Chhattisgarh Tarkash: गुरू की शरण में डीजीपी...तरकश की पुरानी यादें

फेसबुक के सौजन्य से एक दशक पुराना तरकश...20 जनवरी 2013 का। फेसबुक ने मेमोरी शेयर किया। थैंक्स फेसबुक। क्योंकि, तब न नेट की दुनिया उतनी स्ट्रांग थी और न ही सोशल मीडिया। पढ़िये पुरानी घटनाएं...फिर आपके जेहन में ताजा हो जाएंगी।

Update: 2024-01-21 08:56 GMT

संजय के. दीक्षित

तरकश, 20 जनवरी 2013

गुरू की शरण में डीजीपी...तरकश की पुरानी यादें

जब से छत्तीसगढ़ बना है, पुलिस के ग्रह-नक्षत्र खराब ही चल रहे हैं। 2002 में आईपीएस अफसर मूलचंद बजाज की डेथ हुई, इसके बाद एक-एक कर आठ आईपीएस गुजर गए। डीजीपी से लेकर एसपी, आईजी तक। 2012 तो और खराब रहा। बिलासपुर एसपी ने गोली मार ली। 20 दिन बाद वहां के आईजी भी हर्ट अटैक में नहीं रहे। ग्रह-दशा के चलते ही बिलासपुर आईजी जीपी सिंह को बे-आबरु होकर बिदा होना पड़ा, तो धमतरी एसपी को पनिशमेंट के तौर पर रायपुर वापिस बुला लिया गया। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे कैडर में आठ आईपीएस के स्वर्गवास को दूसरे राज्य के आईपीएस भी विश्वास नहीं करते। यही नहीं, 10 साल में नक्सली हमले में 500 से अधिक जवान भी शहीद हुए। अब अपने नए डीजीपी रामनिवास साब अवधूत बाबा शिवानंदजी के शिष्य हैं और उनकी ताजपोशी के अवसर पर वे आर्शीवाद देने उनके घर और कार्यालय भी पधारे थे। बाबा के निर्देश पर डीजीपी ने हाल ही में, दुर्गा सप्तशती यज्ञ कराया है। सो, पुलिस महकमा उम्मीद कर रहा है, 2013 कम-से-कम ठीक जाएगा। आखिर, नक्सली हमले में एयरफोर्स का हेलीकाप्टर बाल-बाल बच गया। डेढ़ महीने में कोई बड़ी वारदात भी नहीं हुई है। फिर, इसे यज्ञ का असर मानने में क्या दिक्कत है। पुलिस वालों को अब, शिवानंद महाराज की जय बोलना चाहिए। बाबा भी प्रसन्न और बास भी।

तेवर

हाल के कुछ मामलों में सरकार ने जो तीखे तेवर दिखाए हैं, उससे आईएएस, आईपीएस ही नहीं, बल्कि मंत्री लोग भी सहम गए हैं। चावल की क्वालिटी को लेकर एफसीआई के खिलाफ प्रदर्शन और उसमें जबरिया ताला लगा देने पर वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के भाई योगेश के खिलाफ पंडरी थाने में मुकदमा दर्ज हो गया। इससे पहले, आप कभी सोच सकते थे। यहीं नहीं, डाक्टर साब ने शिक्षाकर्मियों के मामले में दो टूक कह दिया, बर्खास्त लोगों को बहाल नहीं किया जाएगा। सरकार के तेवर देखकर ही लिपिक संघ ने, उल्टे धन्यवाद देकर आंदोलन खतम कर दिया। मुंगेली के जिला उत्सव में सीएम को जब पता चला कि बिल्हा में खराब सड़क बनाने वाला ठेकेदार उल्टे पीडब्लूडी के ईई को सस्पेंड कराने की धमकी दे रहा है, तो उन्होंने फौरन आदेश दिया, तीन दिन के अंदर जांच कर उन्हें इंफार्म करें। ब्यूरेक्रेट्स भी मान रहे हैं, बदले-बदले नजर आ रहे हैं सरकार। कुछ गड़बड़ हो गया, तो बचना मुश्किल है। कैसे भी छह महीने निकाल लो।

राहत

कांकेर पुलिस ने अतिउत्साह में झलियामारी दुष्कर्म कांड के सभी आरोपियों के खिलाफ आदिवासी प्रताड़ना की धारा भी लगा दी थी। जबकि, यह धारा सिर्फ गैर आदिवासियों पर ही लगाई जा सकती है। इस गलती को सराकर ने पकड़ा और राजधानी से निर्देश जारी होने पर कांकेर पुलिस ने यह धारा हटाई। ज्ञातव्य है, आरोपियों में शिक्षाकर्मी से लेकर चैकीदार, आश्रम अधीक्षिक, बीईओ, एबीईओ तक सभी आदिवासी हैं। शिक्षाकर्मी और चैकीदार में से एक भी गैर आदिवासी होता तो स्थिति कुछ और होती और सरकार के लिए उसे संभालना आसान नहीं होता। और, शायद यही वजह भी है कि सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकार इसमें राजनीतिक नुकसान नहीं देख रहे।

मेला के नाम पर

मेला और महोत्सव के नाम पर पर्यटन और संस्कृति विभाग से लेकर कलेक्टर तक खजाने को चूना लगा रहे हैं। अभी तक, सिरपुर, राजिम, ताला जैसे आयोजन होते थे। अब तो जिसको देखो, वही लगा हुआ है। दंतेवाड़ा के कलेक्टर ने दो दिन पहले बारसूर महोत्सव कराए। इसके लिए 50 रुपए से भी अधिक के, महंगे कार्ड छपवाए गए। मुंबई के कलाकारों को बुलाकर नाच-गाना कराया गया। बारसूर की गणेश प्रतिमा को दूनिया का तीसरी बड़ी प्रतिमा बताई गई। मगर एक हकीकत यह भी है कि बारसूर में दिन में भी जाने से लोग घबराते हैं। वहां चाय की एक झोपड़ी तक नहीं है। रुकने के लिए ठौर-ठिकाने की तो बात ही अलग है। कुछ दिन पहले मैनपाट में महोत्सव के नाम पर ही सरगुजा के कलेक्टर ने रुसी बालाओं को बुलाकर अधनंगी नाच कराई गई। ऐसा नाच कि परिवार के साथ बैठे लोगों को आंखे फेरनी पड़ गई। अब, पड़ोसी जिला कोरिया के तातापानी में महोत्सव कराने खातिर बजट स्वीकृत करने के लिए सरकार के पास पत्र आया है।

कुलपति चयन

बस्तर और सरगुजा विश्वविद्यालय के नए कुलपति का सलेक्शन करने के लिए 24 जनवरी को मंत्रालय में बैठक होने जा रही है। इसमें आवेदनों की छंटनी करके योग्यता के आधार पर तीन-तीन नाम के पैनल बनाए जाएंगे। और कुलपति चयन कमेटी इसी दिन बंद लिफाफा राज्यपाल को भेज देगी। राज्यपाल इनमें से किसी एक नाम पर टिक लगाकर वीसी अपाइंट कर देंगे। यद्यपि, दोनों विश्वविद्यालय दूरस्थ और आदिवासी इलाके में हैं, इसके बावजूद दावेदारां में उत्साह की कमी नहीं है। हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। मगर जिस तरह कमेटी बनी है, लगता है, ठीक-ठाक ही होगा। चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार कमेटी के चेयरमैन हैं और यूजीसी ने दोनों विवि के लिए अपना प्रतिनिधि नामित किया हैं, वे भी कम नहीं हैं। एक सीएसआईआर के एक्स चेयरमैन हैं और दूसरे, इलाहाबाद विवि के कुलपति रह चुके हैं। मुख्यमंत्री भी इस साल को गुणवता वर्ष के रूप में मनाने का ऐलान किया है। वैसे भी, डाक्टर साब आजकल छोटी-मोटी बातों में रुचि नहीं लेते। और ना ही प्रेशर में आते। सो, उम्मीद कीजिए दोनों विवि की कमान ठीक-ठाक लोगों के हाथ में ही सौंपी जाएगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक सीनियर आईएएस से पंगा लेने के कारण किस मंत्री को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है?

2. राईस मिलर एफसीआई के खिलाफ इसलिए मुहिम छेड़े हुए हैं कि दबाव में आकर सरकार नागरिक आपूर्ति निगम को चावल खरीदने का निर्देश दे दे?

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