सड़क बंद.. तो ट्रेन की पटरियों पर चलते हुए घर लौट रहे श्रमिक.. दो श्रमिकों की मौत से हुआ खुलासा

Update: 2020-04-21 05:42 GMT

रायपुर,21 अप्रैल 2020।सड़कों पर पुलिस है, और अतिआवश्यक सामग्री को छोड़कर परिवहन बंद है.. लेकिन कैसे भी कर से घर पहुँचने के फेर में श्रमिक जान जोखिम में डाल रहे हैं। रायपुर अंबिकापुर रेल्वे ट्रेक पर दो श्रमिकों का शव मिला है, जबकि दो अन्य बाल बाल बच गए हैं। प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि, ये श्रमिक मरवाही पेंड्रा गौरेला ज़िला में काम करते थे और सूरजपुर ज़िले के गेवरा उजगी पहुँचने के लिए पूरी रात पटरियों पर चलते रहे, लेकिन सुबह मालगाड़ी की चपेट में आ गए।
रायपुर अंबिकापुर रेल्वे ट्रेक पर उदलकछार से दर्रीटोला के बीच सुबह क़रीब साढ़े आठ बजे मालगाड़ी की चपेट में आने से ट्रेक पर चल रहे दो श्रमिक कमलेश्वर राजवाड़े और गुलाब राजवाड़े की मौत हो गई, जबकि साथ ही चल रहे दो अन्य श्रमिक बाल बाल बच गए।यह चारों श्रमिक पेंड्रा मरवाही गौरेला ज़िला के गोरखपुर स्थित खाद बीज बनाने वाली कंपनी में काम करते थे.. और बीति शाम खाना खाकर रेल्वे ट्रेक पर रात भर चलते हुए घर की ओर जा रहे थे।
इस घटना ने सिहरा कर रख दिया है,श्रमिकों के साथ हालात ही अलग हैं, इस लॉकडॉउन की जद में सबसे ज़्यादा नुक़सान कोई झेल रहा है तो वह श्रमिक ही है, और उनके मुआवज़े के लिए किसी भी सरकार के पास योजना तक नहीं है, अफ़सोस कि सोच तक नहीं है। अनाज यदि मिल रहा है तो वह बेहतर है, लेकिन जो इन श्रमिकों का अर्थ चक्र टूटा है, उसके लिए कोई मुआवज़ा नहीं है.. राजनैतिक दलों को यह याद रखना चाहिए कि किराया देकर आप अपनी भीड़ इन्हीं श्रमिकों से तो बढ़ाते हैं, कुछ मुआवज़ा इस लिहाज़ में ही सोच लें तो क्या बुरा है ?

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