IPS Girija Shankar Jaiswal Biography in Hindi: आईपीएस गिरजा शंकर जायसवाल का जीवन परिचय ( जीवनी), जानिए कौन है छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस गिरिजा शंकर जायसवाल?

IPS Girija Shankar Jaiswal Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– गिरिजा शंकर जायसवाल छत्तीसगढ़ कैडर 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे मूलतः छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले है। ग्रेजुएशन करने के बाद चौथे अटेम्प्ट में यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बने हैं। वर्तमान में वे डीआईजी रैंक के आईपीएस अफसर हैं।

Update: 2024-06-27 09:21 GMT

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एनपीजी। गिरजा शंकर जायसवाल छत्तीसगढ़ कैडर के 2010 बैच के आईपीएस अफसर है। वे मूलतः छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले है। पर उनकी परवरिश वर्तमान सक्ति जिले में हुईं। बीएससी करने के बाद गिरीजाशंकर ने दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी की। उन्होंने यूपीएससी के चौथे अटेम्प्ट में 420 वीं रैंक के साथ एग्जाम क्रैक कर आईपीएस बने हैं। डीआईजी रैंक के अफसर गिरिजा शंकर जायसवाल वर्तमान में मुंगेली जिले के पुलिस अधीक्षक हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म और शिक्षा:–

छत्तीसगढ़ कैडर के 2010 बैच के आईपीएस गिरिजा शंकर जायसवाल छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं। वैसे तो उनका गांव रायगढ़ जिले के खरसिया ब्लॉक में स्थित ग्राम निमोही है। पर पिता की नौकरी व अन्य पारिवारिक कारणों की वजह से उनका परिवार सक्ती जिले के डभरा ब्लॉक में स्थित कुसुमझर गांव में बस गया। कुसुमझर गांव गिरिजा शंकर जायसवाल का मामा गांव है। खास बात यह है कि कुसुम झर गांव पूर्व में बिलासपुर जिले के अंतर्गत आता था। बिलासपुर से विभाजित होकर जांजगीर-चांपा जिला बनने पर यह गांव जांजगीर चांपा जिले के डबरा विकासखंड अंतर्गत आता था। अब जांजगीर चांपा से अलग होकर पृथक शक्ति जिला बनने पर यह गांव सक्ती जिले के अंतर्गत आता है।

गिरिजाशंकर जायसवाल का जन्म 30 जून 1983 को हुआ था। उनके पिता लक्ष्मी नारायण जायसवाल वन विभाग में डिप्टी रेंजर थे। जबकि माता सावित्री देवी गृहणी हैं। गिरिजा शंकर जायसवाल की पूरी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पूरी हुई। उनकी पढ़ाई में उनकी नानी का भी विशेष सहयोग रहा। उन्होंने अपने मामा गांव के ही शासकीय प्राथमिक शाला कुसुमझर से पांचवीं तक के पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए गांव में स्कूल नहीं था। जिसके चलते गांव से तीन किलोमीटर दूर ब्लॉक मुख्यालय डभरा में स्थित गवर्नमेंट स्कूल डबरा से उन्होंने छठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई की। 11 व 12वीं में उन्होंने भौतिकी,रसायन व जीव विज्ञान विषय लिया था। 12वीं के बाद वे ग्रेजुएशन के लिए बिलासपुर आ गए। बिलासपुर में उन्होंने शासकीय राघवेंद्र राव साइंस कॉलेज से बीएससी की। बीएससी में उन्होंने बॉटनी व जुलाजी विषय रखें थे। इस दौरान कमरा किराए पर लेकर खुद से खाना बना व सारे कामों को करते हुए गिरिजा शंकर जायसवाल ने पढ़ाई की।

यूपीएससी में सलेक्शन:–

ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी का पहला प्रयास गिरिजा शंकर जायसवाल ने बिलासपुर में ही रहते हुए दिया था। पर उनका प्रारंभिक परीक्षा भी क्रैक नहीं हो पाया। इसके बाद गिरजा शंकर जायसवाल तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहकर कोचिंग कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। दूसरे व तीसरे अटेम्प्ट में उनका प्री तो निकला पर मेंस क्रैक कर साक्षात्कार तक नहीं पहुंच पाए। चौथे प्रयास में प्रारंभिक, मुख्य व साक्षात्कार निकालते हुए उन्होंने 420 वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्रैक किया। यूपीएससी क्रैक करने पर उन्हें आईपीएस की सर्विस एलॉट हुई। प्रारंभिक परीक्षा में जनरल स्टडी के साथ चुने जाने वाले एक वैकल्पिक विषय में उन्होंने भूगोल विषय चुना था। मुख्य परीक्षा के दो वैकल्पिक विषयों में उन्होंने भूगोल व दर्शनशास्त्र रखे थे।

खास बात यह है कि चार बार यूपीएससी दिलाने वाले गिरिजा शंकर जायसवाल सिर्फ एक ही बार साक्षात्कार में पहुंचे। पहली बार में ही साक्षात्कार में उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 275 में से 215 अंक प्राप्त किए थे। गिरिजा शंकर जायसवाल का साक्षात्कार पुरुषोत्तम अग्रवाल के बोर्ड में हुआ। साक्षात्कार में उनसे उनकी हॉबी, सामाजिक परिवेश, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शहरी व देश की अर्थव्यवस्था, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को कैसे फायदा पहुंचाया जा सके आदि प्रश्न पूछे गए। गिरिजा शंकर जायसवाल का इंटरव्यू लगभग 1 घंटे चला। जितने भी प्रश्न गिरिजा शंकर जायसवाल से पूछे गए सभी का उन्होंने जवाब दिया कोई भी प्रश्न ऐसा नहीं था उसकी जानकारी न होने पर उन्हें क्षमा मांगना पड़े। छत्तीसगढ़ में लगातार घट रही नक्सली घटनाओं के संबंध में भी प्रश्न इंटरव्यू में पूछे गए। इंटरव्यू से चंद दिनों पहले ही छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में नक्सलियों के हमले में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। जिस संबंध में प्रश्न गिरजा शंकर जायसवाल से पूछे गए। इसके अलावा नक्सली समस्या से निपटने के समाधान भी पूछे गए। गांव की अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय कैसे बढ़ाई जा सकती है जिसका मॉडल भी इंटरव्यू पैनल के सामने गिरिजा शंकर जायसवाल ने रखा।

प्रोफेशनल कैरियर:–

गिरजा शंकर जायसवाल ने 30 अगस्त 2010 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। सरदार वल्लभ भाई पटेल पुलिस अकादमी हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान गिरिजा शंकर जायसवाल स्विमिंग, डिस्कस थ्रो, गोला फेंक, भाला फेंक में मेडल जीता। अकादमी की ट्रेनिंग खत्म करने के बाद गिरजा शंकर जायसवाल की फील्ड ट्रेनिंग के लिए प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर दुर्ग जिले में पोस्टिंग रहीं । वे दुर्ग जिले में उतई थाना प्रभारी रहे। थाना प्रभारी रहने के दौरान उन्होंने माइनिंग माफिया पर नकेल कसी और अवैध परिवहन करने वाले कई वाहन जप्त किए। एक नवविवाहिता ने कुंए में कूद कर जान दे दी थी। यह एक तरह से अंधा कत्ल था। जिसका कोई भी सबूत नहीं था। जिसकी खुद से विवेचना कर गिरिजा शंकर जायसवाल ने आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।

इसके बाद अंबिकापुर जिले के सीतापुर व उदयपुर अनुविभाग के एसडीओपी रहे। इस दौरान डीएसपी हेडक्वार्टर का चार्ज अ भी उन्होंने संभाल। यहीं रहते हुए मिनपा ऑपरेशन लॉन्च होने पर गिरिजा शंकर जायसवाल ऑपरेशन में गए। इस दौरान सुकमा जिले के दोरनापाल,चिंता गुफा, बुर्कापाल, फोर्स के साथ पैदल चलकर कैंप की स्थापना की। नक्सलियों को पीछे ढकेलने पर मजबूर किया। कई दिन जंगल में बिताए। नक्सलियों का हेड क्वार्टर माने जाने वाले पुवर्ती सुकमा जो आंध्रा बॉर्डर से लगा है वहां भी ऑपरेशन चला कर नक्सलियों पर नकेल कसी। गिरजा शंकर जायसवाल ने कई कैंपों में मोबाइल टावर भी लगवाया।

फिर रायपुर जिले में रायपुर ग्रामीण एडिशनल एसपी बने। इस दौरान प्रोटोकॉल व वीआईपी मूवमेंट गिरिजाशंकर जायसवाल के हवाले था। फिर एसपी एसटीएफ रहे। फिर बीजापुर जिले में एसपी आपरेशन रहे। बीजापुर में चलाए गए नक्सली ऑपरेशन में गिरिजा शंकर जायसवाल ने नक्सलियों के डीवीसी मेंबर मलेश को गिरफ्तार किया जो पुलिस के लिए रणनीतिक हिसाब से काफी फायदेमंद रहा।

गिरिजा शंकर जायसवाल एसपी जशपुर रहे। इस दौरान आरा ठूठीअंबा में ऑपरेशन चला कर नक्सली को बंदूक के साथ गिरफ्तार किया। फिर सूरजपुर के एसपी रहे। सूरजपुर के एसपी रहने के दौरान वहां चल रहे पत्थर गढ़ी आंदोलन को अपने सूझबूझ से सिर्फ एक सप्ताह में खत्म करवाया। दरअसल पत्थरगढ़ी आंदोलन में आदिवासी जल जंगल जमीन को अपना मन अपनी सरकार चलाना चाहते हैं। वे दो किनारो में दो पत्थर जमीन पर गड़ा देते है। जिसके उसे पर हुए अपने खुद की हुकूमत मानते हैं और सरकार के शासन को नकार देते है। पत्थर गढ़ी आंदोलन खत्म करवाने के अलावा प्रतापपुर एरिया में लंबे समय से रुके महान वन व महान टू डोलोमाइट खदान को शुरू शुरू करवाया। सूरजपुर के बाद गिरिजा शंकर जायसवाल 13वीं बटालियन बांगों कोरबा के कमांडेंट बनें। एसपी सीएम सिक्योरिटी भी गिरिजाशंकर जायसवाल रहे। जिसके बाद एसपी नारायणपुर बन कर गए। नारायणपुर एसपी रहते उन्होंने लंबे समय से रुके छोटे डोंगर में दो आयरन ओर माइंस का काम शुरू करवाया। नक्सलियों के डिवीजनल कमांडर साकेत का एनकाउंटर स्वयं ऑपरेशन का नेतृत्व कर गिरिजा शंकर जायसवाल ने किया। खतरनाक और खूंखार नक्सली साकेत सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट समेत 30 हत्याओं का आरोपी था। उसके पास से एक-47 जप्त किया गया था। नारायणपुर एसपी रहते भिलाई स्टील प्लांट के अंजरेल माइंस को खुलवाने में भी गिरिजा शंकर जायसवाल की महत्वपूर्ण भूमिका है। नक्सल एरिया के अंदरूनी गांवों में पुलिस सुरक्षा देकर सड़क बनवाया। कड़ेनार व कड़ेमेटा जैसे अंतिम छोर में सड़के वह पुल पुलिया बनाकर नारायणपुर जिले को दंतेवाड़ा तक जोड़ दिया। नारायणपुर के बाद गिरिजा शंकर जायसवाल पुलिस हेड क्वार्टर में एआईजी बने। एआईजी रहते उन्हें कांकेर नक्सल ऑपरेशन में अटैच किया गया था। इसके अलावा एआईजी रहते हुए उन्होंने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही हेतु एसओपी ( वर्तमान में प्रचलित) बनाया। चंदखुरी पुलिस ट्रेनिंग अकादमी के पुलिस अधीक्षक भी गिरजा शंकर जायसवाल रहे। इस दौरान उन्होंने हॉस्टल व मेस बनवाया।

वर्तमान में डीआईजी रैंक के अफसर गिरिजाशंकर जायसवाल मुंगेली एसपी हैं।

जीवन साथी:–

गिरिजा शंकर जायसवाल ने डीआर स्मृति जायसवाल से शादी की है। बिलासपुर की रहने वाली स्मृति जायसवाल ने इंदौर से एमबीबीएस कंप्लीट किया है। जयसवाल दंपत्ति की दो बेटियां अन्विका और सार्विका है। गिरिजा शंकर जायसवाल कुल दो भाई है। जिसमे गिरिजाशंकर बड़े है। उनका छोटा भाई भी यूपीएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है।

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