पेशल कोर्ट ने 20 साल की सजा के साथ ही जुर्माना ठाेंक दिया। स्पेशल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को रद्द कर करते हुए दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है।
दरअसल, 12 से 16 साल के उम्र तक एक पीड़िता के साथ कई बार दुष्कर्म हुआ। दुष्कर्म करने वाला कोई युवा नहीं बल्कि शादी-शुदा एक व्यक्ति था। पीड़िता के परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर पाक्सो कोर्ट में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई और जुर्माना भी ठाेंक दिया। पाक्सो कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की। हाई कोर्ट ने केस डायरी के साथ ही चिकित्सकीय परीक्षण की रिपोर्ट मंगाई। चिकित्सकीय परीक्षण की रिपोर्ट में जिन बातों का खुलासा किया गया था वह बेहद चौंकाने वाली थी। मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही पीड़िता के बर्थ डे में दी गई गलत जानकारी के आधार पर स्पेशल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है।
दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शादी-शुदा व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी देकर उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया। जब पहली बार दुष्कर्म किया तब उसकी उम्र महज 12 साल थी। अंतिम बार जब दुष्कर्म किया तब वह 16 वर्ष की थी। इस बीच आरोपी ने पीड़िता के साथ कई बार दुष्कर्म किया। बस्तर निवासी दुष्कर्म पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि नेशादी-शुदा पड़ोसी ने 2015 में उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया था। उसके बाद कई बार संबंध बनाया। जून 2019 में आरोपी ने उसे रात को बगीचा के पीछे बुलाया जब वह गई तो संबंध बनाया। इस घटना की जानकारी उसने परिजनों को दी।
जन्म तिथि को लेकर असमंजस
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने बताया कि पीड़िता की जन्म तिथि 29 अगस्त 2003 है। पीड़िता के अनुसार पड़ोसी ने उसके साथ 06 अक्टूबर .2015 को पहली बार शारीरिक संबंध बनाया। किया था। पेश दस्तावेज के अनुसार तब उसकी उम्र तकरीबन 12 वर्ष दो महीने थी।आरोपी पड़ोसी ने 13/06/2019 को आखिरी बार शारीरिक संबंध बनाया। तब उसकी उम्र 16 वर्ष के करीब थी। दुष्कर्म के आरोपी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि पीड़िता कीज जन्म तिथि के संबंध में कोई विश्वसनीय दस्तावेज नहीं है। गांव के कोटवारी दस्तावेज में जन्म तिथि दर्ज नहीं है। पीड़िता का पिता जन्म तिथि बताने में असमर्थ है । जन्म तिथि पर दखिल ख़ारिज रजिस्टर,के अलावा कोई अन्य दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है।
मेडिकल रिपोर्ट में कुछ ऐसा खुलासा
हाई कोर्ट में पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट पेश करते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि पीड़िता शारीरिक संबधं बनाने की अभ्यस्त थी। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने माना कि पीड़िता की सहमति के आधार पर ही पड़ोसी ने शारीरिक संबंध बनाया। हाई कोर्ट ने इसी आधार पर स्पेशल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए दुष्कर्म के आरोपी याचिकाकर्ता को दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त करते हुए रिहाई का आदेश दिया है।