बड़ी खबर: SC ने खजुराहों में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने वाली याचिका की खारिज, तमिलनाडु सरकार को इस मामले में लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने आज छतरपुर जिले जिले के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया और मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया...

Update: 2025-09-16 13:15 GMT

supreme court of india (NPG file photo)

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में दो बड़े फैसलों में मंदिरों से जुड़े मामलों पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। एक ओर, कोर्ट ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने की याचिका को खारिज कर दिया, तो दूसरी ओर, तमिलनाडु सरकार को मंदिरों के दान से शादीघर बनाने के लिए कड़ी फटकार लगाई। ये दोनों फैसले मंदिरों के प्रबंधन और धार्मिक आस्था के प्रति कोर्ट के रुख को दर्शाते हैं।

खजुराहो में मूर्ति बदलने की याचिका खारिज

मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर परिसर में स्थित जवारी मंदिर के एक मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची मूर्ति को बदलने की मांग वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता, राकेश दलाल, ने तर्क दिया था कि मूर्ति का सिर क्षतिग्रस्त हो गया है और उसे बदला जाना चाहिए।

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस याचिका को "पूरी तरह से प्रचार हित वाली" बताया। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा, "जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं, तो आप प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान करें।"

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, यह मुद्दा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है, क्योंकि यह एक पुरातात्विक स्थल है। पीठ ने कहा कि किसी भी पुरातात्विक खोज या स्थल में बदलाव करना ASI के नियमों पर निर्भर करता है। कोर्ट ने याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसमें "प्रचार हित" के अलावा और कुछ नहीं है।

तमिलनाडु सरकार को कड़ी फटकार

एक और महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को मंदिरों के दान का उपयोग विवाह हॉल (शादीघर) बनाने के लिए करने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि श्रद्धालु मंदिरों में दान इसलिए नहीं देते कि उनके पैसे का उपयोग सरकारी या सार्वजनिक कामों के लिए किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें कहा गया था कि मंदिर का पैसा सरकारी पैसा नहीं है। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने तमिलनाडु में पाँच मंदिरों के दान से शादीघर बनाने की अनुमति देने वाले सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि, मंदिर के दान का उपयोग केवल धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए ही किया जाना चाहिए, न कि किसी अन्य सार्वजनिक निर्माण के लिए। कोर्ट की यह टिप्पणी मंदिरों की संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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