Bilaspur High Court: डीजीपी, आईजी और एसपी पर अमानवीय व्यवहार का आरोप: एएसआई के पिता ने हाई कोर्ट में लगाई गुहार
Bilaspur High Court:
Bilaspur High Court: बिलासपुर। पुलिस विभाग में कार्यरत एएसआई बेटे को न्याय दिलाने के लिए पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है। पिता ने डीजीपी, आईजी व जांजगीर-चांपा के एसपी पर अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया है। पिता का कहना है कि बेटा के मानसिक रूप से अस्वस्थ्य होने की जानकारी होने के बाद आला अफसरों ने मदद करने के बजाय नौकरी से ही पृथक कर दिया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने तीनों आला अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 10 सप्ताह का समय दिया है। याचिका की अगली सुनवाई के लिए नवंबर माह में 18 तारीख के सप्ताह के लिए तय कर दिया है। बिलासपुर जिले के तालापारा तैयबा चौक निवासी पुलिस विभाग के पूर्व असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इकबाल खान की ओर से उसके पिता हाजी मोहम्मद शरीफ खान ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में बताया है कि उसके पुत्र मोहम्मद इकबाल खान की नियुक्ति दो अक्टूबर. 2010 को असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय जांजगीर-चांपा में पदस्थापना दी गई थी। इसके पहले गृह विभाग के नियमानुसार चरित्र सत्यापन एवं चिकित्सकीय परीक्षण किया गया था। सेवा शर्तों के अनुसार वे अपनी सेवाए दे रहा था।
इसी बीच पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उसकी तबियत बिगड़ने लगी। वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से रोग ग्रस्त होने लगा। अस्वस्थता के कारण वह अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नियमित रूप से नहीं कर पा रहा था। प्रारंभ में उसकी अस्वस्थता के कारण अनुपस्थिति को चिकित्सकीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने पर विभाग के द्वारा अनुपस्थिति को मेडिकल ग्राउंड पर लेते हुए उसे काम पर वापस ले लिया था।
वर्ष 2011 में वह अपने मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में निर्धारित समय पर कार्यालय में उपस्थित नहीं हो पा रहा था एवं कई बार वह कार्यालय बंद होने के बाद भी अपना कार्य करने के लिए कार्यालय पहुंच जाता था । उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी और वह मानसिक रूप से लगातार अस्वस्थता की ओर जा रहा है। याचिकाकर्ता पिता ने बताया कि उसका बेटा सोचने समझने की शक्ति खो चुका है। घर पर एक कमरे में ही पृथक से रखा जाता है। यह सब बताने के बाद भी आला अधिकारियों ने संवेदना नहीं दिखाई। मदद करने के बजाय नौकरी से ही बाहर कर दिया है।
अफसरों का नहीं पसीजा दिल
मानसिक रोगी अपने मातहत की हालत को देखने के बाद भी आला अफसरों का दिल नहीं पसीजा। पुलिस अधीक्षक जांजगीर चांपा ने उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र जारी कर दिया। कारण बताया कि बिना बताए 43 दिन से अनुपस्थित है। 18 फरवरी 2013 को पुलिस अधीक्षक ने बिना बताए सेवा से अनुपस्थिति को गंभीर कारण बताते हुए सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया।
आईजी ने भी खारिज कर दी अपील
याचिकाकर्ता पिता ने कोर्ट को बताया कि मानसिक रोगी बेटे के स्वास्थ्य की जानकारी विभाग के आला अफसरों को होने के बाद भी जिस तरह कार्रवाई की उससे वह हताश हो गया था। पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई को चुनौती देते हुए आइजी के समक्ष अपील पेश की थी। आईजी ने पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी। आईजी के फैसले को चुनौती देते हुए डीजीपी के समक्ष पुनरीक्षण अपील पेश की। मामले की सुनवाई के बाद 21 अक्टूर 2014 को डीजीपी ने पुनरीक्षण अपील को निरस्त कर दिया।
शाखा प्रभारी के प्रतिवेदन को किया नजरअंदाज
याचिकाकर्ता के पिता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा ने शाखा प्रभारी से उनके बेटे के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। सात फरवरी.2012 को शाखा प्रभारी ने प्रतिवेदन रिपोर्ट में बताया था कि एएसआइ का व्यवहार असमान्य प्रकृति का है। मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया था। रिपोर्ट के बाद भी पुलिस अधीक्षक ने सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया।