CG Good Governance: मंत्रालय में अब ई-नोटशीट, ई-फाईलिंग, GAD और CM सचिवालय से होगी फाइलों की निगरानी, 24 साल बाद वर्किंग कल्चर बनाने का प्रयास

CG Good Governance: सब कुछ ठीक रहा तो छत्तीसगढ़ के लोगों को अब रजिस्ट्री आफिस के खटराल दलालों के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। घर बैठे रजिस्ट्री होगी। यही नहीं, गुड गर्वनेंस की दिशा में प्रयास करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार मंत्रालय में ई-नोटशीट और ई-फाइलिंग की शुरूआत करने जा रही है।

Update: 2024-05-02 07:36 GMT

CG Good Governance: रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार गुड गर्वेनेंस की दिशा में बड़ा काम करने जा रही है। मंत्रालय समेत दीगर कार्यालयों में अधिकारियों और कर्मचारियों को समय पर आने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम लगाया जा रहा है तो और वर्किंग कल्चर में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

ई-नोटशीट, ई-फाइलें

मंत्रालय में अभी तक नोटशीट और फाइलों की सुस्त रफ्तार और मानिटरिंग न होने की शिकायतें अक्सर होती थी। फाइलों का गुम जाना या अलमारी में डंप होकर दम तोड़ देना सामान्य बात थी। विवेक ढांड जब चीफ सिकरेट्री थे तो ई-फाइलिंग की बात हुई थी। सॉफ्टवेयर बनाकर अफसरों को ऑनलाइन काम करने के निर्देश भी दिए गए थे। मगर फॉलोअप और दिलचस्पी के अभाव में ये कारगर नहीं हो पाया। एनआईसी का साफ्टवेयर भी बेकार हो गया। मगर अब इस पर सरकार संजीदा है। मंत्रालय में अब ई-नोटशीट और ई-फाइलिंग के लिए गंभीरता से प्रयास प्रारंभ कर दिए गए हैं। चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने मंत्रालय में रिव्यू कर अफसरों को इसके लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।

सीएम सचिवालय और जीएडी से निगरानी

सीनियर अफसरों का कहना है कि ई-नोटशीट और ई-फाइलिंग स्टार्ट हो जाने से निगरानी बड़ी आसान हो जाएगी। इसके लिए जीएडी और सीएम सचिवालय में एक सेल बनाया जा रहा है। ताकि, पता चल सके कि कौन सी नोटशीट किस अफसर के पास गई और कितने दिन से उनके यहां पड़ी है। ऐसा साफ्टवेयर बनाया जा रहा कि लिमिट समय से अधिक दिन तक फाइलों को रुकने पर आटोमेटिक मैसेज संबंधित अफसर के साथ ही चीफ सिकरेट्री, जीएडी और सीएम सचिवालय को चला जाएगा। इससे अफसरों की फाइल रोकने की प्रवृति कम होगी। छत्तीसगढ़ में अधिकांश फाइलों में अभी तक यही होता था कि जिसमें ठीकठाक पैसा मिलना हो या फिर उपर से फोन आए, वहीं फाइलें सरपट दौड़ती थी। कई बार तो उपर से फोन आने के बाद भी अगर पैसा नहीं मिला तो फाइलें अटका दी जाती थी। याने उपर से फोन कराने के साथ चढ़ावा भी चढाइये, तब जाकर काम हो पाते थे। मगर सरकार अब इसको लेकर कड़े रुख दिखा रही है।

बायोमेट्रिक सिस्टम

बायोमेट्रिक सिस्टम को पहले मंत्रालय और इंद्रावती भवन में बायोमेट्रिक लगाया जाएगा। बताते हैं, सीएम विष्णुदेव साय को पता चला कि फाइव डे वीक होने के बाद भी अधिकांश अधिकारी, कर्मचारी टाईम पर नहीं आ रहे। खासकर, मंत्रालय और इंद्रावती भवन में पोस्टेड बड़े अफसर अपने मन से आफिस आते हैं और मनमर्जी से जाते हैं। आम आदमी से लेकर दूरदराज से सराकरी काम से आने वाले सरकारी कर्मचारी, अधिकारी मंत्रालय और इंद्रावती भवन का चक्कर लगाते रहते हैं। उद्योग, व्यापार फील्ड के लोग अफसरों से मिलने के लिए बैठे रहते हैं मगर अधिकारी हैं तो कर्मचारी नहीं और कर्मचारी हैं तो अधिकारी नहीं।

बता दें, इससे पहले कई बार निचले स्तर पर बायोमेट्रिक लगाने की शुरूआत हुई मगर वह सफल नहीं हो पाई। हमेशा इसका विरोध शुरू हो जाता है। शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद बायोमेट्रिक की शर्त रखी गई थी। तब स्कूलों में बायोमेट्रिक सिस्टम लगाया गया था। मगर नेटवर्क नहीं आ रहा, पेड़ और छज्जे पर चढ़कर थंब लगाते इतना ज्यादा फोटो शिक्षकों ने सोशल मीडिया में वायरल किया कि वे जो चाहते थे, वही हुआ। बायोमेट्रिक सिस्टम अपने आप खतम हो गया।

बायोमेट्रिक का विरोध क्यों?

कोई भी सरकारी मुलाजिम नहीं चाहता कि उसे समय पर आफिस आन पड़े। भारत सरकार में जब बायोमेट्रिक लगा था तो वहां भी कर्मचारी, अधिकारी हाजिरी नहीं लगाते थे। इसके बाद केंद्र ने सख्त कदम उठाया था। मंत्रालय और इंद्रावती भवन समेत नवा रायपुर के आफिसों में बायोमेट्रिक लगने के बाद अधिकारियों, कर्मचारियों को समय पर आना होगा। याने सुबह साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक। अभी साढ़े पांच बजते ही मंत्रालय समेत नवा रायपुर के आफिसों में बैग, झोला, टिफिन समेटना शुरू कर देते हैं।

चूकि चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए बैठक ली है, लिहाजा इसकी गंभीरता को समझी जा सकती है। लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के बाद भी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय लगातार इसका अपडेट ले रहे हैं। इसलिए, अबकी लगता है विरोधों के बाद भी सरकार बायोमेट्रिक सिस्टम लगा देगी।

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