Narayanpur Collector: कलेक्टर केसः जीएडी की चूक से इलेक्शन कमीशन नाराज! परमिशन की फाइल लटकी, ज्वाइंट सीईओ की रिलीविंग अटकी

Narayanpur Collector: सामान्य प्रशासन विभाग ने बिना भारत निर्वाचन आयोग से इजाजत लिए ज्वाइंट सीईओ को नारायणपुर जिले का कलेक्टर अपाइंट कर दिया। अफसरों ने ओवर कांफिडेंस में इसलिए चुनाव आयोग को हल्के में ले लिया कि यहां भी बीजेपी की सरकार है, और केंद्र में भी। मगर यह अतिआत्मविश्वास भारी पड़ता दिख रहा है। आयोग की अपनी लक्ष्मण रेखा होती है...आयोग किसी सरकार के अधीन भी नहीं होता।

Update: 2024-01-16 08:52 GMT

Narayanpur Collector: रायपुर। नारायणपुर के नए कलेक्टर की ज्वाईनिंग की पेंच भारत निर्वाचन आयोग में फंस गई है। क्योंकि, राज्य सरकार ने निर्वाचन के ज्वाइंट सीईओ विपीन मांझी को नारायणपुर का कलेक्टर बनाया था, उन्हें आयोग ने रिलीव करने की फाइल रोक दी है। यही वजह है कि परमिशन के लिए चुनाव आयोग की फाइल भेजे 10 दिन से अधिक हो गया मगर अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। निर्वाचन न नए ज्वाइंट सीईओ की नियुक्ति कर रहा और न ही मांझी को कार्यमुक्त कर रहा। इस चक्कर में नारायणपुर जिला 13 दिन से बिना कलेक्टर का है। वहां के कलेक्टर अजीत बसंत रिलीव होकर कोरबा कलेक्टर का कार्यभार संभाल लिया है।

जीएडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ज्वाइंट सीईओ विपीन मांझी को आयोग से रिलीव करने का परमिशन मिल जाए, इसकी भी फिफ्टी-फिफ्टी चांस है। दरअसल, चुनाव आयोग बिना पूछे मांझी की पोस्टिंग करने से नाराज है। नियमानुसार निर्वाचन में बिना आयोग के परमिशन से पोस्टिंग होती और न ही किसी को हटाया जा सकता। चाहे उस दौरान चुनाव हो या न हो। इस समय तो अगले महीने लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। वैसे भी छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले कभी निर्वाचन के किसी अधिकारी को नहीं हटाया गया। रमन सिंह सरकार जब 2008 के चुनाव के दौरान कुछ अफसरों से बेहद नाराज रही, बावजूद इसके उन्हें लोकसभा चुनाव के बाद ही निबटाया गया। बहरहाल, जब तक आयोग विपीन मांझी को रिलीव करने का परमिशन नहीं देता, नारायणपुर कलेक्टर की कुर्सी खाली रहेगी। रिलीविंग से पहले मांझी की जगह पर नए ज्वाइंट सीईओ की पोस्टिंग करनी पड़ेगी। इसके लिए जीएडी ने तीन नामों का पेनल आयोग को भेजा है। इनमें सभी प्रमोटी आईएएस हैं। लिस्ट में तीसरे नंबर पर एक महिला आईएएस हैं।  

3 दिसंबर की आधी रात छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने राज्य के इतिहास की सबसे बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की थी। एक लिस्ट में 89 अफसरों को बदला गया या नई पोस्टिंग दी गई। 89 में में 19 जिलों के कलेक्टर भी शामिल थे। इनमें से 18 कलेक्टरों ने अगले दिन ही दौड़ते-भागते जाकर नए जिले में पदभार ग्रहण कर लिया। मगर एक जिले के कलेक्टर अभी भी पदभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं।

राज्य सरकार ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में ज्वाइंट सीईओ के पद पर कार्यरत विपीन मांझी को नारायणपुर का कलेक्टर बनाया था और नारायणपुर के कलेक्टर अजीत बसंत को कोरबा का। अजीत बसंत अगली सुबह रिलीव होकर कोरबा ज्वाईन कर लिए। कलेक्टर के साथ ही सरकार ने जिला पंचायत सीईओ का भी ट्रांसफर किया है। सीईओ भी कार्यमुक्त होकर जा चुके हैं। लिहाजा, नारायणपुर जिले में न कलेक्टर हैं और न ही जिला पंचायत सीईओ। कलेक्टर के बाद सीईओ जिले में नंबर दो होते हैं। लिहाजा, कोई कलेक्टर अगर जिले से बाहर जाता है तो सीईओ का चार्ज देता है। मगर इस समय दोनों विदा हो चुके हैं।

मांझी क्यों नहीं हुए रिलीव

विपीन मांझी प्रमोटी आईएएस हैं। आईएएस अवार्ड होने के बाद भी वे न तो किसी जिले का कलेक्टर बनें और न ही उन्हें कोई अच्छी पोस्टिंग मिली। उल्टे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पिछले चार से टाईम गुजार रहे हैं। मांझी का अगले साल मई में रिटायरमेंट हैं। सो, नई सरकार ने सोचा कि मांझी का उद्धार कर दिया जाए। मगर सामान्य प्रशासन विभाग को यह अंदाजा नहीं था कि चुनाव आयोग में परमिशन का मामला अटक जाएगा। चूकि मांझी का नाम आखिरी दिनों में पोस्टिंग लिस्ट में जुड़ा। इसलिए पहले से चुनाव आयोग को लेटर नहीं भेजा गया। नियमानुसार निर्वाचन से किसी को हटाना होता है तो उसके लिए चुनाव आयोग का परमिशन चाहिए। क्योंकि आयोग के स्टाफ पर राज्य सरकार को कोई नियंत्रण नहीं होता। वो भी जब सामने लोकसभा चुनाव है, चुनाव आयोग और अलर्ट मोड में होता है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार मांझी को कलेक्टर बनाने से पहले कायदे से आयोग से इजाजत ले लेनी थी। मगर वो हुआ नहीं। जीएडी ने अब मांझी को आयोग से ट्रांसफर करने का परमिशन मांगने के साथ ही उनकी जगह पर नया ज्वाइंट सीईओ अपाइंट करने के लिए तीन सदस्यीय पेनल चुनाव आयोग को भेजा है। इनमें तीनों नाम राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने अधिकारी हैं। एक महिला आईएएस का भी लिस्ट में नाम है। सिस्टम में बैठे लोग चिंतित इसलिए हैं कि लेटर गए हफ्ता भर से अधिक हो गया है। आयोग से कोई रिप्लाई नहीं आया है। जब तक परमिशन नहीं आएगा, विपीन मांझी जिले में ज्वाईन नहीं कर सकते। मांझी इसलिए परेशान हैं कि कैरियर में पहली बार कलेक्टरी मिली, उसमें भी 12 दिन ऐसे ही निकल गए। चुनाव आयोग अब पेनल के तीन नामों से किसी एक पर टिक लगाकर उन्हें ज्वाइंट सीईओ अपाइंट करेगा, उसके बाद फिर मांझी कार्यमुक्त होंगे।

मांझी का बीजेपी से जुड़ा है तार?

आईएएस विपीन मांझी का सत्ताधारी पार्टी से ठीक-ठाक संबंध बताए जाते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें बिंद्रानवागढ़ से टिकिट देने की चर्चा थी। मगर वो अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। हालांकि, मांझी ने कभी इस संबंध में कोई संकेत नहीं दिए हैं। मगर कोई आश्चर्य की बात नहीं कि अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया जाए।    

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