उज्जैन। महाकाल कॉरिडोर पर महाघोटाला की शिकायत पर लोकायुक्त ने संज्ञान लिया है। लोकायुक्त ने निर्माण कार्यों में घोटाला होने व एक ठेकेदार विशेष को लाभ पहुँचाने की शिकायतों पर तीन आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। लोकायुक्त ने उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के सीईओ रहे क्षितिज सिंह, और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में महाकाल कॉरिडोर का उदघाटन किया था। महाकाल कॉरिडोर विकास परियोजना कुल 856 करोड़ की परियोजना है। इसमें पहले चरण में 316 करोड़ की लागत से महाकाल कॉरिडोर विकसित किया गया है। विकास परियोजना का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करना है। 900 मीटर से अधिक लंबा महाकाल पथ देश के सबसे बड़े गलियारों में से एक है। जो पुरानी रुद्रसागर झील के पास फैला हुआ है। यहां दो राजसी द्वार,नंदी द्वार, और पिनाकी द्वार थोड़ी दूर से अलग गलियारे के शुरुवाती बिंदु के पास बनाए गए हैं। महाकाल पथ में 108 खम्भे है जो भगवान शिव ल आनंद तांडव स्वरूप को दर्शाते हैं। महाकाल लोक गलियारे के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित है। गलियारे के साथ कई भित्ति दीवार, सृजन का कार्य, गणेश का जन्म,सती की कहानी, और दक्ष आदि की मूर्तियां है। यहां कमल के तालाब से घिरा हुआ क्षेत्र है ज़िसमें फव्वारा और शिव की मूर्तियां है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर द्वारा पूरे परिसर की निगरानी की जाएगी।
शिकायत मिली थी कि गलियारे में एक ठेकेदार को अधिकारियों ने लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से अनुचित बिलों का सत्यापन किया। और मंजूरी दे दी थी। ठेकेदार ने गलियारे में घटिया गुणवत्ता वाले पार्किंग का निर्माण किया है। शिकायत की प्रारंभिक जांच में मामला सही पाया गया। जिसके बाद तीनों आईएएस को नोटिस जारी कर 28 अक्टूबर तक जवाब मांगा गया है। इनके अलावा 12 अन्य अफसरों को भी नोटिस जारी किया गया है।