IPS हिमांशु गुप्ता के साथ ATS चीफ दीपमाला कश्यप की सरकार ने क्यों की छुट्टी, पढ़िये इस खबर को….सरकार क्यों हुई इस कदर खफा

Update: 2020-05-30 08:02 GMT

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रायपुर, 30 मई 2020। खुफिया चीफ बोलें तो मुख्यमंत्री को सूबे की घटनाओं पर फर्स्ट इंफारमेशन देने वाला सबसे विश्वस्त अफसर। ऐसे अफसर को सरकार ने 27 मई को अगर एक झटके में हटा दिया तो लोगों का चौंकना स्वाभाविक था।
सीएम भूपेश बघेल ने 3 नवंबर 2019 को संजय पिल्ले को हटाकर दुर्ग के आईजी हिमांशु गुप्ता को इंटेलिजेंस चीफ बनाया था। हिमांशु पर सरकार को काफी भरोसा था। मगर भरोसा टूटा तो उन्हें बदलने में सरकार ने एक मिनट भी देर नहीं लगाई। रात एक बजे फैसला हुआ और सुबह साढ़े दस बजे हिमांशु ने रायपुर रेंज आईजी आनंद छाबडा का चार्ज सौंपकर पांच मिनट के भीतर पुराना पुलिस मुख्यालय छोड़ कर नया रायपुर के पुलिस मुख्यालय चले गए। सूत्रों की मानें तो ऐसा उपर से कुछ ऐसा ही सख्त प्वाइंट मिला था। इसलिए, छाबड़ा सवा दस बजे ओल्ड पीएचक्यू के खुफिया आफिस पहुंच गए थे। हिमांशु को 27 मई की सुबह साढ़े आठ बजे उपर से फोन आया। और, जैसा कहा गया, हिमांशु ने वैसा ही किया। दस बजकर 29 मिनट पर पीएचक्यू पहुंचे और दस बजकर 34 मिनट पर चार्ज हैंड ओवर करने वाले प्रोफार्मा पर दस्तखत करके पीएचक्यू छोड़ दिया।
हिमांशु से कुछ मिनट पहले एंटीएस याने एंटी टेररिस्ट स्कवॉड की एसपी दीपमाला कश्यप को भी सरकार ने हटा दिया। एटीएस खुफिया चीफ के निर्देशन में काम करता हैं। खुफिया जानकारियो के साथ ही संवेदनशील मामलों में फोन सर्विलेंस पर रखने का काम भी एटीएस के अंतर्गत आता है। पता चला है, सरकार को कुछ संवेदनशील इनपुट्स मिले थे, जिसमें कुछ फोन टेप समान कुछ बातें आ रही हैं। पूरी घटना की आश्चर्यजनक पहलू यह है कि सरकार को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। जबकि, छोटी-छोटी इंफारमेंशन को खुफिया विभाग सीएम या उनके सचिवालय के अफसरों से शेयर करता है। खुफिया चीफ को ये प्रीविलेज रहता है कि वे जितने बार चाहे, उतनी बार वे मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं।
बताते हैं, पूरा मामला कांकेर में शहरी नक्सली नेटवर्क के भंडाफोड़ से जुड़ा हुआ है। कांकेर के डीआईजी संजीव शुक्ला ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस मामले में बिलासपुर के बड़े ठेकेदार निशांत जैन को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया। इसी दौरान पूछताछ में पता चला कि खुफिया विभाग इस मामले को हैंडिल कर रहा था। मुख्य आरोपी निशांत जैन के फोन सर्विलेंस जैसी बातें भी सामने आई। और, भी कई संवेदनशील जानकारी मिली, जिसका साक्ष्य न होने के कारण उसे यहां कोट नहीं किया जा सकता।

खुफिया विभाग हुआ ट्रेप

निशांत जैन हालांकि, एक हफ्ते पहले पकड़ा गया लेकिन सरकार को अपने खास सोर्सेज से 26 मई की देर रात अंदर की बातें पता चलीं। सरकार के विश्वस्त लोगों ने निशांत जैन मामले में गंभीर फीडबैक दिए। इसमें जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा में लापरवाही भी शामिल था। मामले की गंभीरता को देखते बताते हैं, मुख्यमंत्री ने करीब आधी रात को डीजीपी से बात की। फिर, उनके एसीएस ने सुबह साढ़े आठ बजे हिमांशु गुप्ता और आनंद छाबड़ा से बात की। और, साढ़े दस बजे हिमांशु और दीपमाला पदमुक्त हो गए।

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