Bilaspur High Court : बिलासपुर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: संविदा महिला कर्मचारी को भी है मातृत्व अवकाश का अधिकार

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संविदा कर्मचारियों के रूप में काम करने वाली महिलाओं को भी मातृत्व अवकाश स्वीकृत करने से इंकार नहीं किया जा सकता। मातृत्व अवकाश का वेतन उन्हें मिलना चाहिए। मातृत्व अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार में मातृत्व का अधिकार और प्रत्येक बच्चे का पूर्ण विकास का अधिकार भी सम्मिलित है।

Update: 2025-04-13 08:38 GMT
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Bilaspur बिलासपुर l संविदा कर्मियों के लिए हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि केवल संविदा कर्मचारी होने के आधार पर मातृत्व अवकाश का वेतन देने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्टाफ नर्स को अवकाश अवधि का वेतन देने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने कहा कि मातृत्व और शिशु की गरिमा के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। इसे प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं किया जा जा सकता। कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा मातृत्व अवकाश वेतन की मांग पर नियमानुसार तीन माह के माह के भीतर निर्णय लिया जाए।

याचिकाकर्ता राखी वर्मा, जिला अस्पताल कबीरधाम में स्टाफ नर्स के रूप में संविदा पर कार्यरत है। उन्होंने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था।21 जनवरी 2024 को एक कन्या को जन्म दिया और 14 जुलाई 2024 को पुन: ड्यूटी ज्वाइन की। इसके बावजूद, उन्हें मातृत्व अवधि का वेतन नहीं दिया गया। इससे उन्हें और उनके नवजात को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। उन्होंने 25 फरवरी 2025 को सीएमएचओ को वेतन की मांग का आवेदन दिया।

0 अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है, ताकि महिला व उसके बच्चे का पूर्ण व स्वस्थ विकास हो हो सके। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार में मातृत्व का अधिकार और प्रत्येक बच्चे के पूर्ण विकास का अधिकार भी शामिल है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया है।

0 राज्य सरकार को दिया निर्देश

हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम, 2010 के नियम 38 एवं अन्य लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार शासन को विचार करने और आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर इस संबंध में उपयुक्त निर्णय पारित करने निर्देश भी दिया है।

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