IPS Vishnukant FIR: IPS ने कांस्टेबल से ली 10 लाख की रिश्वत, आईजी के खिलाफ FIR दर्ज...जानिए पूरा मामला?

IPS Vishnukant FIR: एसीबी डीआईजी रहते भ्रष्टाचार के आरोपी कांस्टेबल को बचाने के लिए 2005 बैच के आईपीएस विष्णुकांत ने दस लाख रुपए की रिश्वत ली थी। अब उन पर अपराध दर्ज किया गया है। वर्तमान में वे आईजी होमगार्ड राजस्थान हैं।

Update: 2024-05-02 16:09 GMT

IPS Vishnukant FIR जयपुर। राजस्थान की भजन लाल सरकार में दूदू जिले के कलेक्टर के बाद आईजी रैंक के आईपीएस विष्णुकांत पर भ्रष्टाचार के मामले में अपराध दर्ज हुआ है। 2005 बीच के आईपीएस विष्णु कांत पूर्व में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी के डीआईजी थे। इसी दौरान उन्होंने एक भ्रष्ट हवलदार को बचाने के लिए 10 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। मामले की शिकायत डीजीपी के पास पहुंचने पर आईपीएस के अलावा रिश्वत देने वाले हेड कांस्टेबल तथा बिचौलिया की भूमिका निभाने वाले कांस्टेबल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

पूरा मामला जवाहर सर्किल थाने से जुड़ा हुआ है। यहां के प्रधान आरक्षक सरदार सिंह व आरक्षक लोकेश कुमार शर्मा को रिश्वत लेते एंटी करप्शन की टीम ने रन थाना परिसर में ही ट्रैप किया था। मामले में सिर्फ आरक्षक लोकेश शर्मा के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। जबकि सरदार सिंह को क्लीन चिट दे दी गई। सरदार सिंह को क्लीन चिट देने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ डीआईजी विष्णुकांत ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था। जांच अधिकारी एडिशनल एसपी सुरेंद्र कुमार स्वामी ने 11 फरवरी 2022 को डीआईजी को सौंपी रिपोर्ट में लिखा है कि लोकेश कुमार आरोपी है और प्रधान आरक्षक सरदार सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। डीआईजी विष्णु कांत ने फाइल 14 फरवरी 2022 को उपनिदेशक अभियोजन के पास अभिमत के लिए भेजा।

2 मार्च 2022 को उपनिदेशक अभियोजन फाइल के अवलोकन के बाद अभिमत दिया कि प्रधान आरक्षक सरदार सिंह की रिश्वतखोरी में संलिप्तता दिखाई देती है। जांच कार्यालय के साथ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए और दोबारा जांच की जानी चाहिए। डीआईजी विष्णुकांत ने बिना विचार विमर्श किए ही और अनुसंधान अधिकारी की राय और सहमति लिए बिना ही प्रधान आरक्षक सरदार सिंह को बेगुनाह बता दिया और आरक्षक लोकेश शर्मा के खिलाफ चालान पेश कर दिया।

बाद में जांच में पता चला कि सरदार सिंह से उसका नाम निकालने की एवज में दस लाख की रिश्वत राशि मांगी गई थी। यह रिश्वत सरदार सिंह के भाई प्रताप सिंह के जरिए हुई बातचीत में तय हुई। प्रतापसिंह आरक्षक है और विष्णु कांत का गनमैन था। तीनों के ऑडियो वीडियो क्लिप के आधार पर यह पूरा मामला उजागर हुआ।

आठ माह पहले मिला था परिवाद

आईपीएस विष्णुकांत के पुलिसकर्मियों से रिश्वत लेने के मामले में उप निरीक्षक सत्यपाल पारीक ने इसके लिए परिवाद दिया था। इस परिवाद की जांच करते हुए मामले को सहीं माना गया। अब ब्यूरो ने आईपीएस अधिकारी विष्णुकांत और रिश्वत देने वाले हेड कांस्टेबल सरदार सिंह, उसके भाई प्रताप सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

बता दें कि डीआईजी विष्णु कांत के खिलाफ सत्यपाल पारीक ने यह परिवाद वर्ष 2023 में दे दिया था, लेकिन बड़े अधिकारी होने के कारण एसीबी ने मामले में रुचि नहीं दिखाई। मजबूरन सत्यपाल पारीक को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

उपनिरीक्षक सत्यपाल ने एसीबी को उपलब्ध कराए प्रमाण

सब इंस्पेक्टर सत्यपाल पारीक ने एसीबी को 9 ऑडियो वीडियो प्रस्तुत किए। इसके बाद एसीबी ने यह मामला दर्ज किया है। इनमें से एक वीडियो सत्यपाल ने खुद रिकॉर्ड किया। जिसमें खुद हेड कांस्टेबल सरदार सिंह बता रहा हैं कि उससे रिश्वत राशि मांगी गई और उसने एक बार 7 लाख रुपए और दूसरी बार ढाई लाख रुपए दिए। बातचीत में भी डीआईजी विष्णुकांत ने महानिदेशक के नाम पर दस लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। 9.5 लाख रुपए रिश्वत दिए जाने के तथ्य सरदार सिंह और प्रताप सिंह ने सत्यपाल पारीक को बताए। इसकी पुष्टि सरदार सिंह और विष्णुकांत के बीच हुई वार्ता में उजागर हुई।

अभी है आईजी

आईपीएस विष्णु कांत बिहार राज्य के भागलपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने जेनेटिक्स में पीएचडी की है। वे वर्ष 2005 बैच के आईपीएस है। रिश्वत का मामला सामने आने के बाद उन पर कोई कार्यवाही तो नहीं की थी अलबत्ता उन्हें एसीबी से हटा दिया गया था। वर्तमान में वे आईजी होमगार्ड है।

Tags:    

Similar News