SDM ज्योति बबली बैरागी और जनपद सीईओ सस्पेंड.. मनरेगा घोटाले में सरकार की बड़ी कार्रवाई, एक अन्य के ख़िलाफ़ FIR के आदेश

Update: 2020-04-30 17:28 GMT

रायपुर, 30 अप्रैल 2020। SDM ज्योति बबली और SDOP ध्रुवेश जायसवाल के बीच विवाद की खबर के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। महीनों पुराने मनरेगा घोटाले में ज्योति बबली पर गाज गिर गयी है। राज्य सरकार ने SDM को ससपेंड कर दिया है। प्रदेश के बलरामपुर रामानुजगंज ज़िले के वाड्रफनगर इलाक़े में काग़ज़ों पर मनरेगा का काम कर,क़रीब तीस लाख से उपर के फर्जीबाड़े के मसले पर एक साल से लंबित रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार के पंचायत विभाग ने सख़्त कार्रवाई करते हुए SDM ज्योति बबली बैरागी जो कि तत्कालीन प्रभारी सीईओ थीं,तथा सीईओ एस के मरकाम को सस्पेंड कर दिया है। वहीं मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी तिवारी के विरुद्ध FIR के आदेश जारी किए गए हैं।

IPS अफसर से महिला SDM ने की बदसलूकी…. SDOP ने SP से की दुर्व्यवहार की शिकायत….SDM-SDOP विवाद में आया नया ट्विस्ट

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आपको बता दें कि SDM ज्योति बबली और SDOP ध्रुवेश जायसवाल के बीच कुछ दिनों से विवाद चल रहा था। इस मामले ने तूल उस वक़्त पकड़ लिया था, जब SDM ने प्रदेश के एक सीनियर आईपीएस के साथ बदसलूकी की थी। इसकी शिकायत जहां SDOP ने SP से की थी, तो वहीं दूसरी तरफ SDM ने भी पत्र लिखकर कलेक्टर से शिकायत की थी और SDOP पर कार्रवाई की मांग की थी।

आपको बता दें कि वर्ष 2014-15 और 2015-16 में मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत गुडरु के चपोता में मिट्टी मुरुम सड़क सह पुलिया निर्माण, ग्राम पंचायत तुगंवा में नदी किनारे तटबंध निर्माण,ग्राम पंचायत जमई में डब्लूबीएम और ग्राम पंचायत पेंडारी में मिट्टी मुरुम सडक सह पुलिया निर्माण किया जाना था।लेकिन SDM वाड्रफनगर की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि कोई काम हुआ ही नहीं और 38 लाख 58 हज़ार पाँच सौ अठारह रुपए का फ़र्ज़ी भुगतान कर दिया गया।

इस मामले को लेकर संभागायुक्त एमिल लकड़ा ने ज़िला पंचायत बलरामपुर से की गई कार्यवाही की जानकारी माँगी थी।

संभागायुक्त ईमिल लकड़ा ने तत्कालीन सीईओ एस के मरकाम और मौजुदा SDM ज्योति बबली बैरागी जो कि तत्कालीन प्रभारी सीईओ थीं, उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए वहीं एक अन्य अश्वनी तिवारी के विरुद्ध FIR के आदेश जारी किए गए है।

मनरेगा घोटाले की जाँच रिपोर्ट दबाए जाने के मसले को लेकर जानकारी सामने आने पर पंचायत विभाग के आला अधिकारियों ने गहरी नाराज़गी जताई है। उपरोक्त दोनों अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक महिने के भीतर विभागीय जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

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