Bilaspur High Court: हाथियों को करंट से बचने अब बिजली कंपनी करेगी काम: वन विभाग ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ दी जानकारी

Bilaspur High Court: वन विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट में शपथपत्र पेश कर कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के तहत हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए कार्य करेगी।

Update: 2024-10-03 11:54 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु को लेकर दूसरी बार दायर की गई जनहित याचिका में वन विभाग ने कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार द्वारा दिएबजए दिशा निर्देश के तहत हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए कार्य करेगी। इसके लिए बिजली कंपनी ने निर्देश भी जारी क़र दिया है। जवाब के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बी. डी. गुरु की डीबिजन बेंच ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका का निराकरण कर भारत सरकार की गाइडलाइंस का शब्दतः और मूल भावना में पालन करने का निर्देश दिया है।

क्या है भारत सरकार की गाइडलाइंस

भारत सरकार की वर्ष 2016 की गाइडलाइंस के अनुसार हाथी जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचने के लिए हाथी की सूंड जहां तक जा सकती है इतनी ऊंचाई तक विद्युत लाइन रखनी है। गौरतलब है कि पीछे के पांव पर खड़े होने पर और सूंड ऊपर उठाने पर एक व्यस्क हाथी की लंबाई 20 फीट तक हो सकती है। गाइडलाइंस के अनुसार बिजली कंपनी हाथियों के मूवमेंट वाले वन क्षेत्र में विद्युत लाइनें की ऊंचाई 20 फीट करने और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए कार्य करेगी।

कंपनी समय-समय पर झुकी हुई बिजली की लाइनों और बिजली के खम्बों को ठीक करने के अलावा बिजली के खम्बों पर 3 से 4 मीटर तक बारबेट वायर लगाएगी ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित रहे। हाथी विचरण क्षेत्र में बिजली कंपनी जंगली जानवरों के शिकार हेतु फैलाए जाने वाले स्थान एवं फसलों एवं घरों की सुरक्षा हेतु बनाए गए घेरे में विद्युत फैलाए जाने की नियमित जांच करेगी और अस्थाई पंप और अवैध विद्युत कनेक्शन की भी जांच करेगी। प्रोटेक्टेड एरिया अर्थात नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण, एलिफेंट कॉरिडोर में वन विभाग के साथ वर्ष में दो बार संयुक्त सर्वे करेगी।

जून में अपर मुख्य सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में हुई थी बैठक

26 जून 2024 को अपर मुख्य सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी गाइडलाइंस का पालन किया जावेगा। बैठक में निर्देश दिए गए की ऊर्जा विभाग बिजली के 11 केवी, 33 केवी लाइन एवं एलटी लाइन के झुके हुए तारों को कसने का काम, तार की ऊंचाई बढ़ाने का काम तथा वन क्षेत्र, हाथी रहवास, हाथी विचरण क्षेत्र में भूमिगत बिजली की लाइन बिछाने अथवा इंसुलेटेड केबल लगाने का कार्य करेंगे।

इसके बाद प्रधान मुख्य संरक्षण (वन्यप्राणी) द्वारा सितम्बर में ली गई बैठक में बिजली कंपनी ने बताया कि पंप कनेक्शन के लिए केबल कार्य लगाने का कार्य जारी है। बेयर कंडेक्टर को कवर्ड कंडेक्टर में बदलने का कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। वन विभाग ने 2333 लूज पॉइंट को चिन्हित किया गया है जहां सुधार कार्य मार्च 2025 तक करा लिया जायेगा।

बिजली कंपनी ने पहले मांगे थे 1674 करोड

हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु को लेकर 2018 में सिंघवी द्वारा दायर की गई पहली जनहित याचिका में विद्युत वितरण कंपनी ने लगभग 8500 किलोमीटर 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने और बेयेर कंडक्टर के स्थान पर कवर्ड कंडक्टर और एबीसी केबल लगाने के लिए रुपए 1674 करोड की मांग वन विभाग से की थी। तब से दोनों विभाग खर्चा वहन करने के लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे। इसको लेकर 2021 में पुनः सिंघवी द्वारा जनहित याचिका दायर कर मांग की गई कि खर्चा कौन वहन करेगा इसकी जवाबदारी तय की जावे।

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