Bilaspur High Court: SC आरक्षित पंचायत में अफसरों ने सामान्‍य वर्ग की महिला को बना दिया सरपंच: नाराज हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह सुनाया फैसला

Bilaspur High Court: मामला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत खपरीडीह का है। सरपंच का पद अनुसूचित जाति वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। जब पंचायत चुनाव हुआ तो इसी वर्ग की महिला बिंदु चौहान सरपंच के पद पर निर्वाचित हुई थी। पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत एसडीएम ने सरपंच को पहले निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया। नियमानुसार इसी वर्ग की महिला पंच को कार्यवाहक सरंपच की जिम्मेदारी सौंपी जानी थी। अफसरों ने ऐसा नहीं किया। नियमों को दरकिनार कर सामान्य वर्ग की महिला को सरपंच की कुर्सी सौंप दी। अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह का आदेश दिया है।

Update: 2024-11-21 13:26 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत खपरीडीह का है। सरपंच का पद अनुसूचित जाति वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। जब पंचायत चुनाव हुआ तो इसी वर्ग की महिला बिंदु चौहान सरपंच के पद पर निर्वाचित हुई थी। पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत एसडीएम ने सरपंच को पहले निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया। नियमानुसार इसी वर्ग की महिला पंच को कार्यवाहक सरंपच की जिम्मेदारी सौंपी जानी थी। अफसरों ने ऐसा नहीं किया। नियमों को दरकिनार कर सामान्य वर्ग की महिला को सरपंच की कुर्सी सौंप दी।

18.09.2024 को अवमानना न्यायालय ने अमरीका बाई अजगले को ग्राम पंचायत स्थानापन्न सरपंच के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता अवमानना याचिका में पक्षकार नहीं था, लेकिन उसे सरपंच के पद से हटाने और अमरीका बाई को स्थानापन्न सरपंच के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। इसे चुनौती देते हुए अपील पेश की है।

छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 (संक्षेप में 'अधिनियम, 1993') की धारा 40 के तहत एक कार्यवाही में ग्राम पंचायत खपरीडीह की नियमित सरपंच बिंदु चौहान को निलंबित कर दिया गया था और सरपंच का पद रिक्त था। इसके बाद अधिकारियों ने अधिनियम, 1993 की धारा 39(3) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए कार्यवाहक सरपंच की नियुक्ति की और लक्ष्मी वैष्णव को कार्यवाहक सरपंच नियुक्त किया गया। अमरीका बाई अजमेरय, जो अनुसूचित जाति (महिला वर्ग) से हैं, को धारा 39(3) के तहत कार्यवाहक सरंपच पद के लिए पंचायत में हुई आमसभा की बैठक के लिए नोटिस तामील नहीं किया गया। लक्ष्मी वैष्णव ने अपने प्रभाव का इस्तेामल करते हुए कार्यवाहक सरपंच नियुक्त करने का नियुक्ति आदेश पारित करा लिया। नियुक्ति आदेश के खिलाफ अमरीका बाई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसडीएम बलौदाबाजार को मामले की जांच करने और अधिनियम, 1993 की धारा 39 के प्रावधानों को ध्यान में रखने के बाद कार्यवाहक सरपंच की नियुक्ति के संबंध में आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 60 दिनों की अवधि के भीतर संबंधित प्राधिकारी द्वारा पूरी प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया गया था। आदेश का पालन ना करने का आरोप लगाते हुए अमरीका बाइ ने अवमानना याचिका दायर की थी।

 कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह सच है कि ग्राम पंचायत खपरीडीह के सरपंच का पद अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित है। पूर्व में निर्वाचित सरपंच को निलम्बित किया गया है, क्योंकि उसके विरूद्ध अधिनियम 1993 की धारा 40 के अन्तर्गत जांच प्रस्तावित है। ग्राम पंचायत के सुचारू संचालन के लिए अधिनियम 1993 की धारा 39 के प्रावधानों के अनुसार उक्त ग्राम पंचायत के स्थानापन्न सरपंच की नियुक्ति हेतु प्रस्ताव पारित किया गया, सभी पंचों को नोटिस जारी किया गया । याचिकाकर्ता को नोटिस तामील नहीं किया जा सका, क्योंकि वह गांव में उपलब्ध नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वह आजीविका के लिए कहीं दूर चली गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को कार्यवाहक सरंपच के रूप में नियुक्तकिए जाने के उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति वर्ग की सदस्य है और अधिनियम, 1993 की धारा 39(3) के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाहक सरपंच की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव पारित करते समय पंचों के साथ-साथ अधिकारियों द्वारा उसकी उम्मीदवारी पर भी विचार किया जाना चाहिए था, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थी, इसलिए अनुसूचित जाति वर्ग के बजाय सामान्य वर्ग की महिला पंच को कार्यवाहक सरपंच के रूप में नियुक्त किया गया।

 कोर्ट का आदेश, पंचों को नोटिसी तामिली का कराएं वीडियोग्राफी

स्थानापन्न सरपंच की नियुक्ति प्रथम दृष्टया पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है, इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि एसडीएम, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को विधि की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद स्थानापन्न सरपंच को हटाने की कार्यवाही शुरू करने के निर्देश जारी करेंगे। सीईओ इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 15 दिनों के भीतर सभी पंचों को नोटिस जारी करेंगे और उन्हें नोटिस की सेवा की वीडियोग्राफी की जाएगी और हस्ताक्षर प्राप्त किए जाएंगे। इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाएगा। इसके बाद स्थानापन्न सरपंच को हटाने की कार्यवाही पूरी की जाएगी और याचिकाकर्ता को स्थानापन्न सरपंच के पद पर नियुक्त करने की कार्यवाही शुरू की जाएगी। सम्पूर्ण प्रक्रिया इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाए।

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