Thank u collector sir : फेसबुक पोस्ट पढ़ 15 मिनट के भीतर कलेक्टर ने लिया एक्शन…. अस्पताल के चंगुल से शव को दिलायी आजादी…. शो-कॉज भी किया जारी …. अमित ने परिजनों की मदद की अपील के साथ डाला था फेसबुक पोस्ट… कलेक्टर सहित कईयों ने तुरंत किया रिस्पांस

Update: 2020-02-21 18:00 GMT

जबलपुर 22 फरवरी 2020। सोशल मीडिया किसी के लिए कितना असरकारक हो सकता है, यदि ये महसूस करना हो तो जबलपुर की इस घटना पर ध्यान दीजिए। एक फेसबुक पोस्ट ने ना सिर्फ डाक्टर के सामने गिड़गिड़ा रहे मरीज के परिजन को तत्काल मदद पहुंचायी, बल्कि प्रशासनिक तमाचे ने अस्पताल प्रबंधन के गुरूर को भी हवा कर दिया। दरअसल जबलपुर के युवक अमित चतुर्वेदी ने अपनी वॉल पर अस्पताल के भारी भरकम बिल का जिक्र करते हुए एक पोस्ट डाला था…उन्होंने लिखा था…

“उनके मित्र के परिचित के रिश्तेदार मनोज मरावी को सांप ने काट लिया था। मनोज मरावी जिनकी उम्र सिर्फ़ 22 वर्ष थी और वो जबलपुर से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर एक आदिवासी ज़िले डिन्डौरी के किसी बहुत पिछड़े गाँव से जबलपुर के अस्पताल में ईलाज करवाने आए थे, आज अस्पताल में मनोज की मृत्यु हो गयी। मनोज के साथ उसकी 20 वर्षीया गर्भवती पत्नी है जो बहुत परेशान है, कि किसी तरह उसे उसके पति का शव मिल जाए, लेकिन अस्पताल वाले 85000 रुपए लिए बिना उसकी पत्नी को उसका शव नहीं सौंप रहे हैं। मनोज का परिवार अनुसूचित क्षेत्र में आता है, उसकी पत्नी ने अस्पताल में 17000 रुपए जमा कराए हुए थे । अस्पताल मालिक ने अस्पताल धर्मार्थ तो खोला नहीं होगा, उनके भी हज़ार खर्चे होते हैं, इसीलिए उनसे बिल्कुल मुफ़्त की उम्मीद करना उनके साथ भी बेइमानी होगी। लेकिन सांप काटने के इलाज में 85000 रुपए का खर्च वो भी तब जब इंसान बच नहीं पाया हो, उसका परिवार कहाँ से वहन करेगा”

उन्होंने कलेक्टर समेत शहर के जिम्मेदारों से अपील की थी कि समस्या का समाधान निकाले । उनके पोस्ट के डालते ही महज 15 मिनट में खुद जबलपुर कलेक्टर भरत यादव ने उस पोस्ट पर संज्ञान लिया। उन्होंने ना सिर्फ फेसबुक पोस्ट पर कमेंट कर परिजनों से मदद के संपर्क सूत्र की जानकारी बल्कि ये आश्वस्त भी किया किया कि तुरंत इस पर मदद जिला प्रशासन करेगा। 2008 बैच के आइएएस भरत यादव ने इस मामले में त्वरित संज्ञान लिया।

अमित चतुर्वेदी से पूरी जानकारी लेकर तत्काल कार्यवाही करते हुए एसडीएम आशीष पांडे और तहसीलदार रश्मि चतुर्वेदी को अस्पताल भेजा, जहां उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात करके शव को उनके परिजनों को सौंपा और साथ ही नि:शुल्क एंबुलेंस व्यवस्था करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए रवाना किया।

इसके साथ ही साथ अस्पताल को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया है । इस प्रकार सोशल मीडिया के प्रयोग से न केवल एक परिवार को समस्या से निजात मिली बल्कि एक बार फिर यह साबित हो गया कि यदि सोशल मीडिया का सही तरीके से प्रयोग किया जाए तो वह समाज सेवा का एक बड़ा हथियार भी साबित हो सकता है ।

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