Tapeshwar Shiv Dham Balrampur: छत्तीसगढ़ के तातापानी में स्थापित है 60 फीट ऊंची 'तपेश्वर महादेव' प्रतिमा, यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के भी एक साथ दर्शन...
Tapeshwar Shiv Dham Balrampur : छत्तीसगढ़ में ऐसे बहुत से दर्शनीय स्थल हैं जिनके बारे में बाहर के लोग अधिक नहीं जानते हैं। ऐसे ही एक अति सुंदर, धार्मिक महत्व के दर्शनीय स्थल की शाब्दिक यात्रा पर हम आपको तातापानी,जिला बलरामपुर लिए चलते हैं। यहां आपको साफ-स्वच्छ गगन की नीली आभा के बीच आकाश की विशालता, शांति और शून्यता को अपने रूप में साकार ,समाहित करते महाशिव 'तपेश्वर महादेव' की मनमोहक विशाल प्रतिमा के दर्शन होंगे। महादेव की यह नीलवर्णी-अलौकिक -विशाल मूर्ति नेत्रों को बरबस ही अपने आकर्षण में बांध लेती है। कुछ क्षणों के लिए मन दुनिया की आपाधापी को भूलकर शिव में रम सा जाता है। आइए थोड़ा और विस्तार से जानते हैं यहां के बारे में।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में विराजित हैं महाशिव
महाशिव के इस अद्भुत -अलौकिक रूप के दर्शन के लिए आपको छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले का रुख करना होगा। भगवान शिव की यह विशाल प्रतिमा जिले के 'तातापानी' में विराजित है। तातापानी अपने आप में अनोखी जगह हैं जहां बारहों महीने कुछ जलस्रोतों से गर्म पानी निकलता है। बलरामपुर जिला, राजधानी रायपुर से करीब 452 किमी की दूरी पर स्थित है। वहीं जिला मुख्यालय बलरामपुर से तपेश्वर शिवधाम की दूरी करीब 12 किमी है।
60 फीट ऊंची है तपेश्वर महादेव की प्रतिमा
तातापानी में स्थापित ' तपेश्वर महादेव' की प्रतिमा करीब 60 फीट ऊंची है। मूर्ति विशाल चबूतरे पर स्थापित है। जिन्हें करीब से निहारने के लिए आपको कई सीढ़ियां चढ़नी होंगी। सीढ़ियां चौड़ी और सुंदर बनाई गई हैं। उसके बाद आप नज़दीक से तपेश्वर महादेव को देख सकते हैं। प्रतिमा का सम्मोहन कुछ ऐसा है जो आत्मा से परमात्मा के संवाद को, संबंध को साकार और जीवंत कर जाता है।
यहां कीजिए बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन एक साथ
दर्शन के उपरांत आप नीचे उतरेंगे तो नीचे आपके नेत्रों के लिए एक और सुंदर दृश्य और आत्मा के लिए एक और सम्मोहन नज़र आएगा। तपेश्वर महादेव की विशाल प्रतिमा के नीचे यहां मंदिर है। भीतर सुंदर परिक्रमा पथ है जिसकी दीवारों पर शिव जी की विभिन्न आकर्षक तस्वीरें लगाई गई हैं।
यहीं एक विशाल कक्ष में 'बारह ज्योतिर्लिंग' एक साथ स्थापित किए गए हैं। हर ज्योतिर्लिंग के समक्ष उनके नाम का उल्लेख है। बता दें कि देश के विभिन्न 12 स्थानों पर शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं,जिन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ये बारह ज्योतिर्लिंग हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर) । मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, धन-संपदा और सम्मान में वृद्धि होती है और दुख-तकलीफ़ों का नाश होता है। तपेश्वर महादेव धाम में इन सभी बारह ज्योतिर्लिंगों के प्रतीकात्मक दर्शन आप एक साथ कर सकते हैं। एक कक्ष में स्थित बारह शिवलिंग साथ में देखकर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा।
400 साल पुराने शिव मंदिर के भी करें दर्शन
यहाँ आपको एक प्रचीन शिव मंदिर के दर्शनों का भी सुख मिलेगा। जहाँ की मूर्तियाँ 400 वर्ष पुरानी बताई जाती हैं। खुदाई में मिली अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी यहां देखने को मिलेंगी जो खुदाई के दौरान निकली हैं। मंदिर के बाहर एक बहुत पुराना पेड़ भी है। जिसपर लोग मन्नत के नारियल बांध कर लौटते हैं। कहते हैं कि यहां मन्नत का नारियल बांध कर जाने वाले की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर लोग वापस लौटते हैं और यथाशक्ति पूजा करवाते हैं।
तातापानी की खासियत भी जानें
बलरामपुर स्थित तातापानी अपने आप में अनोखा है। यहां धरती से गर्म जल की धारा फूटती है। और ऐसे जल स्रोत यहां एक नहीं, बल्कि अनेक स्थानों पर हैं। वस्तुतः इसी कारण इस जगह का नाम 'तातापानी' पड़ा है। क्योंकि लोकल भाषा में 'ताता' का अर्थ होता है 'गर्म'। इसलिए तातापानी का अर्थ हुआ 'गर्म पानी' ।
आपको बताएं कि यहां किसी जलस्रोत से निकलते पानी का तापमान 103 डिग्री सेल्सियस है तो कहीं 109 डिग्री सेल्सियस। रहवासी तो यहां तक कहते हैं कि इन जलस्रोतों से निकलते पानी में इतनी गर्माहट है कि आप चावल,आलू जैसी चीज़ें इन्हीं में उबाल सकते हैं। यह भी माना जाता है कि इस गर्म जल में ऐसे गुण मौजूद हैं कि इसमें नहाकर कई तरह के चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए दूर-दराज से लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने यहां आकर स्नान करते हैं।
यहां पानी के गर्म स्रोतों के विषय में रहवासी कुछ खास बातें बतातें हैं। मान्यता है भगवान राम, पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहीं की एक गुफा में ठहरे थे। कहते हैं कि एक बार श्री राम ने मज़ाक-मज़ाक में एक कंकड़ सीता जी की ओर उछाला। उस समय सीता माता एक कटोरे में गर्म तेल लिए उसे सहेजने जा रही थीं। श्री राम द्वारा फेंका गया कंकड़ उसी कटोरे में जा गिरा और गर्म तेल के छींटें यहां-वहां उचक गए। कहा जाता है कि जहां-जहां गर्म तेल के छींटे जमीन पर पड़े, उन सभी जगहों से गर्म जल के स्रोत फूट पड़े।
एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव एक दफ़ा पृथ्वी पर आए। उनके साथ अन्य देवी-देवता भी थे। तब शिव जी ने देवी-देवताओं के स्नान के लिए गर्म जल कुंड का निर्माण किया। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां के धरती में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण यहां का पानी गर्म रहता है। वजह जो भी हो, कुंड में स्वयंमेव उबलता, वाष्पित होता पानी देखना अचंभित करता है। जिसे देखने दूर-दूर से जिज्ञासु आते हैं।
आपको बता दें कि यहां तातापानी महोत्सव भी मनाया जाता है। इसमें भी आप शामिल हो सकते हैं।
ऐसे पहुंचे
अगर आप भी तातापानी, बलरामपुर स्थित विशाल शिव प्रतिमा को नज़दीक से निहारना चाहते हैं और तातापानी के गर्म जलकुंडों की सच्चाई को परखना चाहते हैं तो बाहरी यात्री स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर पहुंचें ।आगे सड़क मार्ग से बलरामपुर जा सकते हैं। आप अंबिकापुर रेलवे स्टेशन पर भी उतर सकते हैं जो यहां से 92 किमी दूर है। बाय रोड आप NH 343 ( अंबिकापुर-गढ़वा) से तातापानी पहुंच सकते हैं।