CM भूपेश की शायरी का रमन सिंह ने भी दिया शायरना जवाब….. बजट पर विपक्ष की कैसी रही प्रतिक्रिया, भूपेश ने क्या किया पलटवार पढ़िये ये खबर

Update: 2021-03-01 07:41 GMT

रायपुर 1 मार्च 2021। विधानसभा में आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने करीब 70 मिनट के बजट भाषण का समापन एक शायरी के साथ की थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था….

रास्ते की अड़चनों से, हम कभी डरते नहीं।
बात हो जब न्याय की, पीछे कभी हटते नहीं।।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस शायरी पर बजट प्रतिक्रिया के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी शायराना अंदाज में पलटवार किया है। रमन सिंह ने बजट को निराशाजनक और केंद्र आधारित बजट करार देते हुए कहा कि…

विकास के नाम पर अड़चन डालते हो तुम

न्याय के नाम पर अन्याय करते हो तुम

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि

“ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार की योजनाओं को सामने रखकर पूरा का पूरा बजट का फ्रेम प्रस्तुत किया गया है। भूपेश बघेल बजट तीसरी बार प्रस्तुत कर रहे हैं, इस बजट को बनाने वक्त क्या घोषणा पत्र को मुख्यमंत्री ने पढ़ना बंद कर दिया है, क्या उसका क्रियान्वयन करना चीफ सेक्रेटरी ने बंद कर दिया है… ना तो बोनस की बात है ना तो युवाओं को ढाई हज़ार देने की बात है… किसान, युवा, महिला कर्मचारियों के साथ बजट एक तरीके का मजाक है… 17% पूंजीगत व्यय की राशि खर्च की जाती थी, जो घटकर 14% पूंजीगत व्यय में आ गया है। 2 बड़ी योजनाएं जल जीवन मिशन और प्रधानमंत्री आवास योजना यह केंद्र की योजना है, जिसे सरकार अपना बता रही है…कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार ने बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा… बजट का 32% हिस्सा जनजाति क्षेत्र की होना चाहिए था उसमें भी कमी आई है…मजदूर और छोटे उद्योगों को नुकसान हुआ है,…यह बजट शून्य बजट है.. जिसमें ना तो विकास की संभावनाएं दिखती है, न भविष्य की कल्पना दिखती है”

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के इस प्रतिक्रिया पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी तीखा तंज कसा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि

“रमन सिंह बड़े अर्थशास्त्री हैं, उन्हें मार्गदर्शक मंडल में शामिल हो जाना चाहिये, उन्हें वित्त मंत्री के मार्गदर्शक मंडल में शामिल होकर अपना सुझाव देना चाहिये”

वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पिछली बार की तुलना में इस बार बजट कम किये जाने पर हैरानी जतायी। उन्होंने कहा कि

“पहली बार बजट का आकार छोटा किया गया, पिछला बजट 1 लाख 10 हजार करोड़ था, दुर्भाग्य स्थिति है कि इस बार का बजट छोटा हुआ, बजट केवल केंद्र पर आधारित है। बजट में कुछ भी नया शामिल नहीं किया गया। हेल्थ में निराशाजनक बजट आया है। सड़को के लिए पूरी तरह से केंद्र पर आधारित है। बजट से विकास की गति और धीमी होगी।ये बजट छत्तीसगढ़ को पीछे ले जाने वाली बजट है”

वहीं अमित जोगी ने भी बजट पर अपनी प्रतक्रिया दी है। उन्होंने बजट को चिंताजनक बताया है।

“मुख्यमंत्री के बजट भाषण को पढ़ने से लगता है कि वे अपनी पार्टी के जन घोषणा पत्र को पूरी तरह भूल चुके हैं। ‘8 सौग़ातों’ के रूप में (1) किसानों को कर्जा-माफ़ी की जगह ₹36000 करोड़ का क़र्ज़, (2) केंद्र के हाथ खींच देने के बाद ₹2500 की जगह ₹700 (92 लाख मेट्रिक टन धान के लिए मात्र ₹5010 करोड़) प्रति क्विंटल समर्थन मूल का प्रावधान, (3) ग़रीबों को ₹1500 मासिक पेन्शन की जगह टेन्शन, (4) युवाओं को नौकरी और मासिक ₹2500 बेरोज़गारी भत्ता की जगह धक्का, (5) संविदा कर्मचारियों को नियमितिकरण की जगह एक बार फिर धोखा, (6) शराबबंदी की जगह देश की सबसे वृहद् शराबमंडी, (7) बिजली बिल हाफ़ की जगह बिल-डबल और बिजली-हाफ़ और (8) ‘आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की जगह केंद्रीय-अनुदान और शराब-बिक्री की दोहरी-ग़ुलामी मिला है। हर दृष्टि से ये आज तक का सबसे चिंताजनक बजट है। ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ लोगों की जगह ढाई लोगों के हितों को देखके बजट बनाया गया है”

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