DGP News: हाईकोर्ट के आदेश पर हटाए गए डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, बने रहेंगे पद पर

Update: 2024-01-05 07:49 GMT

शिमला। हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे आईपीएस संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आईपीएस कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने के हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। कुंडू के खिलाफ एक व्यापारी ने अपने ऊपर हुए हमले की शिकायत करने पर डराने धमकाने का आरोप लगा कर शिकायत की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद डीजीपी कुंडू को हटाकर महिला आईपीएस सतवंत अटवाल को कार्यवाह डीजीपी बना गया  है। यह दूसरा मौका था जब अटवाल को कुंडू की जगह कार्यकारी डीजीपी बनाया गया था।

जाने... किसी शिकायत के आधार पर हटाए गए थे कुंडू 

पालमपुर निवासी व्यवसाय निशांत शर्मा ने अपने व अपने परिवार की जान की खतरे का आरोप लगा 1989 बीच के आईपीएस डीजीपी कुंडू के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दरअसल कारोबारी निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर 2023 को हिमाचल पुलिस को शिकायत देकर अपने और परिवार की जान को खतरा बताया था। निशांत की शिकायत के अनुसार उन पर 25 अगस्त 2023 को गुरुग्राम में हमला हुआ था जिसमें वे और उनका ढाई साल का बेटा घायल हो गया था। उन्होंने हमले का सीसीटीवी फुटेज हरियाणा पुलिस को दिया था। शिकायत में बताया कि साझेदारों से उन्हें और उनके परिवार व संपत्ति को खतरा है। उन पर हमले में एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सहित हिमाचल के दो प्रभावशाली लोग शामिल थे। निशांत शर्मा ने आरोप लगाया कि मैं हमले के बाद कांगड़ा जिले के पालमपुर आया था लेकिन डीजीपी ने मुझे अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने को मजबूर किया। उसी दिन 27 अक्टूबर 2023 को धर्मशाला के भागसूनाग में दो अपराधियों ने रोक कर मुझे मेरे बच्चे  व पत्नी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी। इसकी शिकायत उन्होंने धर्मशाला के पुलिस अधीक्षक से भी की लेकिन उनके द्वारा भी 3 हफ्ते तक कुछ नहीं किया गया।

इसके बाद कारोबारी निशांत शर्मा ने हाईकोर्ट को ईमेल भेजी। जिसमें उन्होंने अपने और अपने परिवार की जान को खतरा बताते हुए अपने ऊपर गुरुग्राम के साथ-साथ मैक्लोडगंज मैं हुए हमले की जानकारी दी और हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग करते हुए डीजीपी समेत अन्य अफसरों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की। दूसरी ओर डीजीपी ने अपनी शिकायत में उनका नाम घसीटकर उन्हें बदनाम करने और छवि खराब करने के आरोप में निशांत शर्मा के खिलाफ अपराध दर्ज करवा दिया। छोटा शिमला थाना में डीजीपी संजय कुंडू द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर के अनुसार कारोबारी निशांत शर्मा ने उन्हें जो शिकायती पत्र लिखे थे उसमें अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया था।

निशांत शर्मा की ईमेल से की गई शिकायत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कांगड़ा व शिमला के एसपी से मामले में जवाब तलब किया गया। जिसके बाद कांगड़ा के मैक्लोडगंज थाने में दो अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हमला करने की एफआईआर दर्ज की गई। मामले की जांच कांगड़ा एसपी शालिनी अग्निहोत्री खुद कर रहीं थी। पर फिर भी दो माह बाद भी आरोपियों की शिनाख्त नहीं हो पाई।

मामले की सुनवाई 26 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की पीठ में हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने होम सेक्रेटरी को निर्देश देते हुए कहा कि हमारी राय में अदालत में यह वांछनीय होगा कि डीजीपी और कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दर्ज एफआईआर में लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच हो सके। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जांच को यह अधिकारी प्रभावित कर सकते हैं इसलिए इन्‍हें हटाया जाए। अदालत ने यह भी स्‍पष्‍ट किया था कि वह दोनों पक्षों के गुण दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं पर इस मामले में साधारण परिस्थितियों के कारण हस्तक्षेप कर रहे हैं। जांच के लिए दोनों अफसर को तत्काल बदला जाना चाहिए।

अदालत के आदेश के बाद डीजीपी संजय कुंडू को पद से हटाकर आयुष विभाग में भेज दिया गया। वही कांगड़ा एसपी को लेकर अब तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू डीजीपी कुंडू के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने कहा कि कुंडू ने वर्षों प्रदेश की सेवा की है।अब उन्हें बतौर प्रमोशन आयुष विभाग में भेजा गया है। वही हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ संजय कुंडू ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने कहा कि जब तक हाईकोर्ट आईपीएस संजय कुंडू की आदेश वापस लेने की अर्जी का निपटारा नहीं कर लेती है तब तक उनको पद से हटाने या स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दो सप्ताह के अंदर इस मामले का निपटारा करने के लिए कहा है।

1996 बैच की सतवंत अटवाल बनाया गया था कार्यवाहक डीजीपी

संजय कुंडू की जगह सतवंत अटवाल को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। अटवाल 1996 बैच की आईपीएस हैं। वे दूसरी बार कुंडू की जगह कार्यवाहक डीजीपी का पोस्ट सम्हाल रहीं है।इससे पहले कुंडू जब लंबी छुट्टियों में विदेश गए थे तब भी सतवंत अटवाल ने उनकी जगह डीजीपी का प्रभार सम्हाला था।

13 जून 22 से 14 जुलाई 22 तक संजय कुंडू विदेश प्रवास पर थे। उस दौरान हिमाचल प्रदेश की 1996 बैच की आईपीएस सतवंत अटवाल त्रिवेदी (IPS Satwant Atwal Trivedi) पहली महिला डीजीपी बनी थी। उनके नाम पर बीएसएफ व एनआईए की पहली महिला अधिकारी होने का गौरव भी दर्ज है. वर्तमान में वो एडीजी स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो है। छत्तीसगढ़ में विवेकानंद सिन्हा 1996 बैच के आईपीएस हैं. वे एंटी नक्सल ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

सतवंत अटवाल हिमाचल के बिलासपुर जिले से तालुकात रखती हैं। उन्होंने शिमला के सैंट बीड्स कॉलेज और ऑकलैंड हाउस स्कूल से शिक्षा ग्रहण की है। हिमाचल में महिलाओं से जुड़े अपराधों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने व प्रदेश में महिला थाना खोलने का श्रेय सतवंत अटवाल त्रिवेदी को जाता है। अटवाल ने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भी सेवाएं दी हैं। होम कैडर में लौटने से पहले वह सीमा सुरक्षा बल के खुफिया निदेशालय में काम कर चुकी हैं। साथ ही, वहां संयुक्त सचिव भी थी। उन्हें 2012 में सराहनीय सेवाओं हेतु पदक भी मिला है।

उन्होंने सीमा सुरक्षा बल में भारत के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कार्यान्वयन को सफलतापूर्वक शुरू किया। वह क्लिनिकल साइकोलॉजी में स्वर्ण पदक विजेता हैं और जर्मन में एफबीआई नेशनल एकेडमी, डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस, यूएसए डिप्लोमा इन इन्वेस्टिगेशन एंड लीडरशिप भी प्राप्त किया हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में सेवा प्रदान की है। जनवरी में उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है।

सतवंत अटवाल के पिता एचएस अटवाल भी आईएएस अफसर थे। वे हिमाचल प्रदेश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर है। ऊना जिले की पहली पुलिस अधीक्षक होने का भी किताब सतवंत अटवाल के पास है। 2004 से 2009 तक नेशनल पुलिस एकेडमी (वल्लभ भाई पटेल एकेडमी हैदराबाद) में पदस्थ थी। उनके पति भी अभिषेक त्रिवेदी भी सैम बैच के आईपीएस अफसर हैं। हिमांचल की पहली महिला आईपीएस होने के अलावा सतवंत अटवाल के नाम बीएसएफ में शामिल होने वाली पहली महिला आईपीएस होने का खिताब भी शामिल है।

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