BCCI मोबाइल कंपनी VIVO से करार खत्म नहीं करेगा, कहा- पैसा भारत आ रहा न कि जा रहा…

Update: 2020-06-19 06:50 GMT

नईदिल्ली 19 जून 2020. देशभर में चीनी सामानों, कंपनियों के बहिष्कार की मांग तेज हो गई है। कयास लगाए जा रहे थे कि इसका असर इंडियन प्रीमियर लीग और टीम इंडिया पर भी पड़ेगा, लेकिन गुरुवार को बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण कुमार धूमल ने स्पष्ट कर दिया कि बोर्ड अगले चक्र के लिए अपनी प्रायोजन नीति की समीक्षा के लिए तैयार है, लेकिन आनन-फानन में ‘वीवो’ कंपनी के साथ करार खत्म नहीं करेगा। आईपीएल में चीनी कंपनी से आ रहे पैसे से भारत को ही फायदा हो रहा है, चीन को नहीं।

यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि इंडियन प्रीमियर लीग का टाइटल स्पॉन्सर चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो है। इतना ही नहीं यह कंपनी टूर्नामेंट के दौरान सबसे ज्यादा विज्ञापन भी देती है। कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने कहा कि हमें वीवो से हर साल स्पॉन्सरशिप के जरिए 440 करोड़ रुपये मिलते हैं और कंपनी से हमारा करार 2022 तक है, इसके बाद ही स्पॉन्सरशिप की समीक्षा की जाएगी।

समाचार एजेंसी से क्रिकेट बोर्ड के कोषाध्यक्ष कहते हैं, ‘जब आप भावुक होकर बात करते हैं, तो आप तर्क को पीछे छोड़ देते हैं। हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिए चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिए चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं। जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिए दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 प्रतिशत कर चुका रहा है। इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं।’

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