Arpa Bhainsajhar Land Scame: 1131 करोड़ के नहर मुआवजा स्कैम में दोषी इन 5 अधिकारियों का बाल बांका नहीं, कलेक्टर की जांच में दोषी के बाद भी मजे में कर रहे नौकरी

1131 करोड़ के अरपा-भैंसाझा़ड़ नहर स्कैम में तत्कालीन एसडीएम को सरकार ने सस्पेंड कर दिया। मगर सिंचाई विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि, कलेक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर इन पांचों को दोषी बताया था। उन्होंने कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था। मगर अभी तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ है। सिंचाई विभाग के पांच अधिकारियों के अलावा राजस्व विभाग के दो एसडीएम समेत छह अधिकारी, कर्मचारी दोषी पाए गए थे। उनमें से एक तत्कालीन एसडीएम निलंबित हो गए मगर बाकी सभी बचे हुए हैं।

Update: 2025-06-17 08:37 GMT

Arpa Bhainsajhar Land Scam


बिलासपुर। अरपा-भैंसाझाड़ नहर परियोजना मुआवजा घोटाले के दोषी सिंचाई अधिकारियों को बचाने के लिए ऐसा आरयन डोम लगा है कि राज्य सरकार ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया मगर पांच सिंचाई अधिकारियों को कोई हाथ लगाने तैयार नहीं है। जबकि, जिला स्तर की जांच रिपोर्ट में इन पांचों को मुआवजा घोटाले में दोषी माना गया था। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने राज्य सरकार को पत्र लिख पांचों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। 


अरपा भैंसाझार नहर निर्माण में राजस्व अफसरों और महकमे ने करोड़ों का खेला कर दिया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी और तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू की है। मुकेश साहू ने दफ्तर में बैठे-बैठे पूरा खेल कर दिया है। राजस्व दस्तावेजों में ना केवल कूटरचना की वरन नहर का अलाइमेंट भी बदलने में भी बड़ी भूमिका निभाई है। जहां से नहर लाइन बिछना ही नहीं है राजस्व दस्तावेजों में वहां नहर लाइन बिछा दी और जमीनों का अधिग्रहण कर कागजों में भुगतान भी कर दिया। जिन किसानों की जमीन नहर लाइन में जाना था, वह आज भी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।


पटवारी ने जहां से नहर लाइन बिछी है वहां से तकरीबन 200 मीटर की जमीन को नहर लाइन की जद में आना बताते हुए तीन डिसमिल जमीन का अधिग्रहण और भूअर्जन करना बताया है। यह कैसे संभव है कि नहर लाइन के बाइपास वह भी 200 मीटर दूर की जमीन नहर लाइन की जद में आएगी। पटवारी ने नहर का अलाइमेंट ही बदल दिया। एक और फर्जीवाड़ा ये कि जिस तीन डिसमिल जमीन को नहर लाइन में आना बताया है वहां झाेपड़ी बनी है, उसे घर बता दिया है। झोपड़ी के आसपास की जमीन को दोफसली बताकर मुआवजा राशि तय कर दी। मुआवजा की रकम सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। प्रति एकड़ साढ़े 12 करोड़ की दर से झोपड़ी और आसपास की बंजर जमीन को दस्तावेजों में दोफसली बताकर खसरा नंबर 1/4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ बताकर 37,37,871/-लाख रुपये का भुगतान कर दिया है।

जमीन किसी और की,मुआवजा किसी और को, ऐसा भी फर्जीवाड़ा-

एक और बड़ा फर्जीवाड़ा ये कि खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ जमीन राजस्व दस्तावेजों में किसी और के नाम दर्ज है, मुआवजा किसी और को दे दिया गया है। यह सब अनजाने में नहीं जानबुझकर किया गया फर्जीवाड़ा है। खसरा नंबर 1/6 में 0.26 एकड़ जमीन पवन अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। मुआवजा देते वक्त किसी दूसरे व्यक्ति को 3,04,80,049/- का भुगतान कर दिया है। यह भी जानबुझकर और सोची समझी साजिश के तहत की गई है। वास्तविक भूमि स्वामी पवन अग्रवाल को कानो-कान भनक नहीं लग पाई थी। जब उसकी जमीन पर एक्सीवेटर पहुंचा तब उसे फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। राजस्व रिकार्ड कलेक्टर के पास पेश करने और जांच रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद एसडीएम और पटवारी की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। राजस्व दस्तावेजों में किए गए कांट-छांट और कूटरचना के चलते सरकारी खजाने को 3,42,17,920/- का नुकसान तत्कालीन एसडीएम तिवारी और बर्खास्त आरआई मुकेश साहू ने पहुंचाया है।

जांच रिपोर्ट में खुलासा, ऐसे किया खेला-

मुकेश साहू, तत्कालीन पटवारी हल्का नंबर 45 सकरी, तहसील सकरी में पदस्थापना के दौरान भू-अर्जन प्रकरण में गड़बड़ी करने के लिए एक या दो नहीं चार बार प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। हर बार अलग-अलग प्रतिवेदन। प्रतिवेदन पेश करते समय चालाकी के साथ जमीन के रकबों में हेरफेर भी किया। जमीनों में हेरफेर और अलग-अलग प्रतिवेदन में जमीन अधिग्रहण की अलग-अलग जानकारी देने के कारण भू-अर्जन के तहत भूमि का मुआवजा बनाने और भुगतान में भारी गड़बड़ी सामने आई है। तीन खसरा नंबर की जमीनों में जमकर गड़बड़ी की। खसरा नंबर 01. 09 व 10 की जमीनों को टुकड़ों में बांट दिया। ऐसा करते वक्त सक्षम अधिकारी की सहमति के बगैर इसे राजस्व दस्तावेज में शामिल कर दिया। तीन खसरा नंबर की जमीनों में करोड़ों का खेला किया गया है।

पटवारी साहू ने ऐसे किया खेला-

विभागीय जांच अधिकारी ने पेश रिपोर्ट में लिखा है कि अरपा-भैंसाझार परियोजना के अंतर्गत चकरभाठा वितरक नहर निर्माण में अधिग्रहित्त भूमि ग्राम सकरी, खसरा नं. 1/6 या 1/4 की जमीन के भू अर्जन और डायवर्सन को लेकर पटवारी ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है। खसरा पांचसाला वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक में वर्ष 2013-14 के कॉलम में वर्ष 2019-20 लिखकर खसरा नंबर 1/4 की 0.90 एकड़ जमीन को कमर्शियल भूमि में बदल दिया। कमर्शियल भूमि में बदलते ही कौड़ी के मोल बिकने वाली जमीन करोड़ों की हो गई। एक खसरा में 90 डिसमील जमीन थी। इसे दो टुकड़ाें में बांट दिया। एक हिस्से में 40 डिसमील और दूसरे हिस्से में 50 डिसमील कर दिया। ऐसा कर एक ही जमीन को तीन टुकड़ों में बांटकर सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया है। तीन टुकड़ों का भूमि अधिग्रहण करना बताते हुए तीनों का अलग-अलग मुआवजा बना दिया। नहर निर्माण की जद में आना बताते हुए 15 डिसमील जमीन का भूअर्जन और मुआवजा प्रकरण बना दिया। खसरा नंबर 1/4 रकबा 0.01 एकड़ एवं 1/6 रकबा 0.15 एकड़ को शामिल कर लिया।

हर बार दी अलग-अलग जानकारी, एक डिसमिल को बना दिया तीन और 15 को बना दिया 26 डिसमिल-

पटवारी ने बाद के प्रतिवेदन में खसरा नंबर 1/4 में अर्जित रकबा को 0.03 एकड़ एवं खसरा नंबर 1/6 को डायवर्टेट भूमि रकबा 0.26 एकड़ बताया है। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कोटा एवं अवार्ड पत्रक में हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों द्वारा रिपोर्ट / तथ्यों का परीक्षण किये बगैर एवं बगैर विधिवत सूचना या प्रकाशन के अरपा-भैंसाझार परियोजना के अंतर्गत चकरभाठा वितरक नहर का अवार्ड पत्रक भू-अर्जन पत्रक-22 (मुआवजा देयक पत्रक) में खसरा नंबर 1/4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ (सिंचित दोफसली/अन्य पहुंच मार्ग के साथ मकान निर्मित बताया जाकर) के विरुद्ध मुआवजा राशि रूपये 37,37,871/- एवं खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ भूमि के विरूद्ध मुआवजा राशि रूपये 3,04,80,049/- मनोज अग्रवाल, पिता पवन अग्रवाल को भुगतान किया गया है। अभिलेख अवैधानिक रूप से सुधार किये जाने के कारण शासन को आर्थिक हानि हुई है और अनावश्यक रूप में मुआवजा के रूप में राशि रूपये 3,42,17,920/- का भुगतान किया गया है।

दोगुना हुआ बजट, नहर लाइनिंग भी अधूरी-

अरपा भैंसाझार परियाेजना के लिए शुरुआत में 606 करोड़ का बजट रखा गया था। विलंब और अन्य कारणों के चलते निर्माण लागत बढ़ते ही गया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में बढ़ोतरी करते हुए इसे 1141.90 करोड़ कर दिया है। परियोजना के तहत 370.55 किलोमीटर नहर निर्माण होना है। वर्तमान में229.46 किलोमीटर नहर बन पाया है।

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