Bastar Investor Connect: विष्णुदेव सरकार की नीतियों से निवेश, विकास और विश्वास की नई पहचान बना बस्तर, बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट में 967 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव

Bastar Investor Connect: छत्तीसगढ़ का बस्तर अब नक्सलवाद का नहीं, बल्कि विकास और विश्वास का नया डेस्टिनेशन बनने जा रहा है। वहां अब माओवादियों की गोलियों की तड़तड़ाहट की जगह अब कल-कारखानों के आवाज सुनाई देंगे। यह संभव हुआ है राज्य सरकार की नई नीतियों की बदौलत।

Update: 2025-10-24 13:10 GMT

Bastar Investor Connect: रायपुर। बस्तर आज विकास की स्वर्णिम सुबह का प्रतीक बनकर उभर रहा है। जो क्षेत्र कभी उपेक्षा और अभाव की पहचान से जूझता था, वह अब निवेश, अवसर और रोजगार का नया केंद्र बन रहा है। यहाँ हर क्षेत्र,उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और पर्यटन में समावेशी विकास की गूंज सुनाई दे रही है। यह बदलाव न केवल बस्तर की तस्वीर बदल रहा है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य की गाथा लिख रहा है।

बस्तर में एनएमडीसी द्वारा 43,000 करोड़ तथा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल हेतु 200 करोड़ का निवेश किया जा रहा है। ये निवेश बस्तर की आधारभूत संरचना को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। बड़े सार्वजनिक निवेशों के साथ-साथ लगभग 1,000 करोड़ का निजी निवेश भी सेवा क्षेत्र और एमएसएमई में किया जा रहा है। यह विविधीकृत विकास रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा और समावेशी व सतत विकास को सुनिश्चित करेगा। कुल मिलाकर लगभग 52,000 करोड़ की प्रतिबद्धताओं के साथ बस्तर औद्योगिक और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का नया केंद्र बन रहा है।

बस्तर में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। स्टील प्लांट के समीप समर्पित सीमेंट प्लांट, मोटर रिपेयर एवं वाइंडिंग, मशीन एवं फैब्रिकेशन शॉप्स, पंप रिपेयर जैसी सहायक इकाइयों को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही लोहा और इस्पात उद्योग से जुड़े पिग आयरन, टीएमटी बार, एंगल/चैनल, वायर रॉड्स और ब्राइट बार के उत्पादन की भी बड़ी संभावनाएं हैं।

बस्तर को मिला पहला 350 बेड का निजी अस्पताल

जगदलपुर में पहली बार 350 बेड का मल्टी-स्पेशियलिटी निजी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज स्थापित होने जा रहा है। इसके लिए रायपुर स्टोन क्लिनिक प्रा. लि. को “इनविटेशन टू इन्वेस्ट” पत्र जारी किया गया है। 550 करोड़ रुपये के निवेश और 200 रोजगार अवसरों के साथ यह परियोजना बस्तर की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊँचाई देगी और इसे मेडिकल शिक्षा का केंद्र बनाएगी। इसके अतिरिक्त, जगदलपुर में 33 करोड़ रुपये के निवेश से एक और मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल तथा नवभारत इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा 85 करोड़ रुपये के निवेश से 200 बेड का मल्टी-सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित किया जाएगा। ये पहल न केवल आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करेंगी, बल्कि सैकड़ों युवाओं को रोजगार भी प्रदान करेंगी।

खाद्य प्रसंस्करण में नई शुरुआत

बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर और कोंडागांव में आधुनिक राइस मिल और फूड प्रोसेसिंग इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा और स्थानीय युवाओं के लिए अनेक रोजगार अवसर सृजित होंगे। नारायणपुर जिले में पार्श्वा एग्रीटेक प्रतिवर्ष 2,400 टन परबॉयल्ड चावल का उत्पादन करेगी। 8 करोड़ रुपये के निवेश और नए रोजगार के साथ यह परियोजना बस्तर की कृषि उपज को वैल्यू एडिशन का नया आधार देगी।

वेलनेस और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में प्रगति

जगदलपुर में नमन् क्लब एंड वेलनेस सेंटर 7.65 करोड़ रुपये के निवेश और 30 रोजगार अवसरों के साथ स्थापित हो रहा है। वहीं पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में एएस बिल्डर्स एंड ट्रेडर्स तथा सेलिब्रेशन रिजॉर्ट्स एंड होटल्स बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करेंगे। माँ दंतेश्वरी वेनियर्स और अली फर्नीचर जैसी इकाइयाँ बस्तर की पारंपरिक कारीगरी को आधुनिक बाजारों से जोड़ेंगी। शंकरा लेटेक्स इंडस्ट्रीज 40 करोड़ रुपये के निवेश से सर्जिकल ग्लव्स निर्माण इकाई स्थापित करेगी, जिससे 150 रोजगार अवसर सृजित होंगे। यह भारत की स्वास्थ्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डेयरी और कृषि-आधारित उद्योग

बस्तर डेयरी फार्म प्रा. लि. 5.62 करोड़ रुपये का निवेश कर दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण को गति देगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। पीएस ब्रिक्स और महावीर माइन्स एंड मिनरल्स जैसी कंपनियाँ ईंट और स्टोन क्रशर क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं, जिससे निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और बुनियादी ढांचा सशक्त होगा। कांकेर, भानुप्रतापपुर और कोंडागांव में नए वेयरहाउसिंग केंद्र स्थापित हो रहे हैं। दंतेश्वरी कोल्ड स्टोरेज जैसी परियोजनाएँ किसानों की उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने, बर्बादी घटाने और लाभ बढ़ाने में मदद करेंगी।

रेल-सड़क परियोजनाओं से बड़ा बदलाव

बस्तर के विकास को गति देने के लिए सरकार ने 5,200 करोड़ की रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें रावघाटदृजगदलपुर नई रेल लाइन (3,513.11 करोड़) और केके रेल लाइन (कोत्तवलसादृकिरंदुल) के दोहरीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। ये परियोजनाएँ न केवल बस्तर में यात्रा, पर्यटन और व्यापार को नई दिशा देंगी, बल्कि युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोज़गार और औद्योगिक अवसर भी सृजित करेंगी। बेहतर रेल कनेक्टिविटी से नक्सलवाद उन्मूलन के प्रयास और मजबूत होंगे तथा बस्तर विश्वसनीय निवेश और समावेशी विकास का केंद्र बनकर उभरेगा।

2300 करोड़ की सड़क परियोजनाएं

बस्तर में 2300 करोड़ की सड़क विकास परियोजनाएं भी स्वीकृत की गई हैं। कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला यह संभाग अब छत्तीसगढ़ के सबसे विकसित और समृद्ध क्षेत्रों में से एक बनने की राह पर है। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर मार्ग का एक वैकल्पिक रास्ता बना रही हैं, जो कांकेर, अंतागढ़, नारायणपुर के अबूझमाड़ होते हुए दंतेवाड़ा के बारसूर और आगे बीजापुर तक पहुंचेगा।

इन परियोजनाओं से बस्तर के सभी जिलों तक पहुंचने के लिए कई रास्ते उपलब्ध होंगे, जिससे दूरियां कम होंगी और योजनाओं व विकास कार्यों की पहुंच और अधिक प्रभावी होगी। यह आधुनिक सड़क नेटवर्क न केवल आवागमन की सुविधा बढ़ा रहा है, बल्कि सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति के नए द्वार भी खोल रहा है। इस प्रकार, बस्तर अब संघर्ष की भूमि से आगे बढ़कर संपर्क, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक बन रहा है।

निजी निवेश और समावेशी विकास

बड़े सार्वजनिक निवेशों के साथ-साथ लगभग 1,000 करोड़ का निजी निवेश भी सेवा क्षेत्र और एमएसएमई में किया जा रहा है। यह विविधीकृत विकास रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा और समावेशी व सतत विकास को सुनिश्चित करेगा। कुल मिलाकर लगभग 52,000 करोड़ की प्रतिबद्धताओं के साथ बस्तर औद्योगिक और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का नया केंद्र बन रहा है।

पीएमएफएमई योजना के तहत सहयोग

पीएमएफएमई योजना अंतर्गत कांकेर, बस्तर और कोंडागांव जिलों के हितग्राहियों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई। कांकेर जिले के मुकेश खटवानी (मेसर्स रूद्रा फूड्स एंड बेवरेजेस) को ₹35 लाख, बस्तर जिले की श्रीमती योगिता वानखेडे (मेसर्स माँ गृह उद्योग) को ₹5 लाख तथा कोंडागांव जिले की श्रीमती रागिनी जायसवाल (मेसर्स फिटनेस फ्यूल) को ₹5 लाख एवं ₹9.50 लाख की स्वीकृति मिली। कुल मिलाकर योजना के अंतर्गत ₹49.50 लाख से अधिक की सहायता दी गई।

पीएमईजीपी योजना से सशक्तिकरण

पीएमईजीपी योजना अंतर्गत कांकेर जिले के हरीश कोमरा (रेडीमेड गारमेंट्स –9 लाख), सुरेश बघेल (हार्वेस्टर – 20 लाख), बस्तर जिले के चंद्रशेखर दास (मेसर्स दीक्षा टेंट हाउस – 8.80 लाख) और रेवेन्द्र राणा (मेसर्स राणा मोबाईल रिपेयरिंग – 7.50 लाख) को सहायता दी गई। वहीं कोंडागांव जिले के सुरेश कुमार देवांगन (मेसर्स किसान मितान एग्रो) को ट्रैक्टर-ट्रॉली निर्माण हेतु 50 लाख का अनुदान स्वीकृत हुआ। इस प्रकार योजना के अंतर्गत 94.50 लाख की राशि वितरित की गई।

औद्योगिक नीति से नए अवसर

राज्य सरकार की औद्योगिक नीति के तहत स्थायी पूंजी निवेश हेतु भी अनुदान दिया गया। कांकेर जिले की श्रीमती साधना शर्मा (मेसर्स महावीर वेयरहाउस) को वेयरहाउस स्थापना के लिए 90 लाख की स्वीकृति मिली। इन पहलों से बस्तर संभाग में उद्यमिता और औद्योगिक विकास को गति मिल रही है और स्थानीय युवाओं व महिलाओं को रोजगार एवं आत्मनिर्भरता के अवसर मिल रहे हैं।

कुल मिलाकर बस्तर में अब तक 967 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिससे 2100 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, पर्यटन, निर्माण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में यह निवेश लहर बस्तर को एक सच्चे “निवेश गंतव्य” के रूप में स्थापित कर रही है।



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