IAS, IPS और IFS पर कार्रवाई के मामले में केंद्र ने राज्यों को दिया यह अधिकार
IAS, IPS, IFS
नई दिल्ली। अखिल भारतीय सेवा यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) या भारतीय वन सेवा (IFS) के अफसर भले ही राज्यों में काम करते हैं, लेकिन उन पर कार्यवाही करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास नहीं रहता है। अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के खिलाफ निलंबन जैसी कार्यवाही भी राज्य सरकारें केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना नहीं कर सकती। लेकिन केंद्र सरकार ने अब इस नियम में बदलाव कर दिया है। इससे राज्य सरकारों को निलंबन जैसी कार्यवाही के लिए अब केंद्र सरकार से पूछना नहीं पड़ेगा।
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने मंगलवार को इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके अनुसार कोई भी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस का कोई अधिकारी 48 घंटे से ज्यादा समय तक हिरासत में रहता है, तो केंद्र सरकार से निलंबन की पुष्टि की आवश्यकता नहीं है।
सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण तब सामने आया है, जब उसे अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के प्रावधानों के तहत निलंबन के मुद्दे और पुष्टि से जुड़े कई सवाल मिले हैं। तीन अखिल भारतीय सेवाएं हैं- आईएएस, आईपीएस और आईएफओएस।
मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, सेवा का एक सदस्य चाहे आपराधिक आरोप में या अन्य में 48 घंटे से अधिक की अवधि के लिए आधिकारिक हिरासत में रखा गया हो, इस नियम के तहत संबंधित सरकार द्वारा निलंबित माना जाएगा।
डीओपीटी की ओर से एक आदेश में कहा गया कि अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के 3(2) के आलोक में मामले की जांच की गई है। तदनुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि नियम 3 (2) के तहत निलंबन के मामलों में केंद्र सरकार द्वारा निलंबन की पुष्टि उस अवधि के लिए आवश्यक नहीं है, जब सरकारी कर्मचारी हिरासत में रहता है। निलंबन की पुष्टि पर सवाल तभी उठ सकता है, यदि हिरासत से रिहाई के बाद अगर सरकार निलंबन जारी रखने का इरादा रखती है।