Tips For Good Life : छोटे-छोटे ये कुछ बदलाव बनेंगे खुशगवार और स्वस्थ ज़िन्दगी की वजह, पढ़िए, आप से कहीं चूक तो नहीं हो रही...

Update: 2023-05-06 10:02 GMT

Tips For Good Life : ज़िन्दगी की मनमर्जी बहुत चलती है। चाहे तो हंसाने, चाहे तो रुलाए। रही-सही कसर हम मन से हारकर और तन को भूलकर पूरी कर देते हैं। लेकिन ये ज़िन्दगी जीने का सही तरीका नहीं है। लाइफ अगर चैलेंज है तो हमें भी खिलाड़ी वाली स्पिरिट अपने अंदर पैदा करनी चाहिए। तभी तो खेल में असल मज़ा आएगा। हम यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं जिन्हें फाॅलो करके आप ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से जी सकते हैं। खुश रह सकते हैं।

पाॅज़िटिव एटीट्यूड

ऐसा जीवन किसे मिला है जिसमें कोई परेशानी न हो। किसी न किसी किस्म की परेशानी तो हिस्से में आएगी ही। लेकिन उसी के बारे में सोचते रहना, ना उम्मीद और बेचैन रहना यानी और ढेर सारी परेशानियों को दावत देना। आपको अहसास भी नहीं होता कि नेगेटिव एप्रोच किस तरह आपको मानसिक के साथ शारीरिक रूप से भी कमज़ोर करती है। यहाँ तक कि आपकी इम्यूनिटी भी इस कारण कमज़ोर होती है और आप जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं। तो सीधा-सादा हिसाब है कि 'जो है-सो है', अब कैसे इन्हीं परिस्थितियों में खुश और पाॅज़िटिव रहना है, ये आपको खुद ही सीखना है।

नाश्ता स्किप न करें

रात भर के फास्ट को सुबह उठने के दो से तीन घंटे के अदर ब्रेक ज़रूर करें यानी ब्रेकफास्ट ज़रूर ही लें। और वो भी पौष्टिक, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट का सही बैलेंस हो। हड़बड़ी या ज़िम्मेदारियों का हवाला देकर बच कर न निकलें। शरीर आपका है, आपको ही उसे अच्छी तरह चलाना है। नाश्ता न करने से मेटाबोलिज्म पर गलत असर पड़ता है। एनर्जी भी चुक जाती है। और जम के भूख लगने पर आप जो हाथ आया वो खा लेते हैं। इसलिए हेल्दी नाश्ता करने की आदत आज ही से डालें।

अच्छी नींद आए, इसके उपाय करें

7-8 घंटे की अच्छी नींद बहुत सी समस्याओं से बचाती है। एक तो इस दौरान शरीर को अपनी अंदरूनी मरम्मत करने का भरपूर टाइम मिलता है, दूसरे अधूरी नींद का मतलब आलस भरा नया दिन, खराब इम्यूनिटी और बिगड़ा हुआ मानसिक स्वास्थ्य। अगर अनिद्रा के शिकार हैं तो डाॅक्टर से मिलिए। योग की मदद लीजिए। सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल -टीवी को गुडनाइट बोल दीजिए। एकांत में बैठकर पांच-सात मिनट गहरी सांसें लीजिए, नींद ज़रूर आएगी। और तब भी न आ रही हो तो कहिए, ठीक है, शरीर को आराम तो मिल रहा है न, यही सही। जब आप चिंता छोड़ देंगे तो धीरे से नींद भी आपके पास चली आएगी।

रुटीन की डाइट पर ध्यान दें

अपने दिन भर के आहार पर एक भरपूर नज़र डालिए। क्या आपका खानपान सही है? पढ़ते तो खूब हैं कि क्या खाना चाहिए. क्या नहीं, पर क्या फाॅलो कर पा रहे हैं। अपने बजट के अंदर कौन सी हेल्दी चीज़ें आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं, उनकी लिस्ट बना लें। हर अलग दिन उनमें से कुछ चीज़ों को खाने की कोशिश करें। सरसों का तेल खाना बनाने के लिए बहुत बढ़िया है। रिफाइंड ऑइल की जगह इसका इस्तेमाल करें। बैलेंस्ड डाइट लेने का प्रयास करें। जंक फूड महीने में एकाध बार ही लें। दही, फल-सब्जियों की सही मात्रा डाइट में शामिल हो, ऐसी कोशिश करें। प्रोटीन और कैल्शियम पर्याप्त मिले, कोशिश करें। खाना चबा-चबाकर खाएं। रात का खाना हल्का और सोने से तीन घंटे पहले खाने का प्रयास करें।

एक्टिव लाइफ-हेल्दी लाइफ

एक्सरसाइज़ ज़रूरी है। आपको कौन सी फिजिकल एक्टिविटी सूट करती है, तय करें और उस पर फोकस करें। चाहे वाॅक करें, या रनिंग या जिम या खेल-कूद, कुछ भी ऐसा जिससे आपकी सांस ज़रूर फूले। जब आप ऐसी एक्टिविटी शामिल करेंगे तब आपका शरीर अंदर से स्वस्थ होगा और बाहर से बेहतर नज़र आएगा। डल और बेजान लाइफ में कोई उमंग नहीं। लाइफ की क्वालिटी बढ़ानी है तो सोफे से उठ जाइए। क्योंकि वजन को नियंत्रित रखना बेहद ज़रूरी है।

दवाइयों पर निर्भरता हो कम

बात- बात पर दवाई गटकने की आदत न डालें। कुछ लोग तो बड़ी बीमारी न होने पर भी ज़रा से दर्द या तकलीफ़ में झट से मेडिसिन ले लेते हैं। ये आदत सही नहीं है। दवाई की ओर बढ़ते हाथ को रोकें। सोचें कि इसका कोई घरेलू उपाय हो सकता है क्या? दवाइयां झट से रिलीफ तो देती हैं लेकिन लंबे समय में ये शरीर को नुकसान ही पहुंचाती हैं।

फैमिली मेंबर्स और खुद के प्रति उदार रहें

उदार रहें। दूसरों के साथ बहुत ज्यादा टोकाटाकी करके उनकी चिढ़ न कमाएं। ऐसे चिड़चिड़े इंसान से परिजन छिटकने लगते हैं। और न ही खुद के प्रति बहुत सख्त न हों। अगर शरीर तुरंत थोड़ा आराम चाहता है तो बीच में थोड़ा ब्रेक लें। खासकर महिलाओं के लिए ये ध्यान रखना ज़रूरी है। वे घर की धुरी होती हैं। काम तो डेली लाइफ का हिस्सा है। उसका इतना प्रेशर न बनाएं कि लाइफ बोझ बन जाए।

अच्छा पढ़ें

अपनी पसंद के मुताबिक एक अच्छी सी किताब खरीद लाएं। दो पेज भी पढ़े तो मन खुश होगा। रीडिंग में कम रुचि है तो खबरों से अपडेट रहिए। टीवी-मोबाइल को समय दें पर कम। इसके बजाय अच्छा पढ़ने पर ध्यान दें। रीडिंग मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छी चीज़ है।

हवा-पानी बदलिए

पुरानी हिंदी फिल्मों में अक्सर डाॅक्टर अपने मरीज को यह राय देते हुए दिखाई देते थे। और यह बिल्कुल सही भी है। रुटीन जब इस कदर हावी होने लगे कि लगे ज़िंदगी सिर्फ़ मशीनी है और इसमें उत्साह ढूंढे नजर नहीं आता तो हवा- पानी बदलना चाहिए। यानी कम से कम दो-चार दिन के लिए कहीं न कहीं घूम आना चाहिए। बहुत दूर नहीं तो आसपास ही कहीं घूम आएंगे तो आपका मन एकदम बदल जाएगा। वहां जाकर आपकी लाइफ का ठहराव टूटेगा। कुछ नया देखेंगे। मुस्कुराएंगे। घर वालों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएंगे। अच्छा लगेगा। लौट कर आप ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए फिर से तरो-ताजा हो जाएंगे।

ह्यूमर डेवलप करें

हर बात को सीरियसली न लें। खुद पर हंसना भी आना चाहिए। छोटी-छोटी चुहलबाजियां आपको और घर- परिवार को जीवंत बनाती हैं। थोड़ा मन बदलता है। दस मिनट की मज़ेदार बातें घंटों तक आपको खुश रखेंगी। खुशी की डोर थामे रहिए, ज़िन्दगी तो अपने मन की करेगी ही, हम क्यों तन और मन से हारें।

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