CG CM Secretariat: क्‍या अपने सचिवालय की नियुक्ति में भी चौकाएंगे सीएम विष्‍णुदेव, जानिए...सचिव के लिए चर्चा में हैं कौन-कौन से नाम

CG CM Secretariat: मुख्‍यमंत्री सचिवालय को राज्‍य का पॉवर सेंटर माना जाता है। सरकार की रीति-नीति से लेकर विकास कार्य सब पर सीएम सचिवालय की नजर और नियंत्रण रहता है। राज्‍य सरकार की छवि भी काफी हद तक सीएम सचिवालय के कामकाज के आधार पर ही तय होता है। यही वजह है कि सीएम सचिवालय में चुनिंदा अफसरों को ही मौका मिलता है।

Update: 2024-01-06 13:52 GMT

CG CM Secretariat: रायपुर। प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन के साथ प्रशासनिक बदलाव की भी शुरुआत हो चुकी है। तीन दिन पहले सरकार ने एकमुश्‍त 88 आईएएस अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आर्डर जारी किया। इसमें 19 जिलों के साथ सचिवालय और मंत्रालय तक बड़ी उलटफेर की गई। इन सबके बीच एक बड़ा पॉवर सेंटर ऐसा है जहां अफसरों की नियुक्ति का सभी को इंतजार है। यह पॉवर सेंटर है मुख्‍यमंत्री सचिवालय। सीएम सचिवालय में फिलहाल एक मात्र आईएएस अफसर पी. दयानंद की बतौर सिकरेट्री पोस्टिंग हुई है। अब चूकि नाम ही पावर सेंटर है तो वहां एक से काम चलता नहीं। अमूमन मुख्यमंत्री सचिवालयों में चार-से-पांच सिकरेट्री होते हैं। इनमें कम-से-कम तीन तो आईएएस रहते हैं। सो, उम्‍मीद की जा रही थी कि पहली प्रशासनिक सर्जरी में सीएम सचिवालय में कुछ और अफसरों की इंट्री हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा, सीएम सचिवालय में आईएएस अफसरों की तैनाती को लेकर कयासों और अटकलों का दौर जारी है।

सीएम सचिवालय में सचिवों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। प्रशासनिक गलियारे में चर्चा इस बात की है कि सीएम सचिवालय की नियुक्ति चौकाने वाली होगी। संभावित नामों में प्रदेश में मौजूद अफसरों के नामों से ज्‍यादा चर्चा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए अफसरों के नामों की है। उनमें एसीएस ऋर्चा शर्मा, मनोज पिंगुआ, विकास शील, सुबोध सिंह और गौरव द्विवेदी मुख्‍य हैं। इनमें पिंगुआ को छोड़कर बाकी सभी अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। हालांकि, विकास शील की कल एशियाई बैंक में पोस्टिंग हो गई है। जाहिर है, वे अब यहां आएंगे नहीं।

सीएम के विभागीय सचिव-सीएम सचिवालय में फिलहाल एक मात्र सचिव पी. दयानंद ही पदस्‍थ हैं। 2006 बैच के आईएएस दयानंद मुख्‍यमंत्री के सचिव हैं। इसके अलावा मुख्‍यमंत्री विष्णुदेव साय के विभागीय सचिव भी। सीएम के पास सामान्‍य प्रशासन, खनिज साधन, ऊर्जा, जनसपंर्क, वाणिज्‍यकर (अबकारी) परिवहन विभाग है। इनमें से अधिकांश विभाग पी. दयानंद के पास है। डॉ. कमलप्रीत सिंह और संविदा आईएएस डीडी सिंह सामान्‍य प्रशासन विभाग में पदस्‍थ हैं। परिवहन विभाग की कमान एस. प्रकाश और आबकारी विभाग आर. संगीता के पास है। जनसंपर्क विभाग के आयुक्‍त आईपीएस मयंक श्रीवास्‍तव भी सीएम की टीम में शामिल हैं।

इन आईएएस अफसरों की चर्चा

ऋचा शर्माः आईएएस ऋचा शर्मा 1994 बैच की आईएसस हैं। अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव (एसीएस) रैंक की शर्मा 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनकी गिनती तेजतर्रार अफसरों में होती है। राज्य बनने के बाद वे अधिकांश समय सेंट्रल डेपुटेशन पर रही हैं। 2015 में डॉ. रमन सिंह की सरकार में उन्‍हें खाद्य विभाग की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी। ऋचा शर्मा ने ताकतवर राईस माफियाओं पर न केवल अंकुश लगाया बल्कि चमत्कारित तौर से धान की शार्टेज यानी सुखत के आंकड़े को घटाकर 1 प्रतिशत पर ला दिया था। जबकि, उनसे पहले आठ से दस फीसदी तक शार्टेज दिखाकर धान में बड़ा खेल किया जा रहा था। अभी वे केंद्र सरकार में भी खाद्य विभाग में ही हैं।

मनोज कुमार पिंगुआः आईएएस मनोज कुमार पिंगुआ 1994 बैच के एसीएस रैंक के आईएएस अफसर हैं। वे गृह और जेल के साथ ही वन विभाग का दायित्व संभाल रहे हैं। पिंगुआ भी लंबे समय तक सेंट्रल डेपुटेशन पर रहे हैं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण विभाग में ज्वाइंट सिकरेट्री भी रहे। छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति उन्होंने बनाई। छत्तीसगढ़ आईएएस एसोसियेशन के वे प्रेसिडेंट भी हैं। साफ-सुथरी छबि के साथ ही पिंगुआ बैलेंस अफसर माने जाते हैं। बड़े-बड़े विभाग संभालने के बाद भी बेहद लो प्रोफाइल के। यही वजह है कि भाजपा सरकार की बड़ी प्रशासनिक सर्जरी में पिंगुआ की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ा। ब्यूरोक्रेसी के बीच उस समय वे चर्चा के विषय बने थे, जब उन्होंने आईएएस कांक्लेव में जूनियर आईएएस अधिकारियों की आचरण पर तंज कसते हुए कड़ी नसीहत दी थी।

सुबोध कुमार सिंहः सीएम सचिवालय के लिए एक नाम फर्स्ट डे से चर्चा में है, वह है सुबोध सिंह का। 1997 बैच के आईएएस सुबोध सिंह 2020 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। प्रमुख सचिव रैंक के सुबोध रायगढ़, रायपुर, बिलासपुर और रायपुर के कलेक्‍टर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के वे पहले ऐसे आईएएस हैं, जिन्हें एक जिले में दो बार कलेक्टरी का मौका मिला। वे रायपुर से बिलासपुर गए थे और फिर वहां से रायपुर। सुबोध का सबसे बड़ा प्लस उनकी ईमानदार छबि और रिजल्ट देना है। वे जिस विभाग में रहे हैं, कोई-न-कोई काम हट के किए। रायपुर और बिलासपुर में सिटी बस सेवा की शुरूआत सुबोध ने ही की। ब्यूरोक्रेसी में राजस्व को कमतर आंका जाता है। कांग्रेस सरकार में वे इसके सिकरेट्री रहते लैंड को ऑनलाइन करने का काम प्रारंभ कर दिया था। वे मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सिकरेट्री रह चुके हैं। वे ज्वाइंट सिकरेट्री पीडीएस के बाद अब वे राष्‍ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी के डॉयरेक्‍टर जनरल का दायित्व संभाल चुके हैं।

गौरव द्विवेदीः आईएएस गौरव द्विवेदी 1995 बैच के प्रमुख सचिव रैंक के अफसर हैं। इस वक्‍त वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर प्रसार भारती के सीईओ हैं। 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब द्विवेदी को तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल का सिकरेट्री बनाया गया था। मगर किन्हीं वजहों से उनका वहां जम नहीं पाया और आखिरकार कुछ महीनों के भीतर उन्हें सीएम सचिवालय से हटा दिया गया। नवंबर 2022 में वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। गौरव इससे पहले भी सेंट्रल डेपुटेशन पर रहे हैं। सीएम विष्णुदेव के दिल्ली दौरे में गौरव उनसे मिले थे। इसके बाद इनका नाम भी चर्चाओं में हैं।

सोनमणि बोरा: हालांकि, प्रमुख सचिव में 97 बैच की निहारिका बारिक, 99 बैच के सोनमणि बोरा भी है। सोनमणि इस समय भारत सरकार में ज्वाइंट सिकरेट्री लैंड मैनेजमेंट हैं। एसीएस में 94 बैच की निधि छिब्बर दिल्ली में सीबीएसई की प्रमुख हैं। सोनमणि की भी दिल्ली में सीएम से मुलाकात हुई है। सोनमणि रायपुर, बिलासपुर के नगन निगम कमिश्नर के बाद जांजगीर, कवर्धा, बिलासपुर, रायपुर के कलेक्टर और बिलासपुर के डिवीजन कमिश्नर रह चुके हैं। उन्होंने सिकरेट्री के तौर महिला बाल विकास संभाला। पिछले सरकार के दौरान वे डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए। लैंड मैनेजमेंट के एनजीडीआरएस में वे अच्छा काम कर रहे। उन्हें इसके लिए हाल ही में अवार्ड मिला है। चूकि राज्य बनते ही वे छत्तीसगढ़ आ गए थे, और कई जिलों में रह चुके हैं, इसलिए राज्य के बारे में उनकी अच्छी समझ है।

Tags:    

Similar News