IPS Posting: CG आईपीएस पोस्टिंग न्‍यूज: राज्‍यपाल के एडीसी बनाए गए आईपीएस सुनील कुमार शर्मा, देखें आर्डर

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Update: 2024-05-28 13:42 GMT

IPS Posting: रायपुर। आईपीएस सुनील कुमार शर्मा को राज्‍यपाल का एडीसी पदस्‍थ किया गया है। 2017 बैच के आईपीएस शर्मा अभी पीएचक्‍यू में पदस्‍थ हैं।


IPS Sunil Sharma Biography: आईपीएस सुनील शर्मा का जीवन परिचय ( जीवनी), जाने कौन है सब्जी बेचने से लेकर आईपीएस तक का सफर करने वाले छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस सुनील शर्मा? 

एनपीजी। सुनील शर्मा छत्तीसगढ़ कैडर के 2017 बैच के आईपीएस है। वे मूलतः उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले है। 12वीं के बाद शिक्षक की नौकरी उन्होंने ज्वाइन कर ली थी। फिर वे दिल्ली पुलिस में 5 साल सब इंस्पेक्टर के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं। यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बने और छत्तीसगढ़ कैडर उन्हें एलॉट हुआ। उन्हें राज्यपाल का एडीसी अर्थात परिसहाय बनाया गया है। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म और परिवार:–

सुनील शर्मा उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले के रहने वाले है। उनका जन्म 2 नवंबर 1984 को हुआ है। उनके माता-पिता गाजियाबाद में आठवीं तक कक्षा वाली प्राइवेट स्कूल का संचालन करते है। स्कूल संभालने के चलते उनका परिवार अलीगढ़ से गाजियाबाद शिफ्ट हो गया है। उनके बड़े पिता भी शिक्षक हैं।

शिक्षा और संघर्ष करते हुए यूपीएससी में सलेक्शन:–

सुनील शर्मा ने दसवीं तक की स्कूलिंग गाजियाबाद से ही पूरी की है। उनके पिता टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज में कार्यरत थे। पर किन्हीं वजहों से उनकी नौकरी चली गई। जिसके चलते सुनील के परिवार के सामने काफी मुश्किलें खड़ी हो गई। इस समय सुनील सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। सुनील का परिवार जहां रहता था उनके पिता ने वहां अपने प्रयासों व खर्चे से पूर्व में एक साप्ताहिक बाजार शुरू करवाया था। आर्थिक दिक्कतों के चलते सुनील को इस साप्ताहिक बाजार में आलू, टमाटर और सब्जियां बेचनी पड़ी। सुनील को अपने पिता से यह सिख मिली थी कि कोई भी काम जो गलत ना हो वह बड़ा या छोटा नहीं होता। इस तरह सातवीं से लेकर 10 वीं तक जब तक के उनके पिता की प्राइवेट स्कूल नहीं खुल गई थी सुनील का जीवन संघर्षमय बिता।

प्राइवेट स्कूल खुलने के बाद सुनील के परिवार की माली हालत थोड़ी सुधरी। तब सुनील गाजियाबाद में दसवीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली के मुखर्जी मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल से साइंस विषय के साथ सुनील शर्मा ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण की। 12वीं के बाद अपने पैरों पर खुद खड़ा होने और अपने आगे की पढ़ाई का खर्च वहन करने तथा परिवार को सपोर्ट करने के लिए सुनील ने एजुकेशन में डिप्लोमा डीएड कर लिया। डीएड डिग्री की बदौलत उन्हें सरकारी शिक्षक की नौकरी मिल गई। सुनील शर्मा ने 6 अप्रैल 2006 को सरकारी शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की और 2 साल तक शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दी। इसी दौरान एक सहकर्मी के कहने पर उन्होंने दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर का फॉर्म भर दिया और उनका चयन सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया।

सुनील शर्मा ने 5 साल तक दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर नौकरी की। उन्होंने दिल्ली के हाईएस्ट क्राईम रेट वाले पाताल लोक थाने में अधिकतर समय तक अपनी सेवा दी। आगे बढ़ाने की चाह के चलते सुनील ने नौकरी के साथ ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वह ड्यूटी से जब भी समय मिलता मोबाइल पर अपने सिलेबस की चीज पढ़ने लगते। चौक– चौराहों में भी जब उनकी ड्यूटी लगती तो फुर्सत के क्षणों में वह मोबाइल पर पढ़ाई करते। उन्होंने सेल्फ स्टडी की। कोई कोचिंग सुनील ने नहीं ली। केवल 2 महीने का ऑनलाइन क्रैश कोर्स किया और तैयारी की रणनीति और स्टडी मैटेरियल के बारे में जाना। इस तरह नौकरी के साथ कड़ी मेहनत कर सुनील यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनें।

प्रोफेशनल कैरियर:–

सुनील शर्मा ने 18 दिसंबर 2017 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस प्रशिक्षण अकादमी हैदराबाद में ट्रेनिंग खत्म कर उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर अलॉट हुआ। वे छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर में आजाद चौक सीएसपी रहे हैं। सरगुजा जिले के एडिशनल एसपी रहे हैं। बतौर एसपी उनकी पहली पोस्टिंग सुकमा जिले में हुई। पुलिस मुख्यालय में भी एआईजी रहे हैं। सरगुजा जिले के एसपी रहे हैं। वर्तमान में अब उन्हें छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का एडीसी अर्थात परिसहाय बनाया गया है।

बस्तर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने पांच लाख के ईनामी नक्सल कमांडर बस्ता भीमा को ऑपरेशन चला कर एनकाउंटर करने के चलते सुनील शर्मा को सीआरपीएफ डीजी डिस्क अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

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